35.8 C
Rajasthan
Friday, June 9, 2023

Buy now

spot_img

लोकदेवता वीर तेजोजी

Lok Devta Vir Tejaji पर राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार, इतिहासकार श्री सौभाग्यसिंह जी शेखावत की कलम से ……………..
‘इण धरती रा ऊपज्या तीतर नह भाजन्तं’ रा बिड़दावरी मैंमा वाळी राजस्थान री भौम सदा सूं ई आगौलग सूरां पूरां जूझारां री जणैता कहिजै है। राजस्थान रा धोरां टीबां, खाळ-वाळ नै भाखर-डहरां में कुंण जाणै कितरा माई रा लाल, दुसमणां रा खैंगाळ, हेतुवां रा हिमायती, बचन रा पाळगर, आंटीला, अणखीला, हठीला पराई छठी रा जगावणहार हुया है, जिकां रौ लेखौ-जोखौ बेहमाता इज लगा सकै है। राजस्थान रा लाखीणां मिनखां सूं हेत-प्रीत राखै तो उणां रै तांई आप रा जीव नै कूकड़ी रा काचा तार री नांई तोड़बा नै त्यार रैवै अर आंट-अड़कसौ करै तो खुद मर जावै पण लुळै नीं। थोड़ा-सा उपगार रै बदळै घणौ सारौ उपगार करण रौ सुभाव अठां रा पाणी-पवन री तासीर है। राजस्थान रा इसड़ा बचन वीरां में सूरवीर तेजोजी गिणती जोग हुवा है।

तेजोजी रौ जळम नवकोटि मारवाड़ रै नागौर पड़गणां रै खड़नाळ नांव रा गांव में खींचियां रै हुयौ हौ। बै जाट जात रा धोळिया गोत रा घरां पळिया। मां-बाप रा लाडेसर, लाड रा पालणां में झूलियोड़ा, साथी साईनां रा हेताळु तेजोजी रौ ब्याव नान्हीं उमर में इज है गयौ हौ। पैली सूं ही चालता रवैज रै कारण तेजोजी रौ ब्याव पीळा पौतड़ा में इज किसनगढ़ रै पणेर गांव रा चौधरियां री सुंदर नांव री डीकरी रै साथै हुयै हो। पण, जद तेजोजी इतरा ल्होड़ा हा के ब्याव नै टाबरां रा म्हैंदी मांडिया म्हैं हीं भजाणियां खेल-ख्याळ्यां सूं घणो क्यूं इज नी समझता। समै पाय दिन बधता रात बघता दोलड़ा हाड पगां रां डावड़ा तेजोजी उमर री बीसी में सागैड़ा जोध जुवान व्है गिया। घोडै़ चढै अनै घोड़ा नै रहवाळ, सरपट, दुड़की चालां सिखावै। भालां रा निसाणां साधै। साथीड़ां सूं होड मांडै। घर में गायां भैसियां दूजै। धान-पात रा अखार-बखार भरिया। च्यारू मेर सूं रामजी राजी। पण, परमेसर री लीला न्यारी है। उण नै फूलणौ तो फूल रौ मी नीं भावै। तेजोजी आप रा साथीड़ा रै साथ रमता घोड़ी नै फलंगां कूदावता खड़नाळ रै पणघट माथै आय नैं घोड़ी नै हरिये रूंख री डाळ रै बांध नै संपाड़ी करण नै घाट माथै पग मेलियौ। जितै तौ मांनां गूजरी खाथी-सी घड़ा नै जळ में डूबावती बोली-

छोडो सरवर घाट पाणी भरबाद्यो म्हांने घड़लौ बैवड़ो।
परले घाटे पाणी भरले अे गूजर री जायी सेवा साधां साळगराम की।

दूजेड़ै घाटे लाळा जमगी पगल्या थिसळे फूटे सोवन बैवड़ो ।
पगल्यां ने गाढा रोपौ दोन्या हाथ में ढाबो घड़लो बैवड़ो।
धग धग धूजै म्हारां पांव हाथ में आवै म्हारै बांयटा।।
अंतपंत में माना घड़ौ भरनै तेजोजी ने ऊंचावण तांई कह्यौ-
भरिया मांठ ऊंचाद्यो तेजल हींटोड़ी कवांड़ी बालूझे रोवे पानणै।
रितोड़ा ऊंचाद्या दोय नै च्यार भरियां रौ लागे दोसड़ो।।
कद को झाल्यो तूं तेजल ओ व्रत कद की सारे सेवा साळगराम की।
थांरी सेवा में पड़िया कांकरा कोई थांरी जोड़ायात उडावै ऊभी कागला।।
कांकड़ में ऊभी बेल ज्यूं सुखै थांरोड़ी परण्यौड़ी सायधन बाप रै।
कूड़ वचन मत बोल अे मानां गूजरी अखनकंवारी म्हांरी ओसथा।।

