आज फेसबुक पर विचरण करते हुए एक मित्र के फेसबुक एल्बम में एक विज्ञापन पट्ट का चित्र मिला जो यहाँ प्रस्तुत है
आप भी इस विज्ञापन पट्ट को देखिये और सोचिये इसकी भाषा के बारें में
मेरी शेखावाटी: ब्लोगिंग के दुश्मन चार इनसे बचना मुश्किल यार
ताऊ डाट इन: "नाचै कुदै बान्दरी और खीर मदारी खाय"
पता नहीं हिन्दी की टाँग तोड़ रहे हैं कि अंग्रेजी की।
वाह वाह जी खुब स्पीकना स्पीको एक दिन यह मुई अग्रेजी अपना मुंह काला कर के खुद ही स्पीकना भुल जायेगी, जो बच्चे यहां से स्पीकना स्पीकेगे, ओर ऎम बी ऎ करेगे वो भी तर जायेगे. बहुत सुंदर, यह फ़ोटू मै मेल से अपने अन्य दोस्तो को भी भेज रहा हुं
mast.. praveen bhai ne sahi kahaa..
इसमें तो हिंदी अंग्रेजी दोनों की टांग ही तोड़ दी !
हिंदी+अंग्रेजी =हिन्गलिस
ये भाई साहब तो हिन्गलिस सिखायेंगे 🙂
कमाल का हिन्दीकरण किया है!
बहुत अच्छा लगा. पूत के पांव पालने में ही समझे जा सकते हैं.
फुल जॉब गारंटी है …:):)
🙂 🙂 …बहुत अजीब लगता है भाषा का ऐसा रूप देख कर ..पर सच है कि आज आम बोलचाल में बहुत से शब्द ऐसे ही बोले जाते हैं ..अंग्रेजी का हिन्दीकरण कुछ यूँ हो रहा है….
टीचरों ,..लाईनों ….लाईटें ….
अक्सर अंग्रेजी के शब्द में बहुवचन हिंदी का लगा कर बात कि जाति है….बहुत अखरता है ….
मुझे भी स्पीकना है इंग्लिश
और स्पीको 🙂
मज़ेदार
बी एस पाबला
कौवा हँस की चाल चल रहा है 🙂
nice
हम भी एक बार स्पीकने सीखने गये थे।
एक दिन रास्ते में एक कुतिया पडी सो रही थी। हम कह बैठे:
सलीपले सलीपले डोगणी, तेरे मस्ती के डेज आ रे सैं।
वेरी नाइस।
…………..
प्रेतों के बीच घिरी अकेली लड़की।
साइंस ब्लॉगिंग पर 5 दिवसीय कार्यशाला।
आपने जो स्पीका हमने रीड लिआ:))
बताइए…अब सब इंग्लिश स्पीकिया रहे हैं…
ha ha ha ha ha……….very nice
हा हा हा।
ऐसे ही हमारे ऑफ़िस में एक अधिकारी थे जो अमृतसर से संबंध रखते थे। रोज शाम को जाकर उन्हें इतना पूछते थे कि सर, आज का दिन कैसे बीता और वो तफ़सील से बताया करते, "आज सतारा लैटरां लिखियाँ" अपने पल्ले न पड़ा कभी कि ’लैटरां’ कौन कौन सी भाषा का कॉकटेल है।
रोचक विज्ञापन दिखाया है आपने | अब इनको तो फ़ोकट में पब्लिसिटी मिल ही गयी | हो सकता है शायद इसी लिए लिखा गया होगा | सबका ध्यान इधर ही चला जाए |
I am also learning speakna and trying here in comments.