राह पकड़ तू चल अनवरत झंझावातों से डरना मत।
पूर्वजों की यश कीर्ति ,गौरव को ऐ राही ऐसे खोना मत ।।
प्रभु स्वयं अवतरित हुए जिस कुल में,उसके दाग लगाना मत ।
जौहर की आग में कूद पड़ी जो उनका दूध लजाना मत ।।
स्वाभिमानी,गौरव,अमर वीर ,प्रताप का वंशज भूल मत ।
अपना सर्वस्व सुख त्याग कर प्रजा हित ताउम्र रहा रत ।।
समय बदल गया -राज बदल गया, किन्तु कर्त्तव्य न बदला भूल मत ।
तलवार छोड़ कलम पकड़ व्यर्थ समय को टाल मत ।।
इस युग की मृग तृष्णा के इन झुलोनो में झूल मत ।
क्षत्रिय वंश की आदर्श परिपाटी का, ना बना अब मखोल मत ।।
सधे कदम बिना रुके, बढ़ने से बने कारवां भूल मत |
अनावश्यक व्यर्थ प्रपंचों को देना तू अब तूल मत।।
समय बदल गया -राज बदल गया, किन्तु कर्त्तव्य न बदला भूल मत ।
तलवार छोड़ कलम पकड़, व्यर्थ समय को टाल मत ।।
Rajasthan ke Vishvavidhyalayo/ Mahavidhyalayo ke chunavee natije bhee to yahee darshate hai…
Dr. Bhom Singh Deora (Jakhri)
उत्साह जगाती रचना..
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल २१/८/१२ को http://charchamanch.blogspot.in/ पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है
ओजस्वी रचना ……….
इस प्रेरक रचना के लिए गजेन्द्र सिंह जी को बधाई ,,,
रचना पढवाने के लिए रतन सिंह जी बहुत२,,,आभार,,,,
RECENT POST …: जिला अनुपपुर अपना,,,
तलवार छोड़ कलम पकड़ व्यर्थ समय को टाल मत ।।
..बहुत अच्छी प्रेरक कविता .
कलम की ताकत को पहचानने का वक्त है.