फिल्म पद्मावत मामले में चुप रहने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी इस मुद्दे की गंभीरता राजस्थान उपचुनावों की तीन सीटों पर हार के बाद समझी है| आपको बता दें पद्मावत फिल्म मुद्दे पर केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध ना लगाने पर राजपूत समाज भाजपा से नाराज है और अपनी नाराजगी जताने के लिए राजस्थान के राजपूतों ने उपचुनावों की तीन सीटों पर भाजपा के खिलाफ मतदान कर उसे हरा दिया| ज्ञात हो राजपूत समाज भाजपा का पारम्परिक वोट बैंक रहा है और भाजपा नेता इस मुगालते में थे कि राजपूत कहीं नहीं जा सकते और इसी सोच के आधार पर भाजपा में राजपूतों की उपेक्षा होने लगी|
अपनी उपेक्षा से नाराज राजपूतों की नाराजगी पद्मावत फिल्म, चुतरसिंह एन्काउन्टर, आनंदपाल एन्काउन्टर, राजमहल प्रकरण के बाद और बढ़ गई| लेकिन भाजपा व संघ राजपूतों की इस नाराजगी को उपचुनावों में हार के बाद ही भांप पाया| हार के बाद एक तरफ भाजपा के नेता राजपूतों को साधने में लगे हैं वहीं संघ भी राजपूत नेताओं से मिलकर उनकी नाराजगी पर ठण्डा पानी डालना चाहता है| यही कारण है कि संघ के कई बड़े पदाधिकारी पिछले दिनों कई प्रमुख राजपूत संगठनों के नेताओं सहित मेवाड़ के पूर्व महाराणा महेंद्रसिंहजी से भी मिलकर पद्मावत विवाद के बाद उपजी नाराजगी दूर करने व मोहन भागवत से भी मिलाने की कोशिश की लेकिन मेवाड़ के पूर्व महाराणा व संगठनों ने संघ पदाधिकारियों को घास तक नहीं डाली|
आपको बता दें उपचुनाव में हार व दिल्ली में सभी क्षत्रिय संगठनों की एक एकीकृत “क्षत्रिय संसद” बनाने की गतिविधियों के बाद राजपूत एकता नहीं होने देने के लिए भाजपा व संघ की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ी| भाजपा की और से खुद गृहमंत्री राजनाथसिंह इस कार्य में संग्लन थे और शायद उन्हीं के प्रयासों के बाद राजपूत संगठनों में फूट पड़ी और क्षत्रिय संसद की अवधारणा फुस्स हो गई|
सूत्रों के अनुसार राजपूत समाज का मंच साझा कर उनकी नाराजगी पर ठंडा पानी डालने को आतुर संघ प्रमुख मोहन भागवत एक राजपूत संगठन को मंच साझा करने के लिए राजी कर चुकें है और आगामी महीनों में उस संगठन के मंच पर वे नजर आयेंगे| लेकिन मेवाड़ का पूर्व राजपरिवार नहीं चाहता कि मोहन भागवत किसी राजपूत संगठन का मंच साझा करे| सूत्रों के अनुसार मेवाड़ का पूर्व राजपरिवार मोहन भागवत को मेवाड़ में किसी भी राजपूत संगठन द्वारा बुलाये जाने पर विरोध करेगा| मोहन भागवत को लेकर पूर्व महाराणा व राजपूत संगठनों का मानना है कि फिल्म सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष प्रसून जोशी संघ का आदमी है और पद्मावत फिल्म को प्रदर्शन कराने में उसी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि संघ चाहता तो उसे कहकर रोक सकता था, पर संघ ने ऐसा नहीं किया|
आपको बता दें आजतक संघ भाजपा अपनी विचारधारा बढाने के इए मेवाड़ के इतिहास को खूब भुनाते आये हैं पर जब पद्मावत फिल्म मुद्दे पर मेवाड़ के स्वाभिमान की बात आई तो संघ भाजपा ने चुप्पी साध ली| यही नहीं पूर्व महाराणा सहित राजपूत संगठन संघ भाजपा को क्षत्रिय एकता में बाधा भी मानते है| भागवत का विरोध कर रहे राजपूत संगठनों का मानना है कि अब जब संघ को लग रहा है कि आगामी चुनावों में राजपूत भाजपा को वोट नहीं देंगे, तब उनकी नाराजगी दूर करने के लिए संघ राजपूत संगठनों से प्यार की दिखावटी पींगे हांकना चाहता है|
In kachha dhariyon se door rehna hi theek hai meetha jeher dete hai ye
“Cigarette packet par kanoonan likkha jaata hai ‘tambaku sevan khatarnakh hai’. (Avishvasniya) Netaon kay liye bhi isee tarah ka sa sign-board anivarya hona chahiay,
जैसे सिगरेट पैकेट पर कानूनन लिखा जाता है कि सिगरेट पीना खतरनाक है वैसे ही नेताओ के आगे भी लिखा होना चाहिए कि यह समाज को तोड़ने के लिए देश कप बेचने के लिए आपको लूटने के लिए निकले हैं “