एक दिन शहर से कुछ लोगों का एक दल अपने बाबा श्री ताऊ महाराज से मिलने आया. ताऊ महाराज ने उस दिन मौनव्रत धारण कर रखा था. सो आगुन्तक दल से बातचीत नहीं कर पाये. शहर आये दल के समय बाबा के आश्रम में कुछ गांव वाले भी बैठे थे. शहरी दल के शिक्षित लोगों ने ताऊ महाराज से देश के विकास व निर्माण हेतु कुछ उपाय बताने का आग्रह किया, लेकिन ताऊ महाराज मौनव्रत में थे सो बातचीत संभव नहीं थी. फिर भी ताऊ महाराज ने पास ही पड़ा अपने देश का नक्शा उठाया और उसके कई टुकड़े कर दिए तथा एक कागज पर शहरी लोगों को लिखकर दिया कि इस नक़्शे को जोड़कर फिर देश बना दो.
शहरी लोगों का पूरा दल कागज के टुकड़ों को जोड़ने में लग गया पर पूरी कोशिश करने बावजूद वे देश के नक़्शे को सही तरीके से नहीं जोड़ पाए. आखिर ताऊ महाराज ने गांव वालों की और इशारा किया कि वे भी कोशिश करें. गांव वालों ने पहले ही प्रयास में नक़्शे को ठीक तरह से जोड़ दिया. तब शहरी लोगों ने पूछा कि उन्होंने इतनी आसानी से व जल्द देश के नक़्शे को कैसे जोड़ दिया?
गांव वालों में एक व्यक्ति बोला – हमने देश नहीं, व्यक्ति को जोड़ा और देश अपने आप बन गया. कहते हुए ग्रामीण ने नक़्शे के दूसरी और बना एक व्यक्ति का चित्र दिखाया.
तभी ताऊ महाराज ने अपना मौनव्रत तोड़ते हुए शहरी लोगों को समझाया कि यदि हम व्यक्ति निर्माण करने में सफल हो जाए तो समझो देश बन गया. और हाँ हम बिना व्यक्ति निर्माण के देश बनाने की कोशिश करें तो असफल होंगे. अत: भारत का सही मायने में निर्माण करना है, विकास करना है तो व्यक्ति बनाने की कोशिश करो, भारत का निर्माण व विकास अपने आप हो जायेगा.
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