मेट्रो रेल में यात्रा करने वाले स्वछंद जोड़ों द्वारा की जाने वाली अश्लील हरकतों के सीसीटीवी फूटेज पोर्न साइट्स पर अपलोड होने की खबर के बाद खड़े हुए बखेड़े में हर कोई कूद रहा है, मेट्रो रेल कोर्पोरेशन ने जहाँ इस मामले की विभागीय जाँच शुरू की है दिल्ली पुलिस भी इस मामले में दोषियों को पकड़ने में जुटी है वहीँ सभी अख़बार इस खबर पर प्रमुखता देते हुए लोगों की प्रतिक्रिया व अपने अपने संपादकीय में इस मामले में विचार छापने में लगे है तो महिला आयोग ने भी इस प्रकरण में संज्ञान लेते हुए इस कृत्य को महिलाओं की निजता पर प्रहार बताया है|
कुल मिलाकर हर कोई इस मामले में मेट्रो रेल, सीआईएसऍफ़ की आलोचना करने व दोषियों को सजा देने की मांग करते नजर आ रहे है| इस तरह के कृत्य करने वाले को कोई भी सभ्य समाज बर्दास्त नहीं कर सकता अत: दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग उचित है|
पर इस मामले में अब तक जितनी प्रतिक्रियाएं पढने को मिल रही है सभी इस कृत्य को निजता पर प्रहार मान रहे है पर सार्वजनिक स्थल पर ऐसी अश्लील हरकत करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग कोई नहीं कर रहा|
तो क्या इसका मतलब यही है कि हमारे समाज ने सार्वजनिक स्थलों पर ऐसी अश्लील व घिनौनी हरकतें करना जायज समझ लिया है ?
और यदि इस तरह के कृत्य जायज है, सामाजिक तौर पर मान्य है तो फिर सार्वजानिक रूप से की जाने वाली हरकतों से किसी की निजता पर प्रहार कैसा ?
जो कार्य सार्वजनिक किया जा रहा है उसे कोई आँखों से देखे या उसके फूटेज किसी वेब साईट पर देखें क्या फर्क पड़ता है ?
जब इस तरह के कुकृत्य आधुनिकता के नाम पर जायज ठहराने की कोशिश की जा रही है तो फिर फूटेज इंटरनेट पर अपलोड करने की जाँच का ड्रामा करने व जाँच में समय व धन खर्च करने की क्या आवश्यकता ?
ठीक ही तो है,जब उन्हें ऐसी बेशर्मी से परहेज नहीं तो दूजे कब तक उसे छिपाएंगे इसे रोकने का एक मात्र तरीका भी यही है.
जिन्हें स्वयं ही निजता का मोल नहीं, उन्हें समाज से क्या अपेक्षा हो।
सत्य वचन
सार्वजनिक स्थान पर जो हो रहा है वहाँ निजता की बात कहाँ से आ गयी !!
फूहड़ता को आधुनिकता का नाम देकर ना जाने किस और जा रहा है युवा।
निजता बरकारार रखनी हो तो इन सब बातों से बचना चाहिये. भारतीय समाज आज भी कहीं ना कहीं अपनी परंपराओं में जीता है.
रामराम.
सही कहा
प्रणाम
आपकी बात से पूर्णतः सहमत….
आप से पूर्णतया सहमत!!