35.3 C
Rajasthan
Tuesday, September 26, 2023

Buy now

spot_img

राघोगढ़ की साहित्य साधक कवयित्री रानी छत्र कुंवरी राठौड़

साहित्य साधक राजपूत महिलाओं में राणी छत्रकुमारी की गणना की जाती है| यह किशनगढ़ के महाराजा सावंतसिंह की पौती और रूपनगढ़ के महाराज सरदारसिंह की पुत्री थी| इनकी भुआ सुन्दर कुंवरी थी| छत्रकुमारी का विवाह भी राघोगढ़ के खींची महाराजा बहादुर सिंह के साथ हुआ था|
इनका “प्रेम विनोद” नामक एक ग्रंथ प्राप्त है| यह भी निम्बार्क सम्प्रदाय की शिष्या थी| “प्रेम विनोद” की रचना तिथि के आधार पर इनका कार्यकाल विक्रम की १९वीं सदी का पांचवा दशक ठहरता है| छत्रकुंवरी ने प्रेम विनोद काव्य कृति में अपना परिचय इस प्रकार दिया है—

रूपनगर नृप राजसी, जिन सुत नागरिदास|
तिन पुत्र जु सरदारसी, हों तनया तै मास||
छत्रकुंवरी मम नाम है कहिबै को जग मांहि|
प्रिया सरन दासत्व तै, हौं हित चूर सदांहि ||
सरन सलेमाबाद की, पाई तासु प्रताप|
आश्रम है जिन रहसि के, बरन्यो ध्यान सजाय||

छत्रकुंवरी का वणर्य-विवय कृष्ण और गोपिकाओं की लीला का वर्णन है| श्री कृष्ण के द्वारिका गमन के बाद गोपिकाएँ अपने प्रिय कृष्ण की पूजार्थ सुमन चुनने जाती है, वहां वे कदम्ब तरु शाखाओं से पुष्प चुनती है और प्रिय कृष्ण की स्मृतियों से भाव-विभोर हो जाती है| पुष्प चयन का यह प्रसंग निम्न प्रकार अवलोक्य है-

स्याम सखी हंसि कुंवरिदिस, बोली मधुरे बैन|
सुमन लेन चलिए अबै, यह बिरिया देन||
यह बिरिया सुख देन, जान मुसकाय चली जब|
यह बिरिया सुख देन, जान मुसकाय चली जब||
नवत सखी करि कुंवरि, संग सहचरि विथुरी सब||
प्रेम भरी सब सुमन चुनत जित तिच सांझी हित|
ये दुहुं बेबीस अंग फिरत निज गति मति मिश्रित||

इसी भाव की चार पंक्तियाँ देखिये-

गरवांही दीने कहूं, इकटक लखन लुभाहिं|
पग वग द्वे द्वे पेड़ पे, थकित खरी रहि जाहिं||
थकित खरी रहि जाहिं, दृगन दृग छूटे ते छूटे|
तन मन फूल अपार, दहुं फल ताह सु लूदे||

अंतिम पंक्ति में फूल शब्द श्लेष अलंकार का अच्छा उदाहरण है|

रानीजी की भाषा परिमार्जित और सुष्ठु है| काश! इनकी अन्य रचनाएँ भी मिल जाती तो इनके समग्र कृतित्व से ब्रज भाषा प्रेमी और भक्तजन रसास्वाद का लाभ ले पाते|

लेखक : श्री सौभाग्यसिंह शेखावत, भगतपुरा

राजपूत नारियों की साहित्य साधना श्रंखला की अगली कड़ी में कछवाहों की अलवर रियासत के महाराजा विजयसिंह की रानी आनंद कुंवरि राणावत का परिचय दिया जायेगा|

queen of raghogarh,chhatr kunwari,maharani raghogarh,raghogarh ki rani

Related Articles

4 COMMENTS

  1. बेइंतजामी के कारण न जाने कितने विद्वानों की रचनाओं का लाभ समाज को न मिल सका ..
    रानी छत्रकुमारी का परिचय अच्‍छा लगा .. बढिया प्रयास है आपका .. शुभकामनाएं !!

  2. बहुत शानदार शृंखला, आपके सार्थक प्रयास निश्‍चय ही प्रभावी परिवर्तन पैदा करेंगे।

    मेरी ओर से ढेरी सारी शुभकामनाएं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,872FollowersFollow
21,200SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles