विजयादशमी पर विशेष बल प्रदर्शन करने के लिए सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने आठ गज ऊँचा, आठ रेखाओं से युक्त अष्ट धातु का तीस मन लोह युक्त एक स्तम्भ बनवा कर गड़वा दिया, जिसे चुने हुए वीरों को घोड़े पर सवार होकर लोहे की सांग से उखाड़ना था| पृथ्वीराज स्वयं इस खेल में शामिल हुए पर लोह स्तम्भ को नहीं उखाड़ पाये| उनके कई प्रसिद्ध वीर भी असफल रहे, तब वीरवर धीर पुण्डीर ने पृथ्वीराज से उनका घोड़ा माँगा| धीर पुण्डीर ने पृथ्वीराज के घोड़े पर सवार होकर एक ही झटके में उस स्तम्भ को उखाड़ दिया|
धीर पुण्डीर के इस विरोच्चित कार्य पर सम्राट पृथ्वीराज ने उसे सर्वोच्च शूरमा के विरुद से विभूषित कर सम्मानित किया| इस अवसर पर धीर पुण्डीर ने भी घोषणा की कि वह शहाबुद्दीन गौरी को पकड़ कर सम्राट पृथ्वीराज चौहान के चरणों में पटकेगा| उसकी इस गर्वोक्ति पर जैत्र परमार आदि कई वीर जल भुन गए| जब धीर पुण्डीर आश्विन मास में देवी की आराधना के लिए जालंधर किया तब जैत्र परमार ने इसकी सूचना गौरी को भेजकर उसकी मंशा बता दी| गौरी के चुने हुए सैनिकों ने भगवा वस्त्र धारण कर छल से धीर पुण्डीर को पकड़ लिया और गजनी ले जाकर गौरी के दरबार में प्रस्तुत किया|
गौरी ने जब धीर पुण्डीर को उसे पकड़ने वाली प्रतिज्ञा पर बात की तो धीर पुण्डीर ने आत्म-विश्वास के साथ उसे वीरोचित जबाब दिये| गौरी ने धीर पुण्डीर की वीरता, निडरता और साहस से प्रभावित होकर उसे सम्मानित करते हुए घोड़े, वस्त्र, बख्तर-पाखर-होय और टंकार करता धनुष आदि भेंट देकर कहा कि- “हे हिन्दू वीर ! इन्हें तूं ले जा और जंग के लिए तैयार हो जा, मैं भी अपने वीरों के साथ शस्त्र ग्रहण कर पीछे-पीछे आ रहा हूँ|” इस तरह गौरी ने एक वीर पुरुष को विदा किया और भारत के हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान पर हमले की तैयारी में जुट गया|
गौरी ने एक बार फिर पृथ्वीराज चौहान पर विजय की कामना करते हुए चढ़ाई की| सूचना मिलने पर हिन्दू सम्राट ने चामुण्ड राय दाहिमा के नेतृत्व में साठ हजार सैनिकों को पानीपत के मैदान में गौरी को दण्डित करने भेजा| धीर पुण्डीर भी अपने 1400 पुण्डीर वीरों के साथ उस समरांगण में शरीक हुए| युद्ध आरम्भ होते ही धीर पुण्डीर शाहबुद्दीन गौरी के सामने जा पहुंचे| गौरी धीर पुण्डीर को देखते ही घोड़े से उतर कर हाथी पर सवार हुआ| धीर पुण्डीर ने अपने वीरों के साथ भयंकर हमला कर गौरी की सेना में खलबली मचा दी| देखते ही देखते धीर पुण्डीर ने गौरी के हाथी पर तलवार से वार कर उसका सुंड-मुंड अलग अलग कर दिया| हाथी के लुढकते ही त्वरित गति से गिरते हुए बादशाह गौरी के सीने पर चढ़ बैठा, तभी जैत्र परमार ने गौरी के छत्र, चिन्ह आदि छीन लिए| इस तरह गौरी धीर पुण्डीर की बांहों में कैद हो गया| उसकी सेना में भगदड़ मच गई| यह युद्ध इतना भयंकर था कि हजारों पठानों व अन्य सैनिकों के साथ तीन हजार पुण्डीर वीर रणखेत रहे|
युद्ध के छठे दिन धीर पुण्डीर ने गौरी को सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समक्ष दरबार में पेश कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की| सम्राट ने गौरी पर दस हजार घोड़ों का दण्ड लगाकर उसे रिहा कर दिया| दण्ड में मिले दस हजार घोड़े सम्राट ने धीर पुण्डीर को दे दिए| धीर पुण्डीर को मिले इस सम्मान के बाद जैत्र परमार, चामुण्ड राय आदि कई सामंत खफा हो उठे और उन्होंने धीर पुण्डीर के खिलाफ उसकी अनुपस्थिति में सम्राट के कान भरने शुरू कर दिए| उनकी बातों को मानकर सम्राट ने धीर पुण्डीर के पुत्र पावस पुण्डीर को दिल्ली से निष्कासित कर दिया| पावस पुण्डीर दिल्ली छोड़ लाहौर चला गया और इस घटना की सूचना धीर पुण्डीर के पास भेजी| सूचना पाकर धीर पुण्डीर सिंध की ओर से गौरी के पास पहुंचे| गौरी ने उनका स्वागत किया और अपने हाथ का लिखा पट्टा सौंपा, जिसमें आठ हजार गांव, एक सह्त्र तांबूल लिखा था| धीर पुण्डीर ने गौरी को यह कहते हुए पट्टा वापस कर दिया कि वह सम्राट पृथ्वीराज चौहान का सामंत है अत: किसी और को वह स्वामी स्वीकार नहीं कर सकता| धीर ने केवल रहने के लिए निवास हेतु गौरी की आज्ञा ली और लाहौर से अपने पुत्र पावस को भी वहां बुला लिया|
