26.7 C
Rajasthan
Tuesday, May 30, 2023

Buy now

spot_img

बेचारा बाप

रामलाल सरकारी विभाग में बाबू है अपने विभाग में ही नहीं जिस मुहल्ले में रहते है वहां भी लोग उनकी भलमनसाहित के कायल है, उनके सम्पर्क में रहने वाले किसी भी व्यक्ति से उनकी किसी भी बात पर आलोचना सुनने को आज तक नहीं मिली|

अपनी सरकारी नौकरी के वेतन से उन्होंने अपने दो बेटों व दो बेटियों को अच्छी शिक्षा देने में अपनी और से कोई कसर नहीं छोड़ी| बड़ा बेटा पढ़ लिखकर जहाँ भारतीय वायुसेना में भर्ती होने में कामयाब रहा वहीँ छोटा भी आजकल एक निजी इंजीनियरिंग कालेज में प्रोफ़ेसर बन गया| बड़े बेटे व बड़ी बेटी की शादी रामलाल ने अपने सीमित आर्थिक साधनों से कर दी| छोटी बेटी की शादी के समय बड़ा बेटा वायुसेना में भर्ती हो कमाने लगा तो उसके साथ से शादी में रामलाल को ज्यादा तकलीफ नहीं आई|
वर्षों सरकारी आवास में रहने के बाद अपने शहर में रामलाल ने एक छोटा सा अपने रहने लायक घर भी ले लिया था अत: उसे रिटायर्मेंट के बाद रहने की चिंता भी नहीं रही|

दोनों बेटियों की शादी हो गयी दोनों बेटों की अच्छी नौकरी लग गयी साथ ही दोनों बेटे एकदम लायक, माँ बाप की इज्जत तो करते ही पड़ौसियों में भी उनके व्यवहार की अक्सर अच्छी बातें चलती है| जिन्हें सून बाबू रामलाल की धर्म-पत्नी खुश होती है आखिर यह सब बच्चों को उसके द्वारा दिए गए संस्कारों का नतीजा जो है|

बाबू रामलाल के पास ही एक घर है जिसके मालिक तबादला होने के चलते दुसरे शहर में चले गये, उनके घर को किराये पर देना, किराया वसूलकर मालिक तक पहुँचाना व उस घर की देखभाल बाबू रामलाल ही एक अच्छे पड़ौसी होने के नाते करते थे| बाबू रामलाल के बड़े बेटे की इच्छा थी कि यह घर जब भी बिके तो वह ही उसे ख़रीदे ताकि माँ-बाप के पास रह सके| मकान मालिक की भी यही चाहत थी कि जब भी वे मकान बेचेंगे बाबू रामलाल के बेटे को ही बेचेंगे आखिर उनके मकान की देखभाल का जिम्मा भी तो बाबू रामलाल व उनकी धर्म-पत्नी मुफ्त में उठाते थे|

इस तरह कोई दस वर्ष बीत गये और आखिर एक दिन पड़ौसी मकान बिकने का समय आ गया| पड़ौसी ने बाबू रामलाल को कह दिया कि अब उसे अपना घर बेचना है आप बाजार भाव पता कर लीजिये और आपके बेटे के लिए बाजार भाव से पचास हजार रूपये कम दे दीजिये|

बाबू जी भी इस बात से खुश थे, पड़ौसी की भी दिली इच्छा थी कि वह घर बाबू रामलाल के बेटे को बेचे भले उसे कीमत मिलने में समय भी लगे, बेटे को कोई ऋण आदि भी लेने में समय लगे तो भी कोई बात नहीं| जब व्यवस्था हो जाये तब भी चलेगा|
बाबू रामलाल ने अपने बेटे से बात की, बेटा भी खुश था कि जिस घर को खरीदने का वर्षों से सपना संजोये बैठा था वह अब पूरा हो जायेगा, पर उसकी आधुनिक पत्नी ने वह घर किसी भी कीमत पर लेने से मना कर दिया कहने लगी- “मुझे आपके माँ-बाप के पास किसी घर में नहीं रहना|”

