पिछले दिनों भाजपा आलाकमान द्वारा केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत को राजस्थान भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाने का निर्णय हुआ, लेकिन राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधराराजे के तगड़े विरोध के बाद कर्नाटक चुनाव तक यह मुद्दा ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया| लोगों का कयास था कि कर्नाटक चुनाव में जीत के बाद भाजपा आलाकमान यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह प्रधानमंत्री के विश्वसनीय केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत को प्रदेश में अध्यक्ष पद पर नियुक्त कर देंगे| लेकिन आज यदुरप्पा द्वारा इस्तीफे दिए जाने के बाद अमित शाह की कर्नाटक रणनीति विफल हो गई| यदि कहाँ जाय कि कर्नाटक में आज की हार के बाद भाजपा की देशभर में प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल असर पड़ा है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी|
अब देखना यह है कि कर्नाटक नाटक के बाद मोदी-अमित शाह की जोड़ी राजस्थान में अपनी पसंद का प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त कर पाते है या नहीं| निसंदेह कर्नाटक हार के बाद जहाँ अमित शाह का मनोबल गिरेगा और वे मुख्यमंत्री वसुंधराराजे पर अपना निर्णय थोप नहीं पायेंगे, यदि थोप पाते तो उसी वक्त प्रदेशाध्यक्ष की फैसला हो जाता| अब देखना यह है कि इस हार के बावजूद राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री राजे पर भारी पड़ते है या मुख्यमंत्री राजे उन पर भारी पड़ेगी|
आपको बता दें गजेन्द्रसिंह शेखावत को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का विरोध करने के लिए भाजपा के कई राजपूत नेता आगे आये थे और यह दलील दी गई थी कि शेखावत को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद जाट जाति के लोग भाजपा को वोट नहीं देंगे| इस तरह शेखावत को रोकने के लिए वसुंधराराजे गुट ने जातिवादी कार्ड खेला था अब बदली राजनैतिक परिस्थितियों में देखना यह है कि शेखावत जैसा काबिल व्यक्ति राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष बन पाता है या नहीं|