Baleshwar Mahadev Dham, Neem Ka Thana, Rajasthan : राजस्थान के शेखावाटी आँचल में नीमकाथाना तहसील मुख्यालय से लगभग १२-१३ किलोमीटर दूर अरावली पर्वत श्रृंखला की सुरम्य वादियों में Baleshwar Mahadev Dham स्थिति है| यहाँ महादेव का एक सुन्दर व बड़ा सा मंदिर बना है, जहाँ वर्षभर लाखों लोग अपने आराध्य का अभिषेक व पूजा अर्जना करने आते है| न्यूज़ वन टाइम्स के संपादक आनन्द जी चौहरिया ने बताया कि पहले यहाँ एक छोटा सा शिवालय बना था, लेकिन देश के जाने माने अख़बार पंजाब केसरी के मालिकों की यहाँ मांगी कोई मन्नत पूरी होने के बाद उन्होंने यहाँ भव्य मंदिर बना दिया और आज भी वे लोग प्रतिवर्ष यहाँ आते है|
यहाँ स्थिति शिव लिंग के बारे में कई कहानियां प्रचलित है- कोई कहता है कुम्हार द्वारा यहाँ मिटटी खोदते वक्त आवाज आई कि मेरे सिर पर चोट लग रही है, बाद में कुम्हार द्वारा गांव वालों को बुलाकर लाने पर उन्हें यहाँ बहुत बड़ा शिव लिंग नजर आया, वहीं यहाँ मिले जागा बाबा ने इस मंदिर को लेकर हमें पौराणिक कहानी सुनाई जो आप उन्हीं के शब्दों में वीडियो में सुन सकते है|
Baleshwar Mahadev Dham तक आने के लिए अरावली की वादियों के मध्य पक्की सड़क बनी है, नीमकाथाना से यहाँ के मध्य का रास्ता भी प्राकृतिक नजारों से भरपूर और मनमोहक है| नीमकाथाना तक आप रेल या बस से पहुँच सकते है और यहाँ आने के लिए आपको सस्ते में ऑटो या टेक्सी आसानी से किराए पर मिल जाती है| समय समय पर यहाँ मेले व यज्ञ के आयोजन होते रहते है|
Baleshwar Mahadev Dham पर वर्ष पर्यत्न यहाँ देशभर से शिव भक्तों के आने का तांता लगा रहता है, शिव के अभिषेक पूजा अर्चना के साथ लोग सवा मणि चढाने भी यहाँ आते है| सवा मणि का मतलब सवा मन अनाज से बना प्रसाद| सवा मणि में ज्यादातर राजस्थान की प्रसिद्ध डिश दाल चूरमा बनाया जाता है, राजस्थान में अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए सवा मणि प्रसाद चढाने का अच्छा खासा प्रचालन है| राजस्थान के किसान हर वर्ष बालाजी (हनुमान जी) के प्रसाद के तौर पर सवा मणि का आयोजन करते है|
Baleshwar Mahadev Dham मंदिर के पिछले भाग में गुलर का एक पेड़ है, हमें पेड़ की जड़ों में बने एक कुण्ड से लोग पानी निकालकर नहाते नजर आये, इस कुण्ड को अमर कुण्ड भी कहा जाता है जागा बाबा ने इसे भी पौराणिक कथा से जोड़ा है, यहाँ आने वाले श्रृद्धालु इस कुण्ड से पानी निकालकर स्नान करते है लोगों का मानना है कि कुंड के पानी से नहाने पर वे स्वस्थ रहेंगे| गुलर के इस पेड़ की जड़ों में बने कुण्ड में बारह मास पानी भरता है, कोई कितना भी पानी निकाले पर कुंड में कम नहीं होता|
बारिश के दिनों में इस क्षेत्र की प्राकृतिक छटा का नजारा देखने योग्य होता है| यदि आप भी यहाँ आने चाहते है तो बारिश के दिनों में यहाँ आये और इसके साथ ही गणेश्वर, टपकेश्वर आदि जगह जाना ना भूलें|