मानां गूजरी सूं तेजोजी आप रै ब्याव री बात संभळ नै दड़ाछंट घोड़ी नै दड़बड़ाय नै घरां आया अर आपरी जामण नै मुलक नै पूछियौ-

हंस नै सीख देवौ मायड़ दिलड़ौ उड़ लागौ रंग भरिये सासरे।
कुण थन्नै सीख सिखाई बाला किण भरमायौ जावै सासरे।।
हिवड़ै सीख सिखाई म्हारी मायड़ साथाीड़ा रै साथै सुरंगे सासरे।
हिवडै़ हांस घड़ाद्यू बाला साथीड़ा चबाद्यंू दूध्या खोपरा।।

तेजोजी री मां तेजोजी ने अंवली-सुंई घणी बातां में बिलमाबा री घणी ही चत्राई करी पण सासरा रौ कौड मजीठ रौ रंग छूटै तो इज छूटै। छेवट तेजोजी सासरा रौ पतौ-ठिकाणौ बूझबानै भावज कन्नै टाबर मोकळियौ। पछै सासरा री सुरंगी बातां, साळियां रा मीठा मुळकता बोल, सासू रौ लाड, साळां री मनवारां री बातां चितारतौ सूघौ भावज रै माळिये जाय नै बोलियौ-

कांई सूती कंई जागै भाव म्हांरी डाबरिया नैणां में घुळरेयी बैरण नीदड़ी।
कांई कामां आयो देवर लाल कंई भळावौ औळग चाकरी।।

पण दसां डावड़ौ कहीजै नै बीसां बावळौ बाजै। इसी उमर में मोट्यार धाड़-फाड़ व्है जावै। उणनै आसमान टीपरियौ सौ लखावै। जवानी रा जोस सूं बूकिया फाटै। सौ तेजोजी भी आपरी भावज रा नाट कटखारा नै लोप नै सासरा रा नसा में मस्तयोड़ौ मेड़ी सूं हेटै आयौ। आपरी घोड़ी नै पिलाणी। घोड़ी रै पछेवटी घाली। पगां में टणमण करती नेवरियाँ पैहराई। गळे में कांठलौ घालियौ। किलंगी माथै टांगी। रेसम री डोर रौ चौकड़ौ लगायौ। साथीड़ा नै साथै लिया नै सुरंगा सासरा रै गैले बहीर हुवौ। सैरा में दूवा प्हाळी आड़ता, हंसता-हरखता पनेर रै गैले जावै।

घोड़ी धीरी मधरी चाल अे घोल्यार री घोड़ी टल्लो मारैली सैरयां सांकड़ी।
दिलड़ा में धीज राखौ ओ धणी म्हारां अेके फटकारे निकळू सैरयां बारणे।।

सिंदूरिया रंग रौ बीजळसार रौ भालौ चमकातौ तेजल वीर बग्यौ जाय हौ। गळे में राज रौ दांणी चूंतरौ आयौ। तेजोजी घोड़ी रै अेड मारी नै घोड़ी झट सूं दांणी चौकी री हद सूं बाहर जाती ढ़मी। आगै जावतां ऊजाड़ रण रोही में बासतै रा धपळका उठै। पांखांळा पंखेरू तो पांखामबळ सूं उड़नै छेटी परा गया। पण, पेट पिलाण्या रिगसणा सांप कठै जावै ? कांनी-कांनी सूं लाय री झळौं टूट-टूट नै पडै़। सूरिया अर परवाई रा फटकारां सूं आखी बनसपती, रूख, झाड़, बांठ बळ नै राखरड़ौ बणग्या। आग री लपटां में आकळ-बाकळ मौत रौ पाँवणौ बासग नाग अेक बाळा में पलेटा मारै पण जाबा तांई कठी नै भी गैली नी मिळै। इतरा में दया रौ समंद तेजोजी झट घोड़ी नै थांम नै आपरी ढाल अर भाला रै सहारे बासग नै आग सूं काढ़ण नै लपकियौ-

एक नळौ बुझायौ दूजौ बुझायौ तीजा में बळग्यौ बासग देवता।
भालो उठायौ ढाल झैल्यौ बारै काढ्यो बळतौड़ी लाय सूं।।
दूधां रा डौनां भर लायौ बासग ने पायौ काचौ दूधड़ौ।
आधौ तो पायौ बासगदेव ने आधा सू संपड़ायौ बासगराज ने।।

बासगदेव रौ आकळ-बाकळ-जीव दूध सूं ठाणै आयौ। जद बासग आपरा प्राणां रौ बचावणहार, बळती आग सूं उबारणहार, परोपगार रा सप्राण हूतळ तेजोजी नै डसण रौ मतौ उपायौ। तीरथ न्हाता पाप आ लागै। होम करतां हाथ बळबा वाळी बात व्हैगी। बासग बौल्यौ-

थांने डसूंला ओ घोड़ीजीवाळा लायां बळतां क्यूं बारै काढ़ियौ।
गुण करतां ओगण क्यूं मानै रै बासगराजा बळतोड़ी लायाँ सुं तन्ने काढ़ियौ।।
गुण रौ ओगण मानै तो बासगराजा जळै तौ फेर जळाद्यू बळती लाय में।
अब जळायां कांई व्हैवे ओ घोड़ीवाळा म्हांरी जोड़ी री जळगी पदमां नागणी।
अब जळाद्यूं तनै दूध्या नारेळां ऊपर कूडाद्यंू धोळी गायां रौ धीरत मोकळौ।
अब जळायां काँई व्हैवै घोड़ीवाळा वैकूंटा जाता। थां पाछौ फैरियौ।
अबरके हैले म्हांने जाबाद्यौ ओ बासगराजा बारै बरसां में जाऊं सासरै।।
कुंण थांरी साख भरसी ओ तेजा कुंण चड़ेला बन में थांरी सार में।
चांद सूरज म्हांरै साखी ओ बासगराजा सांखां में पड़सी बांबी रा सूखा खेजड़ा।

ऊभा ढबगा चांद सूरज हरिया व्हैग्या बांबी का सूखा खेजड़ा।।
वाचा देरै सासरे जावौ तेजा बेगा आज्यौ बांबी पाछा आवतां।।
बचन देरै सासरे जावंू ओ वासगराज बचनां रौ बंधियौ बांबी आवस्यूं।।
बचन चूकै सौ ऊभो सूखै। औ ! बासगदेव बचनां पर बंधियौ बांबी आवस्यूं।।

सूरवीर तेजोजी बासगनाग ने वाचा देवतौ कह्यौ-जै पताळ रा राजा बाप नै बचन तौ अेक इज हुवै है। कूड़ भाखै नै बचन लोपै सौ दोगलौ गिणीजै। छल छंदगारौ फरैबी नरक कुण्ड में पडै़। बचना सूं बंधा चांद सूरज उगै। सांच पर लोक रौ कारबोवार चालै। इण भांत चांद सूरज री साख भराय नै वीर तेजोजी आगे बहीर हुयौ। घोड़ी नै ठसका सू हांकतौ थको आपरै सासरै रै गौखै राजाजी रा बाग पर फळसे जा पहुंचौ। बाग री मालण नै हैलो देवतौ बौल्यौ-

बागां री खिड़क्यां परी खोलौ ओ माळ्यां झूमा बागां रौ रसीलौ ऊभो वारणै
जड़िया बजर किंवाड़ ओ गैला का पछी ताळा ढंकिया बीजळसार रा।।
असी मारूं अहड़ी फटकारूं हाथां का चटकीला चाबक कौरड़ा री।
किण रै मारै किण रै सुरड़े चटकीला चपळा तळबळ कौरड़ा री-
थारै सरीखा बगता मारग आवै दिन में साढा तीन सै।
म्हांर सराखो म्है ही दीखूं अे माळ्यां री झूमां सांचकले-
उणियारै रूणीचौ रामां पीर सो।
कुण गढ़ां रा मानवी ओ थे किसै जावौ मोटा राजा री चाकरी।
खड़नाळ नगरी रहबौ म्हांरो अे झूमां थांरी नगरी में आयो प्यारो पाहूणौ।
थांरोड़ी नगरी में माळ्यां री झूंमा तेजल तोरण मारियौ।
सुंदर रा स्याम म्हंतो थांरी साळी ओ जीजा म्हांरा-
बारा बरसां में आया प्यारा पाहुणां।।

