31.8 C
Rajasthan
Thursday, June 8, 2023

Buy now

spot_img

स्रियों की दशा का उज्जवल पक्ष

– टॉड के अनुसार “”राजस्थान में स्रियों को राजपूतों ने जो सम्मान दिया, वह किसी दूसरे देश में नहीं मिलता। संसार में किसी भी जाति ने स्रियों को उतना आदर नहीं दिया, जितना राजपूतों ने।”
राजपूतों ने स्रियों को लक्ष्मी, दुर्गा तथा सरस्वती के रुप में देखा। उस दृष्टि से उनकी पूजा की। यहाँ लोग यह मानते थे कि स्री के बिना मनुष्य को सुख शांति प्राप्त नहीं हो सकती। मनुष्य के जीवन व उसके घर में उसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। उसे गृहणी माना जाता था, अर्थात् वह अपने घर की अधिकारिणी होती थी। राजपूतों के धार्मिक ग्रन्थों में लिखा है कि जिस घर में स्री नहीं होती है, वह घर, घर नहीं होता। शास्रों में भी लिखा है कि जिस पुरुष के स्री न हो, उसे जंगल में निवास करना चाहिए। स्री का अपमान करके कोई भी मनुष्य कल्याणकारी जीवन का आनन्द नहीं उठा सकता।

कर्नल टॉड ने स्रियों के इस स्थान का वर्णन करने के बाद उनकी तुलना प्राचीन जर्मनी की स्रियों से की है। स्रियाँ पूजा-पाठ करके पुरुषों की सफलता के लिए कामना करती थी तथा शकुन आदि मनाया करती थी। यहूदी स्रियों की भांति राजस्थान की नारी घर की चार दीवारी में बन्द नहीं रखी जाती थी, अपितु वे खेतों पर काम करती थी, कुएँ से पानी भरकर लाती थी, तथा मेलों व उत्सवों में खुलकर भाग लेती थी और उसका आनन्द उठाती थी।
स्रियों को घर-घर में सावित्री-सत्यवान, नल-दमयंती आदि महाभारत की कथाएँ सुनाई जाती थी। माता-पिता का यही सपना होता थि कि उनकी लड़की शादी के बाद ससुराल वालों के प्रति सुशिल साबित हो। इसके विपरीत घटित होने वाली घटनाओं को अच्छी दृष्टि से नहीं देका जाता था। यद्यपि राजपूतों में स्रियों का बहुत सम्मान किया जाता था, तथापि वे पति की आज्ञाकारिणी होती थी। आदर्श महिलाएँ अपने पति के साथ सती हो जाया करती थी।
मनुस्मृति की टीकाओं में लिखा गया है “”अपने अटूट परिणाम स्वरुप वीर राजपूत अपनी पत्नी की छोटी से छोटी इच्छा की भी अवहेलना नहीं करता था।”
कर्नल टॉड के अनुसार “”पति के प्रति राजपूत रमणी का जो अनुराग होता है वह संसार के इतिहास में कहीं नहीं मिलेगा। मनुष्य के जीवन की यह सबसे बड़ी सभ्यता है, जिसको सजीव मैंने राजपूतों में देखा है।”
स्रियों के नामों का अर्थ कोमलता, नम्रता, मृदुलता, प्यार, स्नेह, सुन्दरता आदि से जुड़ा होता था। स्रियों के कारण ही राजपूतों के घरों में जैसा सौन्दर्य व समृद्धि देखने को मिलती है, वैसा अन्य जातियों के घरों में दृष्टिगोचर नही होता। राजस्थान की स्रियों एवं उनके अधिकारों की प्रशंसा विदेशी इतिहासकारों ने भी की है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,805FollowersFollow
20,900SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles