अगणित कटु मधु संघातों का निज अन्तस्तल में ले भार
गत संवत का चपल विहंगम उड़ा शून्य में पंख पसार
क्या चिन्ता बीता सो बीता हुआ विगत का विलय-प्रलय
आगत नये वर्ष का देखो हुआ विंहसता अरुणोदय .
कोटि-कोटि किरणें स्वागत में खड़ी खोल आशा के पट
आगे बढ़कर ललक प्रगति का नभ लें चूम स्नेह लटपट
चरण सदा उपलब्धि मार्ग पर बढ़ें आपके निर्भय हो
हे प्रिय, नवल वर्ष आपका, सुन्दर हो, मंगलमय हो .
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