जब यह बात बाबू रामलाल और उनकी धर्म-पत्नी को पता चली तो वे बड़े निराश हुये हालाँकि ख़रीदे जाने वाले घर से उनको कोई सिर्फ यही एक मतलब था कि उनके बच्चे बुढापे में उनके नजदीक रहेंगे| आधुनिक बहू की जिद के आगे हथियार डालते हुए दोनों बाप-बेटे ने निराश होकर पड़ौसी को फोन पर कहा –“आप घर किसी और को बेच दीजिये|”

घर बिक गया, पड़ौसी को समझ नहीं आया कि- जिस घर को लेने बाप-बेटे वर्षों से सपना संजोये बेटे थे एकदम कैसे छोड़ दिया ?”
कुछ दिन जब पड़ौसी का बाबू रामलाल की पत्नी से मिला तब उसनें बड़े दुखी मन से घर न खरीद पाने का कारण बताते हुए पड़ौसी से प्रश्न किया-

“हमने तो शादी के बाद से ही बहू को बेटे के साथ भेज दिया, कभी सास-ससुर वाला रिश्ता भी ना रखा, हमारे लिए तो वह घर की तीसरी बेटी थी, उसे भविष्य में हमारे पडौस में रहने में क्या दिक्कत हो सकती थी ?

“बाबू जी की अपनी तनखा आती है फिर पैंशन आती रहेगी, हमें तो बेटों से कभी खर्च लेने की भी जरुरत नहीं पड़ेगी फिर बहू को किस बात की तकलीफ हो सकती थी ?

माँ-बाप बेटों को पालतें है, पढ़ाते है, उनकी शादी करते है क्या इसीलिए कि एक दिन बहू आयेगी और माँ-बाप का बेटे पर जो हक़ होता है वह छीन लेगी ?

ऐसे न जाने कितने ही प्रश्न उसने पड़ौसी से कर डाले| बेचारा पड़ौसी भी क्या जबाब देता ?आधुनिक बहुएं है कुछ भी कर सकती है|

बाबू रामलाल ने तो बेटे को अच्छे से पढ़ाकर नौकरी भी लगवा दिया था जो न पढ़ पाये उनके माँ-बाप को कोसते कई ऐसी कई आधुनिक बहुएं अक्सर नजर आ जाती है (जिनके माँ-बाप कम दहेज़ के लालच में किसी कम पढ़े लिखे या बेरोजगार से शादी कर देते है) कि- माँ-बाप ने खुद ही मजे किये औलाद को किसी लायक नहीं बनाया|

Related Articles

8 COMMENTS

  1. आधुनिक बहुएं है कुछ भी कर सकती है|

    बडा करूण किस्सा है जो कहीं बहु तो कहीं बेटो के नायकत्व में चलता ही रहता है.

    रामराम.

  2. बस यही जिंदगी की पहचान हे ! मुझे आपका ब्लॉग अच्छा लगा सो में इस से जुड़ गया आप भी मेरे ब्लॉग पर पधारे अगर आपको मेरा ब्लॉग पसंद आये तो इस से जुड़े और अपने ललित . com में इसे भी जोड़े !

    ब्लॉग का पता हे

    http://hiteshnetandpctips.blogspot.com

  3. कही अपने समय में कल की बहू आज की सास ने भी यही तो नहीं किया था 🙂
    कई बार बड़े बुजुर्ग अपनी जवानी में परिवार से अलग रहने में सुविधा महसूस करते हैं , मगर भूल जाते हैं की इतिहास अपने को दोहराता है .
    कुछ उदहारण ही होंगे ऐसे लेकिन आपके सन्देश में भी वजन है !

    • वाणी जी
      @ इस लेख में जो कल की बहु व आज की सास है वह आज भी अपने बूढ़े ससुर को अपने साथ रखती है और अपने ससुर को ही क्यों ? वह तो पास-पडौस में सभी बुजुर्गों का आदर व सेवा सुश्रुषा करती रहती है||
      साथ ही शादी के बाद ही उसने अपनी बहु को बेटे के साथ भेज दिया ताकि दोनों साथ रह सके|
      दूसरी बात बहु अपने पति को माँ-बाप के पास घर खरीदने भी देती तो उसको कौनसा उस घर में अभी रहना था , जब तक पति सेना की नौकरी करेगा तब तक वैसे भी उसे तो घर से दूर ही रहना है !!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,791FollowersFollow
20,800SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles