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भ्रष्टाचार को सरकारी संरक्षण

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आजादी के बाद जनता को भरोसा था कि उसकी चुनी हुई सरकारें देशहित को सर्वोपरि समझेगी और जन-हितैषी कार्यों में हमारे चुने हुए प्रतिनिधि रुची लेंगे. लेकिन अफ़सोस जन-हितैषी कार्यों की आड़ में हमारे चुने हुए प्रतिनिधियों व मंत्रियों ने अपना घर भरने में ज्यादा रूचि रखी. नतीजा देश में भ्रष्टाचार का ग्राफ बढ़ता ही गया, जो आज भी रुकने का नाम नहीं लेता. हाँ ! ये बात और है कि इस भ्रष्टाचार को खत्म करने के नाम पर आन्दोलन कर कई लोग अपना कद बढ़ा राजनैतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति अवश्य कर लेते है. केजरीवाल इसका ताजा उदाहरण है.

पिछले चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो, केजरीवाल हो, भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी कांग्रेस हो सबने जनता को भ्रष्टाचार खत्म करने के सपने दिखाए. जनता ने भी नरेंद्र मोदी पर भरोसा रखते हुए उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी सौंपी व केजरीवाल पर दिल्ली की जनता ने विश्वास किया और सत्ता उनके हाथ में दे दी. सत्ता मिलते ही प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार पर जीरो टोरलेंस वाले बयान दिए और केजरीवाल ने दिल्ली में भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए स्टिंग आपरेशन के जरिये जनता को साथ लेकर मुहीम छेड़ी. लेकिन केजरीवाल की मुहीम को बदले की राजनीति ने कुंद करने के लिए तमाम हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए और उसे कुछ भी कर सकने में असमर्थ बना दिया. और यह सब किया भ्रष्टाचार पर जीरो टोरलेंस वाले बयान देने वाले प्रधानमंत्री की सरकार ने.

केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस के भ्रष्टाचार को जकड़ने का प्रयास किया तो दिल्ली पुलिस ने जनता को थानों में मोबाइल फोन लेकर घुसने पर ही पाबन्दी लगा दी. दिल्ली के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने दिल्ली पुलिस के सिपाही को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा तो दिल्ली पुलिस ने अपने सिपाही के अपहरण का केश दायर कर लिया. यही नहीं आगे केजरीवाल कुछ कर नहीं सके, इसलिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पर उपराज्यपाल के हाथों भाजपा ने अपना मनपसन्द अधिकारी थोप दिया, जो केजरीवाल के कहने पर कुछ भी नहीं करेगा. इस तरह का कार्य कर भाजपा ने अपने विरोधी को निपटाने का श्रम नहीं बल्कि भ्रष्टाचार का संरक्षण ही किया है. जो उसकी छवि के लिए विपरीत है और आने वाले चुनावों में उसे भुगतना ही पड़ेगा.

केजरीवाल के मामले को यदि राजनैतिक बदले की कार्यवाही भी मान लें, तो सुषमा, वसुंधरा (Sushma, Vasundhra, Lalit Modi Issue) आदि के मामले में भी भाजपा ने बेशर्मी दिखाकर अपने आपको कांग्रेस से भी आगे खड़े कर लिया. भाजपा सरकार व्यवसाय की आड़ में भ्रष्टाचार करने वालों की जिस तरह हिमाकत कर रही है, उन्हें बचा रही है उसे देखकर लगता है कि अब भ्रष्टाचार को सरकारी संरक्षण मिलने लगा है. वर्तमान हालात को देखते अब भ्रष्टाचार हटाने के नारे ढकोसले लगने लगे. अब ये साफ़ हो गया है कि भ्रष्टाचार सरकारी संरक्षण में बढ़ना ही है, यदि इसे मिटाना है तो जनता ही मिटा सकती है, जनता को ही जागरूक होकर हर सरकारी योजना पर सूचना के अधिकार अधिनियम RTI का इस्तेमाल करते नजर रखनी होगी. तभी भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकती है.

1 COMMENT

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28-06-2015) को "यूं ही चलती रहे कहानी…" (चर्चा अंक-2020) पर भी होगी।

    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर…!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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