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Wednesday, June 7, 2023

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बीकानेर शहर जूनागढ़ किला

बीकानेर शहर की सभी इमारतों में राजस्थानी वास्तुकला शैली का दीदार होता है। लाल बलुआ पत्थर से बनी इमारतें बीकानेर के सौंदर्य को अद्भुत विस्तार देती हैं। वक्त बदलने के साथ-साथ शहर ने भी आधुनिकता का रुख किया, लेकिन बीकानेर ने तहज़ीब का दामन नहीं छोड़ा है। इस शहर के आम लोगों की ज़िंदगी भी कमोबेश वैसी ही है जैसी किसी और शहर की होती है। लेकिन इन सबके बावजूद इस शहर की आत्मा है जिसे आप यहां आकर ही महसूस कर सकते हैँ। बीकानेर के बीचों बीच है जूनागढ़ किला। इसे यहां के छठे शासक राजा रायसिंह ने बनवाया था। राजस्थान में बहुत कम ही क़िले समतल ज़मीन पर बने हैं। जूनागढ़ किले की मजबूती का आलम यह है कि इसे भीषण लड़ाईयों के दौर में भी कभी जीता नहीं जा सका। १५८८ से १५९३ के बीच बनाया गया जूनागढ़ क़िला राजा राय सिंह की भारत को दी गई अनमोल देन है। राय सिंह मुगल बादशाह अकबर के सेनाधिकारी थे। ९८६ मीटर लंबी पत्थर की दीवार से घिरे किले में ३७ बुर्ज हैं।किले को दो मुख्य दरवाजे हैं, जिसे दौलतपोल और सुराजपोल कहा जाता है। दोलतपोल में सती हुई राजपूत महिलाओं के हाथों की छाप है। किले के दूसरे दरवाजे चांद पोल वगैरह है। बीकानेर आए और यहां की हवेलियां नहीं देखीं तो आपकी सैर अधूरी मानी जाएगी। पुराने बीकानेर शहर में तंग गलियों के बीच इनकी शानदार मौजूदगी है। बल खाती गलियों के ठीक ऊपर इनके झरोखों की छटा बेहतरीन होती है।

लाल पत्थर से बनी ये हवेलियां अपने आसपास एक जादू-सा बिखेरती हैँ। इनके दरवाज़े हों, नक्काशीदार खिड़कियां हों या फिर बारामदे, इन सबमे कुछ ऐसा है, जिसे राजसी कहा जाता है। पुराने वक्त मे ये हवेलियां धन्ना सेठों के रहने की जगह हुआ करती थी। यहां के साहूकार साल के नौ महीने कमाने के लिए बाहर सफर करते रहते थे, और तीन महीने के लिए इन शानो-शौकत भरी हवेलियों में अपने परिवार के पास आते थे। बीकानेर की हवेलियों में से रामपुरिया हवेलियां खासी मशहूर हैं। इन हवेलियों को देखकर आपको जैसलमेर की पटवा हवेली की याद आएगी। वैसे, बीकानेर की रामपुरिया हवेलियां लाल डलमेरा पत्थरों की बनी हैं। हवेलियों की दीवारों और झरोखों पर पत्तियां और फूल उकेरे गए हैं। कमरों के भीतर सोने की जरी का बेशकीमती काम देखकर आप दांतो तले उंगली दबा बैठेगें। विरासत को सहेजने का अपना अनोखा अंदाज कहें या फिर विरासत से कमाई करने वाली व्यापारिक बुद्धि – नई पीढी ने इन हवेलियों को कमाऊ जायदाद में तब्दील कर दिया है। रामपुरिया हवेलियों के मालिक प्रशांत मारपुरिया के मुताबिक, हवेलियों को होटल में तब्दील करने की वजह से उनका रखराखाव आसान हो जाता है। कमाई के साथ-साथ ही विरासत भी सहेजा जा सका है इस वजह से।

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