राजस्थानी भाषा साहित्य, संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष सौभाग्यसिंह जी शेखावत की कलम से ……….. सुतंतरता तांई बरोबर दो पीढ़ियां लड़ता-झगड़ता रहबाळा मेड़तिया साखा रा राठौड़ां रौ मूळ स्थान मेड़तौ (Merta City) राजस्थान रै बीचौ बीच मारवाड़ में पडै़ है। मेड़तौ राजस्थान रा घणां पुराणा नगरां में गिणीजै है। बूढ़ा वडेरा कैवै है कै मेड़ता […]
Lok Devta Vir Tejaji पर राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार, इतिहासकार श्री सौभाग्यसिंह जी शेखावत की कलम से …………….. ‘इण धरती रा ऊपज्या तीतर नह भाजन्तं’ रा बिड़दावरी मैंमा वाळी राजस्थान री भौम सदा सूं ई आगौलग सूरां पूरां जूझारां री जणैता कहिजै है। राजस्थान रा धोरां टीबां, खाळ-वाळ नै भाखर-डहरां में कुंण जाणै कितरा […]
राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार, इतिहासकार श्री सौभाग्यसिंह जी शेखावत की कलम से………… गोठ-धूघरी, ब्याव-सावां, सनेही, भाई-भायलां नै बुलावै उण नै न्यूंतौ (Invitation) कैवै। न्यूंतौ ऊधारी हांती गिणीजै। अदळा रा बदळा कहीजै। न्यूंतौ घर दीठ मिनख, थळी दीठ अेक मिनख रौ नै सीगरियौ भी हुवै। सीग्रै न्यूंतै में तागड़ी-पागड़ी जीमण नै आवै-मिनख अर लुगाई घर […]
म्हांरी नांव बचन है अर कौल नै बोल भी म्हनै कैवै है। म्हांरा पिरवार में म्हांरी सगळां सूं इधकौ आघमांन है। जठै कठैई आपसरी में बैर विरोध, खटपट, झगड़ौ, झांटी नै बोलीचाली व्है जावै तौ मैं बीच में पड़, बीच बचाव कर राड़ नै बुझा नै पाछौ मेळजोळ नै बोलचाल कर देवूं। ई खातर सारौ […]
श्री सौभाग्य सिंह शेखावत राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार है| राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं सूचि में शामिल नहीं करने व केंद्र सरकार द्वारा मान्यता नहीं देने के पर चिंता व्यक्त करते हुए शेखावत अपनी 1991 में छपी पुस्तक “राजस्थानी साहित्य संस्कृति और इतिहास” में राजस्थानी भाषा की महत्ता व भाषा को मान्यता नहीं […]
ठरगा भायला जाड़ा म सूरज बड़गो खाडा म पिसा लागै दवायां का और दशमूल का काड़ा में ठरगा भायला जाड़ा म दुबला को बैरी है यो क्यूँ कोण कर ठाडा म ठरगा भायला जाड़ा म टीबा पर चाले आथूणी म्हे बच रिया हाँ आडा म ठरगा भायला जाडा म कई जिनावर बिल म बडग्या कई […]