धीर पुण्डीर वहां एक टीला पर रह ही रहे थे कि कुछ सौदागर घोड़े लेकर आये| उनमें से दो हजार घोड़े धीर पुण्डीर ने ख़रीदे और बाकी सिफारिशी पत्र देकर उसे गौरी को बेचने हेतु भेज दिया| गौरी ने धीर का पत्र पढने के बाद बचे घोड़े खरीद लिए| गौरी के दरबार में खुरासान खां और ततारखां को यह सब ठीक नहीं लगा, उन्होंने गौरी को भड़काया कि धीर ने अच्छे घोड़े खुद रख लिए और बचे हुए आपके पास भेज दिए| सो गौरी ने सौदागर को कीमत नहीं चुकाई| पर जब धीर ने गौरी को पत्र लिखकर कहा कि सौदागर उसके शरणागत है सो उनकी कीमत अदा कर दे| तब गौरी ने मीर मसंदअली के साथ घोड़ों की कीमत धीर पुण्डीर के पास भेज दी जिसे उसने सौदागरों को दे दी|
उधर खुरासान खां और ततारखां ने षड्यंत्र रचते हुए सौदागरों के मुखिया काल्हन मीर को पत्र भेजा कि- “हमें सूचना मिली है कि धीर पुण्डीर तुम्हें मारकर तुम्हारा धन छिनने वाला है|” पत्र पाकर काल्हन मीर ने अपने साथियों के साथ मंत्रणा की कि धीर हमें मारे, इसके पहले हम धीर को मार देते है और यह निर्णय कर वे धीर पुण्डीर के पास पहुंचे और बातचीत करते धोखे से उसे मार डाला|
इस तरह धीर पुण्डीर ने जिन्हें शरण दी उन्होंने ही षड्यंत्र के शिकार होकर अपने शरणदाता की हत्या कर दी| जब यह समाचार दिल्ली पहुंचा तब सम्राट पृथ्वीराज चौहान सहित पूरी दिल्ली शोकमग्न हो गई|
सन्दर्भ : घटना का विवरण ठाकुर सवाई सिंह धमोरा द्वारा लिखित पुस्तक “सम्राट चौहाण पृथ्वीराज” से लिया गया है|
नोट : धीर पुण्डीर कहाँ से शासक थे, उनका इतिहास क्या है, विषय पर जानकारी अपेक्षित है| किसी भी सुधि पाठक के पास उनके बारे में ज्यादा जानकारी हो तो कृपया हमें भेजें|
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मेरे पास संपूर्ण जानकारी है , धीर सिंह जी जुझार हुए थे उनका स्थान भी है , " सूर्यकुल पुण्डीर वंश " पुस्तक आने वाली है.
श्री क्षत्रिय इतिहास शौध संसथान
Bhai अगर आपके पास धीर सिंह pundhir और चंद्र pundhir के जन्म दिवस की जानकारी हो तो हमें बताएं… इस नंबर पर 6398879487
Ankit Pundhir from kasganj (Etah) uttar pradesh
किसी भाई को धीर सिंह पुंडीर जी कि जन्मतिथि व मृत्युतिथि पता हो तो मेरे इस नंबर पर सेंड करें 9528279215 आपकी अति कृपा होगी धन्यवाद
हरिद्वार(मायापुर) के शासक चन्द्र पुंडीर सम्राट पृथ्वीराज चौहान के बड़े सामन्त थे,तुर्को से संघर्ष में चन्द्र पुंडीर,उनके वीर पुत्र धीर पुंडीर और पौत्र पावस पुंडीर ने बलिदान दिया।
ईस्वी 1192 में तराइन के दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद देश में तुर्कों का शासन स्थापित हो गया था,मगर उसके बाद भी किसी तरह दो शताब्दी तक हरिद्वार में पुंडीर राज्य बना रहा
[ Source : My Elder Ones & This Link ]
I feel pride that i am born in the kul of maharshi pundarik ie the destroyer of enemy who produced our great heroes Raja chandra’ dhir and pawas pundir. Please update us by great Pundhir history, thanks.
I’m proud to be a pundir Rajput
I am proud to
Be a pundir
Rajput
Jai bhawani
Bhai Ji Dhir Singh Pundir, Raja Chander singh Pundir ke putar the jo ki prithivi Raj Chauhan ke pachpan ke friend the. Dhir Singh Pundir ki sister ki Shadi prithivi Raj Chauhan se hui thi. Dhir Singh Pundir hardiwar ke raja the. Saharnpur, Haridwar, Ruskin, mujjfarnagar, shamli mai total 1440 village hai. Sher Singh Rana(fulan Devi ko Marne Wale and prithivi Raj Chauhan ki asthi afgaan se laane Wale) Pundir Rajput hai. Mai Sunil Partap Singh Pundir district saharnpur ke Pundir rajput family se belong karta hu, humare yaha humari itani pakad hai ke yaha Ka MLA bhi Pundir hi banta hai
Sunil bhai jankari dene ke dhanybad main pushpendra pundhir from sikandrarao Hathras agar aapke pundhir vans se Judi koi aur jankari ho to mujhe batyen mera mob no 9837368293
I am 26th descendent of Raja Chand Singh Pundir(Father of dheer singh Pundir).
Bhai koi mujhko Rajput samrat Dheer singh Pundir k I janmdivas k bare btado 9675662181 ye mera contact number h
Bhai mara name Arun pundir h or m meerut se hu mare mo no 9997856322 h or m Samrat dheer Singh pundir ka bhut bada bagat hu jai rajputana jai maa bhavani