महार कलां Mahar Kalan गांव में सुरम्य पहाड़ी की तलहटी में संत सालगनाथजी का स्थान है, कभी यहाँ गांव बसने से पूर्व एक छोटे से तिबारे में नाथ संत सालगनाथजी विराजते थे | महार गांव आमेर के राजा चंद्रसेन जी के युवराज कुम्भाजी के पुत्र उदयकरणजी ने बसाया था | युवराज कुम्भाजी के पुत्र उदयकरणजी […]
जोधपुर से लगभग 86 और मेड़ता से 45 किलोमीटर जोधपुर जिले में बसा है रणसी गांव | आजादी से पूर्व यह गांव मारवाड़ के राठौड़ साम्राज्य के अधीन चांपावत राठौड़ों की जागीर था | इसी गांव में बना है एक महल और एक बावड़ी, जिसके लिए इतिहास में प्रचलित है कि ये महल व बावड़ी […]
स्वतंत्रता सेनानी डूंगजी जवाहर जी को अंग्रेजों के विरुद्ध अभियान चलाने के लिए धन की आवश्यकता थी, उन्होंने रामगढ के सेठों से सहायता मांगी पर उन्होंने यह सोचते हुए उन्हें मना कर दिया कि – ये बरोठिया (विद्रोही) दो दिन कूद फांद कर बैठ जायेंगे | कम्पनी की तोपों के आगे ये गिनती के लोग […]
राजपूत चरित्र को प्राणवान ऐसी भावना में बनाया : दो शत्रु युद्ध में तलवारों से खेल रहे हैं, एक दूसरे पर प्रहार कर रहे हैं, “काका-भतीजा” कहकर एक दूसरे से बात भी करते जा रहे हैं और आपस में अमल की मनवार भी कर रहे हैं | यह था मध्यकालीन भारत का राजपूत चरित्र | […]
इतिहास में भूमिया शब्द भूस्वामियों के लिए प्रयोग हुआ है | यहाँ भूस्वामियों का मतलब कुछ एकड़ खेत के स्वामी से नहीं, वरन एक क्षेत्र पर राज्य करने वाले व्यक्ति के लिए भूमिया शब्द का प्रयोग मिलता है, क्योंकि शासक ही अपने राज्य की भूमि का स्वामी होता है, अत: इतिहास में उसे भूमिया कह […]
भारतीय संस्कृति में किसी भी उसके नाम के बाद “जी” लगाकर संबोधित करने की परम्परा है, पर क्या आप जानते हैं कि राजपूत सरनेम के बाद जी लगाने का क्या अर्थ निकलता है | इस लेख में हम राजपूत समाज की एक ऐसी परम्परा की चर्चा करेंगे जिसमें सरनेम के आगे “जी” लगाते ही संबोधन […]
कैसी अद्भुत थीं यहाँ की मातृभूमि-प्रेम की वे वीरोचित परम्पराएँ ? उनका विशद् विवेचन तो एक स्वतंत्र ग्रंथ का ही विषय है। इतिहास के कीर्तिपृष्ठों में वे शतशः बिखरी पड़ी है। यहाँ केवल एक झलक देख लीजिए । मृत्यु के अनन्तर मृतक को उसके पुत्रों द्वारा पिण्डदान दिए जाने का विधान तो प्रायः सभी हिन्दुओं […]
यह घटना उस काल की है, जब आमेर के महाराजा भारमल की मुगल सल्तनत से संधि हो चुकी थी और उनके वंशज मुगलों के सेनापति भी नियुक्त होते थे। तभी एक अदभुत् व अकल्पनीय वाक्या हुआ जिसकी तुलना इतिहास में अमर सिंह राठौड़ के शौर्य से की जा सकती है। लवाण के बाँके राजा भगवानदास […]
जयपुर पर हमला करने आये मराठों को जयपुर की जनता के रोष का सामना करना पड़ा और देखते देखते ही जयपुर की जनता ने मारकाट मचाकर डेढ़ दो हजार मराठों को मार दिया | इसके बाद डेढ़ वर्ष तक राजपुताना में लूटने व चौथ वसूली करने के लिए आने वाले मराठा दस्तों का आना रुक […]
फिल्म पानीपत को लेकर पिछले कई दिनों से भरतपुर के जाट महाराजा सूरजमल मीडिया की सुर्ख़ियों में है | आरोप है कि फिल्म में सूरजमल को लालची दिखाया गया और सोशियल मीडिया में वायरल हो रहे फिल्म के दृश्य में भी महाराजा सूरजमल मराठों से पानीपत युद्ध में सहायता देने के बदले आगरा का किला […]