28.2 C
Rajasthan
Saturday, September 23, 2023

Buy now

spot_img

जगदीश सिंह राणा : पूर्व सांसद व पूर्व मंत्री उत्तरप्रदेश

भारतवर्ष की धरा पर क्षत्रिय माताओं ने ऐसे शूरमाओं को अपनी कोख से समय-समय जन्म दिया है जिनमें सिंह शावक के समान निडरता, हाथी जैसे विशालकाय पशु के मस्तक पर आरुढ़ होकर उसके कपोलों को घायल कर रुधिराप्लवित करने की अपार बहादुरी एवं अपने तेज, बल, साहस, शक्ति से दुश्मन भी कांप उठते है अथवा जिसकी दहाड़ से सारा वन कांप उठता है ऐसे वीरोचित्त सामर्थ्य यदि किसी में जन्मजात पाये जाते है तो उसको सिंह पुत्र (शेर) ही कहेंगे। क्षत्राणियां ऐसे वीर पुत्रों को जन्म देती रही है।
ऐसे ही एक सिंह शावक रूपी नरपुंगव ने दिनांक 28 अगस्त 1954 को ठा. हरकेश राणा की धर्मपत्नी श्रीमती कृष्णा राणा की कोख से पुण्डीर क्षत्रिय वंश में जन्म लिया। माता और पिता ही नहीं पूरा कुल व गांव जिनके जन्म से धन्य हो गया। दादा, दादी, कुल खानदान ने शुभ घड़ी एवं नक्षत्र में पूजा-अर्चना, दान-दक्षिणा और मंगलकारी वैदिक मंत्रोच्चार के उपरांत जिसका नामकरण संस्कार सम्पन्न किया एवं कुंवर जगदीश सिंह राणा नाम के शुभ वर्णों को अलंकृत किया।

जिनके जन्म से गंगा-जमुना के मध्य उत्तरप्रदेश के जिला सहारनपुर के पवित्र पावन ग्राम- जिवाला धन्य हो उठा, वन में मोरों ने पीहू-पीहू की आवाज, पेड़-पौधों पर चिड़ियों का चहचहाना, उद्यानों, बाग-बगीचों, तालाबों में नई लहरें, शस्य श्यामला पवित्र धरा के खेतों में सरसों का बसंती सब कुछ कुसुमय एवं सुगंधित हो उठा। पूर्णिमा के चंद्रमा की तरह दिन दूनी रात चौगुनी बाल्यावस्था घर के आँगन में किलकारियों के रूप् में गूंज गुंजायमान होने लगी।
बालक जगदीश सिंह के व्यक्तित्व में विलक्षण प्रतिभा एवं नेतृत्व क्षमता के अनेक गुण युवावस्था की दहलीज पर कदम रखते हुए नजर आने लगे। जिन्हें राजनीति में कदम रखने के बाद अपनी नेतृत्व क्षमता के बल पर उत्तरप्रदेश की विधानसभा में कबीनेट मंत्री व देश की सर्वोच्च संस्था लोकसभा में सांसद के रूप में लोगों ने प्रत्यक्ष देखा। राजनीति के साथ क्षात्रधर्म का अनुसरण करने, अपने सामाजिक सरोकार निभाने के प्रति दृढ संकल्पित कुंवर जगदीश सिंह राणा ने किसी संस्कृत के महान विद्वान के इस श्लोक को भी सार्थक कर दिखाया-

नाभिषेकः न संस्कारः सिंहस्य क्रियते मृगः।
विक्रमार्जित राजस्य स्वयमेव मृगे हता।।

वन में जंगल के जानवरों द्वारा शेर का राजतिलक संस्कार नहीं किया जाता है पर शेर अपने पराक्रम से ही राज अर्जित कर लेता है।
साहस, पौरुष द्वारा नेतृत्व करने की क्षमता के अद्भुत क्षत्रिय गुण जगदीश राणा में प्रमुख है। राष्ट्र प्रेम, सहबंधुत्व की भावना, शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति को आधार देना, किसान, जवान, युवा हृदय सम्राट, सामाजिक विषमता का उन्मूलन, सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाना एवं खेतीहर मजदूरों के हर हाथ को काम और हर पेट को रोटी उपलब्ध कराना आदि मुद्दों पर सक्रीय रहकर राजनीति करने वाले जगदीश सिंह समाज को क्षय से बचाने का उपाय करने का उपक्रम कर सही मायने में क्षात्रधर्म का पालन करने वाले विरले व्यक्तियों में से एक है।

राजनैतिक जीवन सफर
जे.वी. जैन डिग्री कॉलेज, सहारनपुर (उ०प्र०) से स्नातकोत्तर कर शिक्षा प्राप्त श्री राणा ने कॉलेज में पढ़ते हुए हिन्दी आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी के बाद जे.पी. आन्दोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हुए राजनैतिक पारी की शुरुआत की। आपातकाल के दौरान आपके कई साथी जेल में गये। उनके परिवारों की देख-भाल की। सन् 1980 के लोक सभा चुनाव में हरिद्वार लोक सभा क्षेत्र के प्रत्याशी जगपाल सिंह के मुख्य चुनाव प्रभारी बने और उन्हें भारी बहुमत से जीत दिलाने में सहयोग दिया। सन् 1981 में राष्ट्रीय युवा लोकदल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में व सन् 1984 में कॉग्रेस पार्टी में शामिल हुए। सन् 1985 में हरिद्वार विधान सभा क्षेत्र से काँग्रेस प्रत्याशी महावीर सिंह राणा के मुख्य चुनाव प्रभारी बने, श्री महावीर राणा चुनाव जीते । 25 सितम्बर, 1988 को आप मुजफ्फराबाद ब्लाक विकास समिति के सदस्य बने। 16 अक्टूबर, 1988 को ब्लाक प्रमुख मुजफ्फराबाद का चुनाव लडा व मई 1991 में मुजफ्फराबाद विधान सभा क्षेत्र से जनतादल प्रश्याशी के रूप में चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे। जनवरी 1992 में उत्तर प्रदेश जनतादल (अ) के महासचिव बने व पश्चिमी उ०प्र० के संगठन प्रभावरी बने। सन् 1993 का विधान सभा चुनाव पुनः जनतादल से लड़ा। फरवरी 1994 में समाजबादी पाटी में शामिल हुए। उ०प्र० सपा के महामंत्री बने, पश्चिमी उ.प्र. के संगठन प्रभारी बने तथा अक्टूबर 2003 तक इस पद पर बने रहे। अक्टूबर 1996 व फरवरी 2002 का विधान सभा चुनाव सपा से लड़ा तथा भारी बहुमत से चुनाव जीता। 3 अक्टूबर, 2003 को उत्तर प्रदेश के केबिनेट मंत्री बने। उद्योग, निर्यात प्रोत्साहन, कपड़ा, हथकरघा, रेशम, आदि कई प्रमुख विभागों का दायित्व संभाला। झांसी मंण्डल के प्रभारी मंत्री बने, 2004 के लोक सभा चुनाव में प्रथम बार वहां से सांसद बने। उत्तराखण्ड के संगठन प्रभारी हुए क्षेत्र में पार्टी की स्थिति मजबूत की व हरिद्वार लोक सभा सीट भी जीती। गाजियाबाद विधान सभा क्षेत्र के उप चुनाव में प्रभारी रहे तथा भारी बहुमत से सपा प्रत्याशी सुरेन्द्र मुन्नी को चुनाव जितवाया। सन् 2007 का विधान सभा चुनाव लड़ा। मई 2009 में सहारनपुर लोक सभा क्षेत्र से बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ा तथा भारी बहुमत से चुनाव जीता। फरवरी 2010 में बसपा ने क्षत्रिय भाईचारा कमेटी के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संयोजक बनाये गये। सन् 2011 में जनपद सहारनपुर में पहली बार सहकारी संस्थाओं के पदों पर बसपा के प्रत्याशीयों को चुनाव जितवाया। प्रथम बार जिले के सभी ब्लाक प्रमुख बसपा के बनवाये। बसपा का एम.एल.सी. व जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया।
मार्च, 2012 में मुजफ्फराबाद विधान सभा सीट जो अब बेहट के नाम से है वहां पर अपने छोटे भाई को चुनाव लड़वाया, जो वर्तमान में बेहट विधान सभा क्षेत्र से बसपा के विधायक हैं।

लेखक : प्रेम नारायण सिंह सोलंकी “शास्त्री”, फोन-9899201027
लेखक फरीदाबाद के प्रख्यात समाजसेवी व शिक्षाविद है

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,867FollowersFollow
21,200SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles