31.1 C
Rajasthan
Friday, September 22, 2023

Buy now

spot_img

जागरूक बने , सूचना के अधिकार का प्रयोग करें

हम अपने आपको देश के बहुत बड़े जागरूक नागरिक मानते है पर क्या हम वाकई जागरूक नागरिक है? यदि हम प्राचीन काल से नजर डालेंगे और इतिहास का विश्लेषण करेंगे तो पायेंगे कि हम यानी इस देश के नागरिक ना पहले जागरूक थे, ना आज जागरूक है|

यदि इस देश की आम जनता जागरूक होती तो शायद ही हमारा देश गुलाम होता| जब देश पर बाहरी आक्रमण हुए तब हमारे देश की जनता निष्क्रिय रही, क्योंकि उसे लगता था कि आक्रमण शासन के लिए शासक पर किया गया है| और शासक कोई भी उसे क्या फर्क पड़ने वाला है| हमारे यहाँ का आम नागरिक शासकों के मामले में इतना ही सोचता आया कि यह शासक नहीं तो वह सही, हमें तो मेहनत ही करनी है| और इसी का नतीजा था कि 1857 में जब भारत के स्थानीय शासकों ने जब अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र क्रांति की, तब जनता जागरूकता के अभाव में अंग्रेजों को भगाने में सक्रीय नहीं हुई| और नतीजा वह क्रांति फ़ैल हो गई और देश गुलामी की जंजीरों से जकड़ गया|

1857 क्रांति जनता की नजर में स्थानीय शासकों का अपना शासन बचाने का प्रयास मात्र था, अत: वह स्थानीय शासकों के साथ क्रांति में भागीदार ही नहीं रही| स्थानीय शासकों की भी कमी थी कि वे जनता को अंग्रेजों के खिलाफ जागरूक ही नहीं कर पाये, ना उन्होंने कोशिश की|
जब महात्मा गाँधी ने जनता को बताया कि वे अंग्रेजों के गुलाम है और जनता को जागरूक किया कि इन विदेशी शासकों को भगा कर जनता लोकतंत्र के रूप में आजाद हो सकती है| लोकतंत्र में जनता का राज होगा, वह खुद अपना शासक अपने बीच से चुनेगी|
जनता जागरूक हुई और उन अंग्रेजों को बिना जंग किये, बिना लाठी-डंडा चलाये भगा दिया जिनको कभी देश के बहुत सारे शासक हथियारों के बल पर नहीं भगा पाये| लेकिन महात्मा गाँधी ने जनता को इतना ही जागरूक किया था कि इन गोरे अंग्रेजों से सत्ता छीनकर कांग्रेस रूपी काले अंग्रेजों को दे दो, और जनता ने दे दी| कांग्रेस या अन्य लोकतांत्रिक दलों को सत्ता देकर जनता फिर सो गई| कभी जागरूक रहकर यह देखने की कोशिश भी नहीं की कि हमने जिनको राज दिया है वे ठीक ढंग से काम कर भी रहे है या नहीं|

और नतीजा आपके सामने है- हमारे जागरूक नहीं रहने के कारण देश में अरबों रूपये के हजारों घोटाले हो गए, घोटालों से एकत्र किया धन हमारे नेता विदेशों में जमा करा आये, इस तरह हमारा धन बिना मेहनत किये, बिना सिर कटवाये, बिना संघर्ष किये विदेशी हाथों में चला गया| और आज उसी काले धन के नाम पर नेतागण हमारी भावनाओं का वोटों के रूप में दोहन कर फिर हमें बेवकूफ बनाने में तुले है| क्यों ? क्योंकि हम आज भी जागरूक नहीं कि जो जिला कलेक्टर या पुलिस अधिकारी जिसे हम साहब कह कर पुकारते है वह जन-सेवक है, हमारे दिए कर से उसे वेतन मिलता है| वो नेताजी जो कल तक हमसे वोट की भीख मांग रहे थे आज हम पर मंत्री, प्रधानमंत्री बनकर शासन कर रहे है और हम उनके हाथ जोड़े अपने लिए खैरात की मांग करते है| ऐसा क्यों हो रहा है? जबाब सिर्फ एक ही कि हम जागरूक नहीं|
विदेशियों की गुलामी के खिलाफ हम जागरूक हुए लेकिन अपने कथित जन-सेवकों को सत्ता देकर फिओर सो गए और आज भुगत रहे है| हमारे से बाद में आजाद हुए हमारे सामने बेहद छोटे छोटे देश विकास की दौड़ में हमसे आगे निकलल गए|

हमारे जागरूक नहीं होने का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि वर्ष 2005 में बने सूचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल करना हम आज भी बहुत कम जानते है| जबकि जो लोग जागरूक है और इस अधिकार का इस्तेमाल कर रहे है वे वाकई इस देश में अपने आपको आजाद नागरिक समझते है और आजादी का सही मायने में लुफ्त उठाते है|

अत: यदि आप भी आजादी का सही मायने में लुफ्त उठाना चाहते है और अपने मन में आजाद देश के आजाद नागरिक का भाव रखना चाहते है तो सूचना के अधिकार अधिनियम का इस्तेमाल करते हुए सरकारी अधिकारीयों, कर्मचारियों का समय समय पर निरीक्षण कीजिये| मात्र दस रूपये सूचना पाने की फीस चुकाकर कलेक्टर के भी कार्यालय के काम का ऐसे निरीक्षण करने जाईये जैसे कलेक्टर अन्य विभागों में उनके काम का निरीक्षण करने जाता है|
सूचना के अधिकार का उपयोग कीजिये और जागरूक व जिम्मेदार नागरिक बनिए|

Related Articles

3 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,868FollowersFollow
21,200SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles