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Saturday, September 30, 2023

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देश का प्रथम किसान शहीद गजेन्द्र सिंह : संक्षिप्त परिचय

दिल्ली के जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी की रैली में किसानों के लिए आवाज उठाते हुए राजस्थान के दौसा जिले के गजेन्द्र सिंह शहीद हो गए थे. हादसे के बाद उनके बारे में तरह तरह की ख़बरें आई. कोई उसे किसान मानकर राजी नहीं था. कोई उसे साफों का कारोबारी साबित करने की होड़ में था, तो कोई उन्हें समाजवादी पार्टी की टिकट से दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा राजनैतिक व्यक्ति साबित करने में जुटा था. सिंह गर्जना टीम भी गजेन्द्रसिंह के गांव गई, उनकी परिजनों से मिली और गजेन्द्रसिंह के बारे में उनसे कई जानकरियां जुटाई. प्रस्तुत है उन्हीं जानकारियों के आधार पर देश के पहले घोषित किसान शहीद का संक्षिप्त परिचय-

जीवन परिचय : गजेन्द्र सिंह आमेर के कछवाह वंश में कल्याण सिंह कछवाह का वंशज था| आमेर के एक राजकुमार कल्याण सिंह कछवाह के वंशजों को कालवाड़ की जागीर मिली| कल्याण सिंह कछवाह के वंशज कल्यानोत कहलाते है| यानी कल्याण सिंह के नाम पर कल्यानोत नाम से कछवाह वंश की एक उपशाखा का प्रचलन हुआ| कालांतर में कालवाड़ से कल्याण सिंह के वंशज बैजुपाड़ा (बांदीकुई) व विड़ीयाल ठिकानों तक फ़ैल गए| इसी वंश परम्परा में गजेन्द्र सिंह के पूर्वज नांगल झामरवाड़ा में आ बसे| जहाँ ठाकुर बन्ने सिंह कल्यानोत के घर गजेन्द्र सिंह का जन्म हुआ| निधन के समय गजेन्द्र सिंह की आयु 42 वर्ष थी| वे एक पुत्री व दो पुत्रों के पिता थे| 10+2 तक शिक्षा ग्रहण किये हुए गजेन्द्र 15 वर्ष की आयु में ही सामाजिक संस्था क्षत्रिय युवक संघ से जुड़ चुके थे| जहाँ उन्हें सामाजिक सरोकारों से जुड़ने व अपने सामाजिक कर्तव्य निभाने की प्रेरणा मिली| यही कारण था कि गजेन्द्र सिंह हर सामाजिक, राजनैतिक मामले के प्रति संवेदनशील थे और सामाजिक, रजनीतिक आयोजनों में बढ़ चढ़ कर भाग लेते थे|

कृषि कार्य : गजेन्द्र सिंह अपने पूर्वजों द्वारा विरासत में मिली कृषि भूमि पर कृषि का कार्य करते थे| उनके खेत में लगे आंवले के पेड़ का बगीचा देखकर सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि गजेन्द्र सिंह पारम्परिक कृषि के साथ आधुनिक कृषि तकनीक अपनाने वाले प्रगतिशील व जागरूक किसान थे| सिंह ने जहाँ एक निश्चित आय के लिए आंवले का बाग़ लगाया वहीं उसी बाग़ में आंवले के पेड़ों के बीच वे गेहूं आदि उत्पादों की पारम्परिक खेती करते थे| लेकिन इस बार आंवले की कीमत बाजार ने इतनी कम तय की कि पेड़ों से आंवला तुड़वा कर एकत्र करने की मजदूरी भी पूरी नहीं मिल पाई| साथ ही गेहूं व अन्य पारम्परिक फसलें मौसम की मार से बर्बाद हो गई| इसी बर्बादी व बर्बादी के बाद सरकारों द्वारा किसानों को मुआवजे के नाम पर किये जा रहे मजाक ने गजेन्द्र सिंह के मन को उद्वेलित कर रखा था और वे किसानों के हित में आवाज उठाने को दिल्ली में आम आदमी पार्टी द्वारा आयोजित किसान रैली में भाग लेने आये और हादसे का शिकार हो गये|

क्या साफे के कारोबारी थे ? : गजेन्द्र सिंह के निधन या कथित आत्महत्या के बाद कुछ मीडिया घरानों ने उन्हें साफों का कारोबारी प्रचारित करना शुरू कर दिया था| यह सही है कि गजेन्द्र 33 अलग अलग तरह के साफे बांधने की कला में महारत हासिल कर चुके थे| साफा बांधने के हुनर के लिए उन्हें राष्ट्रीय सम्मान भी मिला था। वे साफे को लेकर 125 वर्कशॉप लगा चुके थे। एक मिनट में 7 पगड़ी बांधने का रिकॉर्ड भी उनके नाम था। गजेंद्र के बचपन के दोस्त शक्ति सिंह ने बताया कि वे 25 साल से पगड़ी बांधते रहे थे। जैसलमेर के मरु मेले में गजेंद्र ने रौबदार मूंछें और पहनावे के लिए मरुश्री पुरस्कार जीता था। गजेन्द्र सिंह को देश की कई बड़ी नामचीन हस्तियों के सिर पर पगड़ी बाँधने का सौभाग्य मिला था| खेती के साथ साथ वे शादी-ब्याह में साफे बंधाने का काम भी करते थे| सिंह ने ऑनलाइन साफे बेचने के लिए एक वेब साईट बनाई थी जिसे लेकर मीडिया में उन्हें साफों का कारोबारी साबित करने की मुहीम चली जबकि हर किसी को पता है कि मात्र एक वेब साईट बनवा लेने से कारोबार नहीं बढ़ जाता| वैसे भी ऑनलाइन कारोबार में सफलता मिलना बहुत ही दुष्कर कार्य है|

चुनाव लड़ने की बातें : मीडिया में यह भी दुष्प्रचार किया गया कि गजेन्द्र सिंह राजनीतिक व्यक्ति थे और उसे राजनीतिक साबित करने के लिए प्रचारित किया गया कि सिंह ने दो बार समाजवादी पार्टी की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था. जबकि सिंह गर्जना से बातचीत में गजेन्द्र के चचेरे भाई विजेंद्र सिंह ने बताया कि गजेन्द्र ने कभी भी कोई चुनाव नहीं लड़ा. हाँ ! वर्ष 2003 में उसने सपा का साईकिल से अपने क्षेत्र में प्रचार अवश्य किया था, जिसे मीडिया ने चुनाव लड़ना प्रचारित कर दिया|

गजेन्द्रसिंह को किसान शहीद का दर्जा कैसे मिला? इस प्रकरण में कौन कौन लोगों ने भूमिकाएँ निभाई? आदि पर चर्चा अगले लेख में….!!

1St Indian farmer Martyr Gajendra Singh kalyanot who hanging himself in jantar-mantar aap farmer rally.

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