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Friday, September 22, 2023

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भारतीय शक्ति दल का राजनैतिक शंखनाद

ध्येय-प्राप्ति के लिए की जाने वाली परिवर्तनकारी चेष्टाओं का नाम ही क्रांति है| राजनैतिक ध्येय-प्राप्ति के लिए की जाने वाली परिवर्तनकारी चेष्टायें राजनैतिक क्रांति और सामाजिक परिवर्तनकारी ध्येय के लिए की जाने वाली चेष्टायें सामाजिक क्रांति कहलाती है|

राजनैतिक क्रांति तक पहुंचना और समाज को उसके लिए तैयार करना सरल कार्य नहीं है| राजनैतिक क्रांति से पूर्व सामाजिक क्रांति आवश्यक है और सामाजिक क्रांति के पूर्व भी विचार क्रांति आवश्यक है| अतएव विचार क्रांति राजनैतिक क्रांति का प्रथम सोपान है| जो व्यक्ति दोनों अवस्थाओं को पार किये बिना ही राजनैतिक क्रांति का प्रयास करते है, उनकी असफलता निश्चित समझी जानी चाहिये|

सामाजिक ध्येय की प्राप्ति के पूर्व सामाजिक जीवन को अनुकूल सांचे में ढालना आवश्यक है| सामाजिक जीवन को नए सांचे में ढालने का तात्पर्य है पुराने संस्कारों की भूमिका पर नये सामाजिक संस्कारों का निर्माण करना| नये सामाजिक संस्कारों के निर्माण के पूर्व सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है| दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने की प्रक्रिया का नाम ही विचार अथवा दार्शनिक क्रांति है| अतएव किसी भी प्रकार की सामाजिक क्रांति का आव्हान करने से पूर्व हमें अपने दृष्टिकोण को सब दिशाओं से हटाकर केवल एक ही केंद्र की और लगा देना चाहिये और वह केंद्र है हमारा ध्येय| राजनैतिक ध्येय के रूप में क्षात्र-धर्म का पालन करने के सिद्धांत को प्रभावशाली और व्यावहारिक बनाने के लिए राज्य सत्ता की प्राप्ति आवश्यक है| सबसे पहले राज्य सत्ता की प्राप्ति के लिए जो कार्य करना है वह है केवल राजपूत जाति के दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना| प्रत्येक राजपूत को प्रत्येक समय, प्रत्येक स्थान पर, प्रत्येक परिस्थिति में और प्रत्येक कार्य करते समय केवलमात्र यही ध्यान रखना है कि शासन करना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और इसीलिये प्रत्येक संभव वैध उपाय द्वारा राज्य सत्ता पर अधिपत्य करना है| इस प्रकार के दृष्टिकोण के निर्माण की प्रक्रिया का नाम ही विचार क्रांति है| कहने की आवश्यकता नहीं कि जिस दिन सम्पूर्ण जाति की विचारधारा में इस प्रकार का मह्त्त्वशाली परिवर्तन आ जायेगा, उसी दिन विचार क्रांति पूरी होकर सामाजिक और राजनैतिक क्रांति के लिए अपने आप मार्ग खुल जायेगा| इस समय केवल मात्र अपने दृष्टिकोण को इस ध्येय की और लगाने की आवश्यकता है|

स्व.आयुवान सिंह शेखावत, हुडील के इन्हीं विचारों को व्यवहार लाते हुये क्षत्रिय समाज के पुराने संस्कारों की भूमिका पर वर्तमान पुरुषार्थी वर्गों को साथ लेकर वर्तमान समयानुकूल नये सामाजिक संस्कारों का निर्माण कर क्षत्रिय समाज में सामाजिक, राजनैतिक क्रांति लाने के उद्देश्य से निर्वाणी अखाड़े के श्रीमहंत राजऋषि मधुसुदन जी महाराज के आदेनुसार श्री राजेंद्र सिंह बसेठ ने रावत युगप्रदीप सिंह जी हम्मीरगढ़, प्रख्यात समाज सेवी यु.एस.राणा, सचिन सिंह गौड़, डा. सिकरवार, जयपाल सिंह गिरासे, झाला साहब, राजपाल चौहान, गणपत सिंह राठौड़ आदि के साथ सालभर पहले वैचारिक क्रांति की श्री क्षत्रिय वीर ज्योति के नाम से शुरुआत की| और धीरे धीरे क्षत्रिय वीर ज्योति की इस वैचारिक क्रांति से देशभर के सैंकड़ों युवा जुड़ते चले गए|

स्व.आयुवानसिंह जी व समाजसेवी श्री देवीसिंह जी महार के विचारों से ओतप्रोत श्री बसेठ ने सामाजिक क्रांति के साथ साथ क्षात्र धर्म का मुख्य राजनैतिक ध्येय भी समझा श्री बसेठ कहते है कि- आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक ध्येय की पूर्ति के लिए राजनैतिक ध्येय मुख्य है| अत: अपना ध्येय केंद्र में रखते हुए श्री बसेठ ने शुरू में वैचारिक क्रांति हेतु समय समय पर सामाजिक, राजनैतिक कार्यकर्ताओं के साथ विचार विमर्श का दौर शुरू करते हुए अपनी राजनैतिक विचारधारा व एजेंडा समझाना शुरू किया, शुरू में विचार विमर्श के दौरान कई कार्यकर्ताओं को लगा कि श्री क्षत्रिय वीर ज्योति की ये योजनाएं और वैचारिक सोच मात्र हवा हवाई है, सिर्फ एक कमरे में बैठ पुरे भारतवर्ष पर राज्य करने की योजना इतने स्थापित राजनैतिक दलों के साथ प्रतिस्पर्धा कर कैसे फलीभूत हो सकती है? पर राजेंद्र सिंह जी ने क्षत्रिय वीर ज्योति के इस मिशन को बिना फल की आशा किये वैचारिक तौर पर अपने साथियों के सहयोग से जारी रखा| इसी बीच इस वैचारिक क्रांति के दौर में श्री क्षत्रिय वीर ज्योति से कई लेखक, बुद्धिजीवी, राजनेता, सामाजिक, राजनैतिक कार्यकर्त्ता जुड़ते गये और वैचारिक क्रांति धीरे धीरे धरातल पर अपना रूप लेने लगी व धरातल पर फैलने को सतत प्रयत्नशील हो गयी|

इसी बीच इस वैचारिक क्रांति ने राजनैतिक क्रांति को आगे बढाने हेतु प्रख्यात समाजसेवी यु.एस.राणा, सचिन सिंह गौड़ आदि के सद्प्रयासों के बल पर “भारतीय शक्ति दल” के रूप में पेशे से सर्जन और उतरप्रदेश के बिजनौर जनपद से विधायक रह चुके डा.वी.पी सिंह की अध्यक्षता में एक राजनैतिक दल ने जन्म लिया| साथ ही इसी वैचारिक क्रांति से प्रेरणा पाकर सर्वप्रथम राजस्थान विधानसभा चुनावों हेतु अलवर जिले की बानसूर विधानसभा क्षेत्र से राजपूत समाज ने अपने साथ रह रहे अन्य समुदायों के साथ मिलकर रमेश सिंह शेखावत चुनाव मैदान में उतरने का आदेश दिया जिसे सिरोधार्य करते हुए रमेश सिंह चुनाव मैदान में आ डटे, और क्षत्रिय वीर ज्योति के राजनैतिक मिशन को आगे बढाने हेतु पहल की, रमेश सिंह शेखावत के साथ ही श्री क्षत्रिय वीर ज्योति मिशन के शुरुआती चरण से साथ जुड़े बच्चू सिंह बसेठ ने भी समाज के आग्रह पर अलवर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की हामी भरी| क्षत्रिय वीर ज्योति का राजस्थान विधान सभा में अपनी विचारधारा के दस कार्यकर्ताओं को चुनाव मैदान में उतारने व विभिन्न दलों से चुनाव लड़ रहे वैचारिक समानता रखने वाले उम्मीदवारों को समर्थन देने की रणनीति बनाई है और इसके लिए सतत प्रयास जारी है और जो अब भारतीय शक्ति दल के रूप में आगे बढ़ रहे है|

इस वैचारिक क्रांति की शुरुआत में जहाँ क्षत्रिय वीर ज्योति के कुछ कार्यकर्त्ता आपस में दिल्ली में बैठ विचार विमर्श करते थे वही आज इस मिशन में भारतीय शक्ति दल, करणी सेना, क्षत्रिय सेना, राजपूत सेना, राजपुताना समाज दिल्ली, राजपूत युवा परिषद्, जय राजपुताना संघ, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, युवा राजपूत विकास समिति हरियाणा, अजगर (अहीर,जाट,गुर्जर,राजपूत) संगठन आदि दर्जनों सामाजिक संगठन शामिल हो कदम मिला रहे है| और देश के विभिन्न क्षेत्रों में क्षत्रिय वीर ज्योति के मंथन शिविरों का आयोजन होने लगा है|