घणा दिनां सूं काग उड़ाती, सूण व्यौपाती सुंदर आपरी जोड़ी रा जलाल, सिर रा सैवरा, आख्यां रातारा, हिवड़ा रा हार, नै जीव री जड़ी मोट्यार नै आयौ जाण मोरड़ी री भांत नाचण लागी। गीतेरणियां नै बुलावौ मैलियौ। साथणियां सुंदर नै सिंणगारबा लागी-

गीतेरण्यां ने हैलौ पाड़ौ अे मात्यां री झूमां हरखाऊं बुलावौ माणक चौक में।
गळै पैरयौ गेंद गळा को तेजल री सुंदर भंवरला हाथों में बींटी मूंदड़ी।
कुं कूं कैरा पगल्या मोड्या तेजल री सुंदर भवरला हाथां में मेंदीराचणी।
सुंदर केसां में पौया मौती लाला काई डाबर नैणां में सुरमो सारियौ।।
हाथां में झाल्यौ गंगा जमनी बेवड़ौ माथा पर मेली रेसम चूंपली।

सुंदर गैणां में लूम-झूम हुई थकी साथणियां रै घूमरै बाग-बावड़ी कांनी चाली। साथणियां हंसती पहप बिखेरती पूछै है-

हमैं थांरा बालम ने पिछाणौ ओ बाई किसै उणियारै बाल्हौ पांहुणो।
अगलां-बगलां में बाकैं साथीड़ा बहवै अधबिच में दीपै परण्यौ स्याम।।
कंई सूरत रौ थांरौ परण्यौ औ बाई किसे उणियारै थांरौ स्याम।
साँवळी सूरत म्हांरो राईवर अे बैनां सूरज उणियारै स्याम।।
और रा पट्टां में अंतर बासै बालम रै बासै मूंघौ केवड़ो।।

सांझ री गूधळक रै साथै तेजोजी आपरै सासरै री पोळ जाय नै ऊभो रहियौ। घोड़ी हिणहिणाई। तेजोजी री सासू दूध-दुवारी में लागी ही। घोड़ी रै हींसणां सूं टोगड़िया बिदक नै गायां ऊछळगी। दूध-दुवारी में भीजोग पड़ गियौ। तेजोजी री सासू आव देख्यौ न ताव बड़बड़ाटा करती तेजोजी नै राम मारियौ, ठालौ भूलौ इणवेळां कुणबळ्यौ है। गायां नै बिदका दी। सबद कै’र इकसांसी सौ गाळ कुबोल गाळ काढी। तेजोजी रै मन रौ उळ्ळास, हरख-कोड, हुंसैर खेजड़ां चढ़ग्यौ। पग बठै रा बठै ई जांणी चिपक गिया। झाळ में मुंहडौ रातौ चिरम व्हैग्यौ। घोड़ी रै पागड़े पग दियौ नै आयौ ही उण इज पगां पाछौ बाहुड़ चाल्यौ। तेजोजी री साळियाँ, साळाहेलियां लारै दौड़ी। पण तेजोजी तो रहणी-कहणी रौ धणी किण री सुणै। सांच कथी है- गोळी रौ घाव भर जाय पण बोली रौ कौनी भरीजै। अंतरै आखर घणी दौराई सूं सुंदर री साथण लाछां गूजरी तेजोजी नै आपरी गुवाड़ी में रोकियौ। मीठा बैणां सूं रोस री झाळ ठण्डी करी।

कोई हेलो तो मारके रै लाछां तेज ने थांमियौ
पकड़ीजी पकडी लिलड़ा री लगाम बेटी गूजर की रे
कौई बांवै तो पग रो रै पकड्यो है लाछां पागड़ौ
चाल्याजी चाल्या थे सुंई सांझ म्हारा जीजाजी ओ
कोई बोझां रा पंखेर भी चाुग चुग नै बासै बावड्या
सासूजी सासू बोल्या अबड़ा बोल बेटी गूजर की अै
कोई अैडी का लाग्यौड़ा अैबै चौटी लांगा नीसरिया

लाछां रै हेत मान रा बचन तेजोजी नै रातबासै उटै ठहरणै नै बांध लियौ। लाछां गोगली गायां नै कुंभी भैसियाँ रा दूध री खीर रांधी। हरीरौ बणायौ। काठा गेवां री भूंनवां लापसी रांधी। गळगच बट्टिया बणाया नै तेजोजी नै घणी मनवार सूं जिमायौ। ऊंची मेड़ी में हिंगळू रौ ढोळियौ ढाळियौ । पथरणा बिछाया नै सुंदर नें मोकळी।

