मुग़ल बादशाह अकबर के धार्मिक कट्टरपन व चरित्रहनन को लेकर आज बहुत कुछ लिखा जा रहा है, लेकिन इतिहास में उसका चित्रण अलग रूप में है| अकबर ने “दीन ए इलाही” नाम से एक अलग धर्म चलाने की असफल कोशिश की थी, जो साफ़ जाहिर करता है कि वह इस्लाम का कट्टर अनुयायी नहीं था| यदि उसे इस्लाम में भरोसा होता तो वह नया धर्म चलाने की सोचता भी नहीं| यही नहीं एक हिन्दू वीर द्वारा उसकी कब्र खोदकर आस्तियां जलाने की घटना पर “अकबर द ग्रेट मुग़ल” पुस्तक के लेखक विन्सेंटस्मिथ की टिप्पणी पढ़े तो ज्ञात होगा कि अकबर की अंतिम इच्छा थी कि उसकी मृत्यु के बाद उसे इस्लामी रीती रिवाज से दफ़नाने की बजाय हिन्दू रिवाजों के अनुसार जलाया जाय|
लेकिन अकबर की मृत्यु के बाद उसकी इच्छा की कद्र नहीं की गई और उसे आगरा के सिकन्दरा में दफना दिया गया जहाँ उसकी याद में एक भव्य मकबरा बना दिया गया| आपको बता दें एक हिन्दू वीर ने इसी मकबरे में स्थित अकबर की कब्र को खोदकर उसकी अस्थियाँ निकाली और उसे आग के हवाले कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया| इस तरह उस हिन्दू वीर ने बादशाह अकबर की अंतिम इच्छा की पूर्ति की|
यह हिन्दू वीर कोई और नहीं, सिनसिनी गांव के निवासी भज्जा जाट का पुत्र राजाराम जाट था| जाट विद्रोही गोकुला के मारे जाने के बाद विद्रोह की कमान राजाराम जाट ने संभाली| उसका विद्रोह दबाने के लिए औरंगजेब ने असगरखां जैसे कई अनुभवी सेनापति भेजे पर वे राजाराम के विद्रोह को ना दबे सके| राजाराम ने यहाँ तक दुस्साहस कर दिखाया कि आगरा के समीप अकबर के भव्य मकबरे को तोड़कर वहां सज्जित बहुमूल्य वस्तुओं को लूट लिया और अकबर की अस्थियाँ निकालकर उन्हें जला दिया| “केसरीसिंह समर महाकाव्य” में इस घटना को इस तरह दर्ज किया गया है-
ढाहि मसति बसती करी, खोद कबर करि खड्ड|
अकबर अरु जहगीर के, गाड़े काढ़े हड्ड||
कवि के इस कथन की पुष्टि तत्कालीन फ्रेंच यात्री निकोलो मनूची ने अपने यात्रा विवरण में इस तरह कि- The Sikandra was looted by jats in march 1688 A.D. Even the skeleton of Akbar the Great was taken out and the bones were consumed to flames. विन्सेंटस्मिथ ने अपनी किताब “अकबर द ग्रेट मुग़ल” में लिखा- “औरंगजेब जब दक्खिन में मराठा युद्ध में संलग्न था, उपद्रवी जाटों ने अकबर का मकबरा तोड़ डाला, उसकी कब्र खोदकर उसके अवशेष अग्नि में जला डाले| इस प्रकार अकबर की अंतिम आंतरिक इच्छा की पूर्ति हुई|”
तो इस तरह से एक हिन्दू वीर राजाराम जाट ने अकबर की हिन्दू रिवाजों से अपने अंतिम संस्कार किये जाने की इच्छा की पूर्ति की| Real Story of Rajaram Jat, History of Rajaram Jat in Hindi.