शादी ब्याह जैसे रिश्ते प्राचीन काल से ही परिजनों, रिश्तेदारों व मित्रों द्वारा सुझाये जाते रहे है, आज भी ज्यादातर रिश्ते अपने निकट सम्बन्धियों, मित्रों आदि द्वारा सुझाये आधार पर ही ज्यादा होते है, गांवों में तो आज भी रिश्ते होना इसी नेटवर्क पर निर्भर है|
पर शहरों में यह स्थिति बदली है रिश्तेदारों, मित्रों द्वारा रिश्तों हेतु सुझाये जाने वाले कार्य के बाद रिश्ते कराने वाली कई एजेंसियां अस्तित्व में आई, जो तकनीकि के दौर में वैवाहिक वेबसाइट्स में बदल गई| आज देश भर में अनगिनत वैवाहिक वेबसाइट्स लोगों को जीवन साथी चुनने की कुछ फीस के बदले सुविधा उपलब्ध करा रही है तो कई सामाजिक संगठन व सामजिक कार्यकर्त्ता अपने अपने समाज को विशेष सुविधा उपलब्ध कराने हेतु अपने अपने समाज की अलग वैवाहिक वेबसाइट्स उपलब्ध करा अपना सामाजिक कर्तव्य निभा रहे है| इस तरह सामाजिक वैवाहिक वेबसाइट्स से लोगों को भी वर-वधु तलाशने में आसानी रहती है| राजपूत समाज के लिए वैवाहिक वेब साईट जोगसंजोग.कॉम चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता और लेखक श्री मगसिंह राठौड़ बताते है कि- उनकी वेबसाईट पर आने वाले ज्यादातर शहरी शादी.कॉम जैसे बड़ी वेबसाइट्स पर अपना समय व धन खर्च कर आते है और थोड़े ही दिनों में वे www.jogsanjog.com पर अपने बच्चों के लिए मनपसंद वर-वधु तलाशने में सफल रहते है|
ऐसा नहीं कि इंटरनेट पर बड़ी वैवाहिक वेबसाइट्स के इतर सिर्फ जातीय आधार पर ही वैवाहिक वेबसाईटस उपलब्ध है, बल्कि विकलांगों व मांगलिक लोगों के लिए भी अलग अलग वेबसाइट्स मौजूद है जहाँ उन्हें अपने पसंद के जीवन साथी चुनने की सुविधा उपलब्ध है|
मांगलिकशादी.कॉम के नाम से वेबसाईट चलाने वाले जितेन्द्र शेखावत बताते कि- उनके पास मिलने जुलने वालों के अक्सर मांगलिक लड़कों-लड़कियों के रिश्ते बताने हेतु अनुरोध आते थे, अब जितने अनुरोध आते उनका सबका नाम पता याद रखना भी दुरह कार्य तो था सो उन्होंने मांगलिक बच्चों के अभिभावकों की परेशानी दूर करने हेतु एक ऐसी वैवाहिक वेबसाईट की आवश्यकता समझी जिसमें सिर्फ मांगलिक बच्चों का पंजीकरण हो ताकि मांगलिक वर-वधु तलाशने हेतु इनके अभिभावकों को ज्यादा खोज ना करने पड़े| इसी उद्देश्य से जितेन्द्र शेखावत ने सिर्फ मांगलिक बच्चों के लिए www.manglikshaadi.com के नाम से वैवाहिक वेबसाईट की शुरुआत कर दी जिसे जितेन्द्र शेखावत ने अपने सामाजिक सरोकारों रूपी कर्तव्य को समझते हुए मुफ्त रखा है| यही कारण है कि मांगलिकशादी.कॉम पर कोई पंजीकरण फीस नहीं वसूली जाती|
जितेन्द्र शेखावत का यह सामाजिक कार्य देख उनके मित्र विकलांगों की दशा पर चिंतित रहने वाले विक्रम मेहता को भी प्रेरणा मिली कि एक ऐसी वैवाहिक वेबसाईट भी होनी चाहिये जहाँ सिर्फ और सिर्फ शादी करने के इच्छुक विकलांग अपना मुफ्त में पंजीकरण करा अपने लिए जीवन साथी चुनने की सुविधा का फायदा उठे सके| और विक्रम मेहता ने इसी प्रेरणा को कार्यरूप देते हुए www.viklangshaadi.com वैवाहिक वेबसाईट शुरू कर दी जो अपना काम मुस्तैदी से करने में तल्लीन है|
बहुत खूब, मंगलकानाएं ,
समाज हित की दिशा मे लिया गया उचित और सराहनीय कदम
बहुत अच्छा प्रयास, शुभमंगल हो।
बढ़िया पहल और कोशिश!!
धनतेरस और दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ।।
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बहुत अच्छा महती कार्य |यह भी समाज -सेवा का अंग है |
बहुत अच्छा प्रयास ,,,
दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ।।
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धन्यवाद रतन सिंह जी , हमारे छोटे से प्रयास से किसी को जीवन साथी चुनने में सहूलियत हो तो बस ये एहसास ही काफी है।
बहुत ही सुंदर प्रयास.
दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत अच्छी प्रस्तुति…दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं…
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