समाजोग री बात कै मझांन आधी रात रा आडाबळा रा मीणा धाड़वी लाछां री गायां नै लेगिया। धाड़ा सूं गांव में कळबळाट मांच गियौ। तेजोजी बौल्याळो सांभळ नै मेड़़ी सूं हेटै आया। वाकौ सांभळतां तौ जेज लागी पण घोड़ी री पूठ पर आतां आंख रै झबकै जितरी वार नीं लागी। घणी उडीक सूं आया धणी नै गायां री बा’र पर चढ़ता तेजोजी नै उणारी जोड़ायत सुंदर पालिया-

‘थां मत जावौ ओ खावंद म्हारां गायां री बार, पाछौ कद मिळणो थांसूं होवसी।’
‘अब का बिछड्या ओ सुंदर फेर ना मिळां, जास्यां म्हैं बांडी बरड़या मांय जी।
गायां छुड़ास्यां ओ लाछा गूजरी री। आंण मिलालां थांसू बेगजी।’
तेजोजी घोड़ी नै दबड़काय नै धाड़वियां सूं जा भिड़ियौ। ललकार नै धाड़वियां नै कहयौ-
लागीजी लागी नहीं दमदेर लीलै तेजी ने रे
कोई कांकड़िये हूं ढळतां रै धाड़व्यां ने छिण में नावड़िया।
मांडोजी मांडो नेक धरण पर पांव कुबधी पापीड़ो रे
करियो थां गजब घणौ अन्याव दुसटी पापीड़ो रै
कोई भूखां तो मरता रै डीडावै भोळा बाछड़ा।

धाड़वियां तेजोजो नै पाछै मुड़ जावण तांई कहियौ। बै बोल्या क्यूं जूपती लाय रौ पूळौ बणै है। थारी सोवणी सूरत धाड़वियां सू झगड़ौ झेलण जोग नीं है। पाछौ मुड़ ज्या। पण तेजोजी बचन वीर हुंतो। मरै जिकौ तौ बोल माथै इज मरै नांतर तौ गोळी सूं भी नी मरै। दोन्यूं कांनी पाळा रुप गया। ससतरां री खणकार हुवण लागी।

मंडगाजी मंडगा पाळा बन में दोय रे
कोई चिमकणजी लागा छै रै वै खांडा बीजळसार का
लड़ लड़ ने तेजै मारिया छै कुबधी धाड़वी
म्होड़ी जी म्होड़ी पूठी सगळी गाय रै
कोई सहर तो पनेरां के मारग पूठी हांक दी।
कटगो जी बडगो तेजैजी रौ सगळी गात
कोई तिळड़ो तो धरबा ने अछूती देही न रेयी।
कटगोजी कटगो लिलड़ी रोजी गात
कोई रगतर रा परनाळा रे दोन्यां रा सागै बह्या।
पूगोजी पूगो जद कांकड़ रै मांय कोई खाय तिंबाळो घर पड़ियो।
बारै तौ आव आो बासग बारै तौ आव बचनां रौ बांध्यौ उभौ बारणै।

बासगराज बांबी सूं निकळ नै देख्यौ तौ तेजोजी रौ आखौ अंग घाव सूं चालणी बैझ हुयोड़ौ हो। खाली पगां री पगथळियां, हाथ री हथैळियां अर मुंहडा री जीभ बिना घाव अछूती ही। बासग तेजोजी री जीम रै डंक मारियो नै अपछरावां रा विमाण आकास में घूमर घालता, धिरोळा देवतां नीचौ आया नै धरमी तेजोजी नै देवलोक ले गया।

उतराधा भारत रा उण सूरा-पूरा रा नांव री तांती सूं आज भी काळीनाग, बाळारोग नै हिड़क्या रौ विख उतरै। खेतीखड़ लाखां लोग रौ पूजनीक रहणी-कहणी रौ ऊजलो, वचनां रौ जुधिस्टर तेजोजी परबतसर में पूजीजै है। उठै भादवा में मेळो भरीजै है। अहड़ौ ही तेजोजी सतधारी जुग पुरस जिकै तांई साध संगरामदास महात्मा नै भी कैवणौ पड़ियौ-

कहै दास संगराम, सांच सांई ने भावै।
देखो दिल नितराय, जाट तेजा ने गावै।।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,803FollowersFollow
20,900SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles