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Thursday, March 23, 2023

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मेट्रो कैमरों के अश्लील एमएमएस पोर्न साइट्स पर : अपना किया भुगत रहे है !

आज सुबह ही हिंदी अख़बार “हिदुस्तान” में दिल्ली की मेट्रो रेल के सीसीटीवी कैमरों से बने अश्लील फूटेज के एमएमएस बना उन्हें पोर्न साइट्स पर अपलोड करने की खबर की पढ़ते ही दिल्ली मेट्रो रेल में यात्रा के दौरान देखी बेशर्म कथित आधुनिकता का ढोंग रचने वाले युवाओं व युवतियों द्वारा अक्सर की जाने वाली अश्लील हरकतें मानस पटल पर चलचित्र की भांति चलने लगी और मेट्रो रेल में यात्रा के दौरान देखे ऐसे दृश्य एक के बाद एक मानसपटल पर उभरने| खैर…

खबर में मेट्रो के सीसीटीवी से बने फूटेज से अश्लील फूटेज ले उनके एमएमएस बना पोर्न साइट्स पर अपलोड करने के बारे में चिंता जाहिर करते हुए संभावना व्यक्त की गई कि ये फूटेज सीआईएसऍफ़ और मेट्रो के पास होते है अत: दोनों में से किसी प्रतिष्ठान के कर्मचारी की मिलीभगत से ही ऐसा हुआ होगा|

अब तक इस तरह के कृत्यों के बारे में अक्सर होटल्स व परिधान शोरुम के कर्मचारियों के बारे में ही ख़बरें पढने को मिलती थी कि कैसे वे ख़ुफ़िया कैमरे लगा होटल के कमरों में रुकने वाले जोड़ों का व परिधान शोरुम के ट्राइल रूम में परिधानों की ट्राइल करती युवतियों के एमएमएस बना उनका दुरूपयोग करते है पर मेट्रो रेल जैसे प्रतिष्ठान व उससे जुड़े सीआईएसऍफ़ जैसे सुरक्षा बल के कारिंदों द्वारा ऐसी हरकत पहली बार सामने आई है अत: देश के ऐसे प्रतिष्ठित व जिम्मेदार प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों की मिलीभगत से हुए इस तरह के कृत्य निंदनीय तो है ही, साथ कर्तव्यहीनता भी है| इसकी समग्र जाँच करवा दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए|

लेकिन इस मामले का एक दूसरा पक्ष भी है जैसा कि मैंने ऊपर कहा कि मेट्रो रेल यात्रा के दौरान बेशर्म कथित आधुनिकता का ढोंग रचने वाले युवाओं व युवतियों की ऐसी अश्लील हरकतें कई बार मैंने खुद देखी है, इतनी भीड़ में बेशर्म होकर ऐसी अश्लील हरकत करने वालों को पता भी होता है कि मेट्रो रेल में कैमरे लगे है, मेट्रो रेल खुद थोड़ी थोड़ी देर में सीसीटीवी कैमरों से हर हरकत रिकार्ड करने की उद्घोषणा भी अपने परिसर सहित रेल डिब्बों में करती रहती है, फिर भी ये कथित आधुनिक और बेशर्म युवा ऐसी हरकत करने से बाज नहीं आते, साथ यात्रा कर रहे लोग भी टोकने पर खुद पर छेड़छाड़ व घूरने के आरोप के डर के मारे इनकी बेशर्म अश्लील हरकतों को नजरअंदाज कर मुंह फेरना ही उचित समझते है|

जब सार्वजनिक स्थान पर इन पढ़े लिखे जोड़ों को पता है कि ऐसी अश्लील हरकतें कैमरों में रिकार्ड हो रही है, पास खड़ा कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल से उनका एमएमएस बना उसे पोर्न साइट्स पर अपलोड कर सकता है फिर भी वे बैखोफ होकर खुलेआम अश्लील हरकतें कर नंगई पर उतारू है, जो खुद बिना किसी को पोर्न साइट्स पर जाए खुलेआम पोर्न दिखाने पर उतारूँ हो तो ऐसे लोगों के अश्लील एमएमएस यदि पोर्न साइट्स पर कोई भी अपलोड करे और फैलाये तो कैसा अफ़सोस ? और जिनके एमएमएस पोर्न साइट्स पर फ़ैल चुके है उनके साथ कैसी हमदर्दी ?

