अब दाल बाटी चूरमा भी बनता ऐसे हाईटेक तरीके से :- राजस्थान के शेखावाटी आँचल के किसान बालाजी महाराज यानी हनुमान जी के भक्त है| शेखावाटी क्षेत्र के हर उस खेत में जहाँ सिंचाई के लिए कुआं या ट्यूबवेल है उस खेत में बजरंग बलि का छोटा सा मंदिर होना किसानों की आस्था दर्शाने के […]
बूंदी के राजा भोज की पुत्री का अकबर द्वारा अपने शाहजादे के लिए हाथ मांगने की घटना सिवाणा के कल्याणसिंह रायमलोत Kalla Rathore के बीच में आने, अकबर के सामने भरे दरबार में मूंछों पर ताव देने व उसके विरोधियों द्वारा रचे षड्यंत्र के चलते कल्ला राठौड़ ने केसरिया वस्त्र धारण कर लिए थे| अकबर […]
आजादी के कुछ वर्ष पहले की बात है| उस समय राजा महाराजाओं का राज था| जब कभी राजा महाराजा किसी गांव के पास से निकलते तो प्रजाजन उनके दर्शन करने व नजराना (भेंट) देने आते और राजा के दर्शन लाभ लेने के बाद अपने सामर्थ्यनुसार नजराना भेंट कर खुश होते तथा इसे अपना अहोभाग्य समझते| […]
राजपूताने के राजाओं के पास चारण रहते थे| जो बहुत ही बुद्धिजीवी, कवि व साहित्यकार होते थे| बड़े बड़े राजा इन चारण कवियों के डरते थे, क्योंकि राजपूत काल में चारणों को अभिव्यक्ति की पूरी आजादी थी और वे अपनी इसी अभिव्यक्ति की आजादी के उपयोग करते हुए किसी भी राजा को खरी खोटी सुना […]
एक ठाकुर साहब खेतों में अपनी गाय चरा रहे थे। उसी समय एक घोड़ों का व्यापारी कुछ घोड़े लेकर पास से गुजर रहा था। ठाकुर साहब ने उसे रोका और घोड़े की कीमत पूछी। व्यापारी को लगा कि एक गाय चराने वाला क्या घोड़ा खरीदेगा, सो उसनें यह कहते हुए कीमत बताने से इंकार कर […]
मौसम विभाग, भारत के पूर्व महानिदेशक ड़ा.लक्ष्मण सिंह राठौड़ की कलम से…. स्वामी सम्पूर्णानन्द बाल्यकाल से ही शुक्र-ज्ञानी तथा वाकपटु थे| माँ-बाप का दिया नाम कोजा राम था| प्यार से लोग उन्हें कोजिया बुलाते थे| पर वे अपने आप को बचपन से ही सुन्दर व सम्पूर्ण मानते थे| इसलिए शिक्षा में विशेष रूचि नहीं रखते […]
राम प्यारी रो रसालो पिछले भाग से आगे…………. सोमचंद गाँधी होशियार था उसने सभी कार्यों पर काबू पा लिया| सोमचंद गाँधी और मोहकमसिंहजी शक्तावत ने विचार किया| कि-” मेवाड़ के बहुत सारे परगनों को मराठों ने दबा रखा है जो अपनी इज्जत और धन दोनों के लिए घातक है| इन परगनों को वापस लेना चाहिये|” […]
पिछला का शेष….. बाईजीराज चिंता में पड़ गए- “किसको ओळ में रखूं ? और किसी को ओळ में रखे बिना सिंधी मानने वाले नहीं|” बाईजीराज के पास ही उनके छोटे पुत्र भीमसिंघजी जो उस समय मात्र छ: वर्ष के थे बैठे ये सब सुन रहे थे| उनके दूध के दांत भी नहीं टूटे थे| उन्होंने […]
अमर धरा री रीत आ, अमर धरा अहसान | लीधौ चमचौ दाल रो, सिर दीधो रण-दान ||१२४|| इस वीर भूमि की कृतज्ञता प्रकाशन की यह अमर रीत रही है कि दल के एक चम्मच के बदले में यहाँ के वीरों ने युद्ध में अपना मस्तक कटा दिया || नकली गढ़ दीधो नहीं , बिना घोर […]
वि सं. 1908 के किसी एक दिन मेहरानगढ़ (जोधपुर दुर्ग) में दरबार लगा था| जिसमें मारवाड़ के सभी सामंत, जागीरदार उपस्थित थे| उनमें गुलर ठिकाने के जागीरदार ठाकुर बिशनसिंह भी शामिल थे| कई अन्य दरबारियों व जागीरदारों से वार्ता के बाद मारवाड़ के तत्कालीन महाराजा तख़्तसिंह (1843-73) ठाकुर बिशनसिंह की ओर मुखातिब हुए और रुष्ट […]