6 अक्टूबर २०१३ को भारतीय शक्ति दल की दिल्ली के कोंसीटीट्युशनल क्लब में हुई सभा में उपरोक्त सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर शक्ति दल को समर्थन दिया| इन संगठनों के अलावा उतरप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा से बड़ी संख्या में आये लोगों ने भाग लिया वहीँ हरियाणा के प्रभावी सामाजिक कार्यकर्त्ता और चर्चित दलित हितैषी वेदपाल सिंह तंवर ने पार्टी को हरियाणा में मजबूत करने की जिम्मेदारी ली| इस तरह एक छोटे स्तर पर शुरू की गयी वैचारिक क्रांति का हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली व उतरप्रदेश तक प्रसार होने हेतु धरातल तैयार हो गया|

सभा में राजपूत संगठनों की उपस्थिति पर पार्टी को जातिय पार्टी समझने की आशंका निवारण करते हुए पार्टी की महिला प्रमुख कुंवरानी निशाकंवर ने अपने संबोधन में कहा- कि ये पार्टी सभी की है और सिर्फ एक क्षत्रिय समाज ही ऐसा है जो सभी वर्गों को साथ लेकर चलने में सक्षम है, क्षत्रिय शासन के समय पुरुषार्थी वर्ग की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए निशाकंवर ने कहा कि समाज में कोई दलित नहीं, कोई छोड़ा बड़ा नहीं, सभी हमारे भाई है जिन्हें हम भूल गये अब जरुरत है उन्हें वापस गले लगाने की| भारतीय शक्ति दल द्वारा किसी पार्टी विशेष के वोट बैंक में सेंध लगाने की आशंकाओं के जबाब में कुंवरानी ने साफ़ किया कि उनकी पार्टी किसी पार्टी के वोट नहीं काटेगी बल्कि अब तक जो लोग राजनीति को गंदी समझ वोट देने घरों से नहीं निकलते वे हमारे चरित्रवान व सक्षम उम्मीदवारों को वोट देने स्वत: घरो से बाहर आयेंगे और हमारी कार्य प्रणाली व राजनैतिक प्रशासनिक सोच देख लोग धीरे धीरे अपने आप हमारी पार्टी से जुड़ेंगे|

सभा में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.वी.पी.सिंह ने पार्टी की विचारधारा व राजनैतिक एजेंडा पर चर्चा करते हुए अपनी पार्टी के मुख्य छ: उद्देशों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि उनकी पार्टी वैज्ञानिक तरीके से शासन चलायेगी| पार्टी की सोच भी विज्ञान आधारित होगी जो सब के हित में सबसे भले के लिए हो|

सभा में राजेन्द्रसिंह बसेठ, राजपूत युवा परिषद् अध्यक्ष उम्मेदसिंह करीरी, रांकपा के राष्ट्रीय महासचिव झाला साहब, हरियाणा के प्रभावी नेता व सामाजिक कार्यकर्त्ता वेदपाल तंवर, मध्यप्रदेश से आये ड़ा. सिकरवार, युवा राजपूत विकास समिति हरियाणा के अध्यक्ष व युवा नेता विनोद पाली, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के बजरंग सिंह तंवर, अजगर (अहीर,जाट,गुर्जर,राजपूत) संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल अतर सिंह सहित सभा की अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय देशभक्त नागरिक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.जयेंद्र जड़ेजा ने अपनी ओजस्वी वाणी से संबोधित किया और अलवर के योगिराज संत योगेन्द्र सिंह जी ने आशीर्वचन दिये|

Bhartiy Shakti Dal, Kshtriy Veer Jyoti, Rajput Yuva Parishad, karni sena, vedpal tanwar, dr.v.p.singh, ajgar

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6 COMMENTS

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा – शुक्रवार – 11/10/2013 को माँ तुम हमेशा याद आती हो …. – हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः33 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर …. Darshan jangra

  2. चलो शुरुवात तो हुई, देर सवेर मंजिल भी मिल जाएगी। स्वर्णिम भविष्य की शुभकामनायें

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