परमारों का विस्तार- उज्जैन छूटने के बाद परमारों की एक शाखा आगरा और बुलंदशहर में आई। उन्नाव के परमार मानते है कि बादशाह अकबर ने उन्हें इस प्रदेश में जागीर उनकी सेवाओं के उपलक्ष में दी। यहाँ से वे गौरखपुर में फैले। कानपुर, आजमगढ़ और गाजीपुर में परमार उज्जैनियां कहलाते हैं जो यहाँ बिहार से आये। इनके मुखिया राजा डुमराँव है। उज्जैनियां कहलाने से यह सिद्ध होता है कि वे उज्जैन से ही आये थे। ललितपुर और बांदा में भी परमार मिलते है। मध्यप्रदेश में इनके दो राज्य थे। नरसिंहगढ़ और राजगढ़। मध्यप्रदेश में परमारों की बहुसंख्या होने के कारण वह क्षेत्र बहुलता के कारण परमार पट्टी कहलाता है। गुजरात में इनका राज्य मामूली था। राजस्थान में जोधपुर (मारवाड़) तथा उदयपुर (मेवाड़) जैसलमेर, बीकानेर और धौलपुर इलाकों में हैं। उदयपुर में बिजौलिया ठिकाना सोला के उमरावों में से था। धौलपुर में ये बड़ी संख्या में है। जिन्द और रोहतक में वराह परमार हैं जो जैसलमेर पर भाटियों के अधिकार कर लेने पर पंजाब में जा बसे थे। मेरठ, फर्रुखाबाद, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, बाँदा, ललितपुर, फैजाबाद व बिहार में भी ये बड़ी संख्या में स्थित हैं।
आजादी के बाद- पंवारों में अनेकों कुशल राजनीतिज्ञ हुए हैं जिन्होंने भारत के नवनिर्माण में सहयोग प्रदान किया है। राजमाता टिहरी गढ़वाल लोकसभा की सदस्या रही। उनके पुत्र मानवेन्द्र शाह उनके बाद संसद सदस्य चुने गये। मानवेन्द्रशाह इटली में भारत के राजदूत भी रहे हैं। उनके भाई शार्दूल विक्रमशाह भी राजदूत रह चुके हैं। नरसिंहगढ़ के महाराजा भानुप्रतापसिंह लोकसभा के सदस्य व बाद में इन्दिरा गांधी के मन्त्रीमण्डल के सदस्य बने। आपके पुत्र मध्यप्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे। बिजौलिया राजस्थान के राव केसरीसिंह राजस्थान विधानसभा के सन् 1952 में विधायक चुने गये।
सन् 1971 के भारत पाक युद्ध के समय विशेषकर लक्ष्मणसिंह सोढ़ा का सहयोग विशेष उल्लेखनीय है। इनके सहयोग से ही भारतीय सेना जयपुर नरेश ले. कर्नल भवानीसिंह के नेतृत्व में घाघरापार और वीराबा क्षेत्रों में दुश्मन को परास्त कर अधिकार कर सकी।
स्पष्ट है परमार वंश में राजा भोज जैसे दानी कुंवरसिंह जैसा बहादुर योद्धा और लक्ष्मणसिंह सोढ़ा जैसे राष्ट्रधर्म के पुजारियों ने जन्म लिया। यह वीर वंश है जिसने अनेकों योद्धाओं को जन्म दिया, पाला और देश को समर्पित कर दिया। मुहणोत नैनसी के अनुसार परमारों की 35 मुख्य शाखायें मानी जाती हैं। विभिन्न विद्वानों में इस पर मतभेद भी है परन्तु वर्तमान में परमार वंश की कुल ज्ञात शाखायें 184 हैं।
लेखक : देवीसिंह, मंडावा
मुझे धौलपुर में परमार वंश की जानकारी चाइए करपाय जानकारी दे
Bijoliya ke panwar ki jankari uplabdh karate…
jisko jo jankari chaiye parmar rajvansh ki vo is no par ph kare 6392256839 rahul singh parmar
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