मेरी नजर में जिन्होंने सार्वजनिक जगहों पर ऐसी हरकतें की है, उन्हें उनके किये का फल इस रूप में मिल गया| अत: मुझे इन एमएमएस पीड़ितों से कोई हमदर्दी नहीं|

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28 COMMENTS

    • बुनियादी शिक्षा का अभाव के साथ मनोरोगी होते ये लोग ,मनोवैज्ञानिक से परामर्श की आवश्यकता होती इनको .

  1. इन्द्रिया घोड़ो के वेग से दौड़ती हैं .ये बेशर्म नही होते बल्कि इनको एक बीमारी हैं ये वो लोग होते जिनको सेक्स के कमजोर किस्म के अवतार होते ………………………..

  2. मुझे आश्चर्य न होगा अगर वे रतन सिंह शेखावत के इस लेख को एक गंवारू लेख का दर्ज़ा दे दें !!
    वे एडवांस हैं हम पिछड़े !
    आभार !

    • सही कह रहे है सतीश जी ! हमें तो गवांर, रुढ़िवादी ही समझेंगे ये छिछोरे !!
      मेट्रो में यात्रा करते समय एक दिन एक जोड़े की हरकत देख रहा नहीं गया और उसे हड़का ही दिया कि- "जो करना है घर जाकर करना यहाँ दूसरों का क्यों मूड ख़राब कर रहे हो", तब जाकर जोड़ा अलग-अलग हुआ| एक दिन गुडगांवा के एक मेट्रो स्टेशन पर तो हद ही हो गयी स्टेशन पर ही एक जवां जोड़ा अश्लील हरकतें करने लगा, मेरे साथ चल रहे सीआईएसऍफ़ के अधिकारी ने उन्हें लताड़ पिलाई तब झैंपते हुए भाग खड़े हुए ||

    • सतीश जी, बेशक ही लोग गंवारू लेख का दर्जा दे दें लेकिन . सार्वजनिक रूप से छिछोरेपन को उचित तो नही ठहराया जा सकता.

      यदि इस बात का समर्थन करना गंवारूपन है तो हम डबल गंवार कहलाना पसंद करेंगे.:)

      रामराम.

    • ताऊ जी
      @ छिछोरों की मारपीट करने की हिम्मत तो नहीं पड़ती पर हाँ इनके साथ की छिछोरियों द्वारा छेड़ने या घूरने के आरोप आशंका बराबर बनी रहती है जिससे हर कोई बचना चाहता है !

    • हम लोगों के और हमारी पीढ़ी की सोंच में भी कुछ फर्क था मगर अब तो स्केल कुछ अधिक ही बड़ा है …
      शायद हमारे सोंचने से बहुत आगे ..यह सब उनके लिए सामन्या व्यवहार है !
      लिव इन सम्बन्ध एक उदाहरण हैं ही !!

  3. सही कहा आपने, प्रेम का इजहार सार्वजनिक स्थलों पर करने का यह सही प्रतिफ़ल ही समझना चाहिये. मर्यादाओं का उल्लंघन करके और क्या मिलेगा?

    रामराम.

    • काजल भाई सही कहा आपने ! रतन जी समाज को उसका दर्पण दिखाने के लिये आपको हार्दिक आभार

  4. यहां तो शूट द मैसेंजर वाली बात हो रही है…सब हाथ धोकर पीछे पड़ गए हैं कि मेट्रो के स्टाफ में से किसने सीसीटीवी फुटेज लीक की…आज एच टी के सिटी पेज पर कई प्रबुद्ध लोग राय देते दिख रहे हैं कि विदेश जाकर देखो कैसे जोड़े सार्वजनिक जगहों पर क्या क्या करते रहते हैं…यहां मेट्रो में अकेले में जोड़े ने ऐसा वेसा कुछ क्या किया कि खामख्वाह बवाल मचा दिया गया…सत्य वचन…भारत सही जा रहा है…

    जय हिंद…

  5. संस्कृति के पतन व सामाजिक मान्यताओं -जिम्मेदारियों से मुक्त होने के ही परिणाम हैं साहब ये .समाज के बेहद ही विकृत रूप का निर्माण करते ये नादान लोग ये भूल जाते हैं की ऐसी ही किसी हरकत में इनका होने वाला जीवनसाथी भी कही किसी मोड़ पर इन्वोल्व होगा .अपना ही कोई भाई -बहन भी ऐसी ही कोई हरकत कर रहा होगा .गलती किस की मानते हैं आप ?इन जोड़ों की ?सभ्यता के पैरामीटर पर माइनस होने के जिम्मेदार क्या ये लोग हैं ? दोषी कौन है ,ये जोड़े ? नहीं प्रभु ….दोषी आप और हम हैं ,वो समाज है जो इन्हें पहचान कर भी इनका सामाजिक बहिष्कार नहीं करता अपितु इनके पाश्च्यात होने पर इनसे इम्प्रेस होता है .गुनेहगार वो माता पिता हैं जिन की ये संतान हैं ,गुनहगार वो अध्यापक हैं जिन्होंने इन्हें पहचानने में भूल की ,इन्हें समाज का सही अर्थ समझाने में जो चूक गए .गुनेहगार वो सारी भीड़ है जो ऐसी हरकतों का मजा ले रही होती है .और ऐसी हरकतों में लिप्त बेशर्मी की हदों को पार कर रहे ऐसे युवाओं को मेरा सन्देश है की ये बात समझ लें की जो भी अपनी युवावस्था में ऐसी मानसिकता रखते हैं उनका दाम्पत्य जीवन कभी सुखी नहीं रह पाता ,साथ ही उनकी अपनी संताने उन को बुढापे में वो दुःख देती हैं जिस की कल्पना भी वो नहीं कर सकते . और मैं तो मेट्रो प्रशाशन से प्रार्थना करूँगा की ऐसी हरकतों को तो तुरंत सार्वजनिक कर हर स्टेशन पर दिखाएँ .हर लोकल चैनल व नेशनल पर चलायें ताकि इन हरकतों में लिप्त लोगों के माता पिता व समाज को इनके बारे में पता चले .समाज इन्हें पहचाने व कोई माता पिता भविष्य में अपने सभ्य बच्चों की शादी इन से न करें .आप मात्र सामाजिक बहिष्कार का डर कायम रखकर ही अपनी मान्यताओं को जीवित रख सकते हैं .अन्यथा बहुत कम परिवार रह गए हैं जहाँ बच्चों पर नियंत्रण है .कहते हुए संकोच होता है की कई टी वी प्रोग्राम्स में जब छोटे बच्चों को अपनी आयु से बडी बातें -हरकतें करता देखता हूँ तो सरकार पर तो गुस्सा आता है किन्तु उन बच्चों के माता पिता पर रहम आता है .ये सब सोसाइटी में खुद को स्पेशल मानने की गलत सोच का ही तो रिसल्ट सामने आ रहा है .बच्चों को बच्चा रहने दें .अधिक हाई -फाई होने के भ्रम में अपना व उनका दोनों का भविष्य बर्बाद न करें .

  6. दिल्ली में मेरे गाँव के एक लड़के का एक पुलिसवाला दोस्त है वो दामिनी केस के बारे में बता रहा था की कैसे दामिनी और उसका बॉयफ्रेंड नाईटशो देखकर आने के बाद बस में आपस में अश्लील हरकतें करने लगे जब मुकेश(इस केस में आरोपी) ने उन्हें मना किया और कहा कि आप एसा करोगे तो हमारे भी जी में आ जाएगी तो उस लड़के ने कहा कि ये हमारा पर्सनल मामला है लेकिन इस बात को दबा दिया गया

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