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Bahu ji ki Bavadi Khandela रानी ने इसलिए बनवाई थी जंगल में यह बावड़ी

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राजस्थान में प्राचीन काल से बारिश की कमी रही है अत: यहाँ के निवासियों को पीने के पानी की कमी की समस्या हर काल में रही है, अत: यहाँ के राजाओं, रानियों, सेठ साहूकारों व धर्म परायण नागरिकों ने पीने के पानी की व्यवस्था के लिए कुँए, बावड़ियाँ व तालाब बहुतायत से बनवाये ताकि स्थानीय निवासियों के साथ राहगीरों को आसानी से पीने का पानी उपलब्ध हो सके| यही कारण है कि राजस्थान के हर नगर में आपको किसी रानी, राजा या धर्म परायण दानवीर द्वारा बनाये कुँए, तालाब व बावड़ियाँ नजर आ जायेंगे|

आज हम एक ऐसी ही ऐतिहासिक बावड़ी की जानकारी देने जा रहे हैं जो खण्डेला की एक रानी ने राहगीरों व तीर्थ यात्रियों के लिए जंगल में पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बनवाई थी| खंडेला की बावड़ी का नाम है बहु जी की बावड़ी| आज यह बावड़ी खंडेला राजपरिवार के सदस्य डा. रायसल सिंह जी शेखावत की निजी सम्पत्ति है पर कभी यह जंगल में तीर्थयात्रियों व राहगीरों की प्यास बुझाती थी| इस बावड़ी का निर्माण खंडेला के राजा बहादुर सिंह जी की रानी गौड़ जी ने विक्रम संवत 1749 में करवाया था| इस बावड़ी में जलस्तर तक जाने के लिए सीढियाँ बनी है और ऊपर आराम करने के लिए एक छतरी नुमा बरामदा भी बना है जो इस बावड़ी के सौन्दर्य को चार चाँद लगाता है| बावड़ी के निर्माण की सूचना देता एक शिलालेख भी बावड़ी पर लगा है जिसमें लिखा है-

सिधश्री महाराज श्री बहादुरसिंहजी की रानी बहुजी श्री गौड़ी राजश्री स्योरामजी की बेटी राजश्री केसरीसिंहजी फतहसिंहजी माँ-बाप कराई पुरी हुई कमैतीसीं अखैरम मोकलदास व पोद्दार दरोगो मीया दोलाखा सुलेमान का बेटा चेजारो धरमो पीथा का बेटा लीखत हरीनाथ रामदास का सं. 1749 का मिती आसोज सुदि 10 |

इस तरह रानी द्वारा बनवाई इस बावड़ी पर शिलालेख लगा है जिसमें रानी ने अपने यशस्वी पिता का नाम भी सगर्व उत्कीर्ण करवाया| आपको बता दें राजा बहादुरसिंहजी की यह रानी गौड़जी सरवाड़ (अजमेर संभाग) के राजा शिवराम गौड़ की पुत्री थी| शिवराम गौड़ राजा गोपालदास गौड़ के ज्येष्ठ पुत्र बलराम के पुत्र थे| बादशाह शाहजहाँ ने उन्हें सूबा मालवा की सारंगपुर सरकार में धंदेरा परगना, वतन की जागीर में प्रदान किया था और उनको राजा का ख़िताब था|

ज्ञात हो औरंगजेब की हिन्दू धर्म विरोधी गतिविधियों के खिलाफ खंडेला के राजाओं में राजा बहादुरसिंह जी ही पहले राजा थे जिन्होंने अपनी अल्प शक्ति के बावजूद औरंगजेब से विद्रोह किया था और उनके पुत्र केसरीसिंह जी जो इसी गौड़ रानी के गर्भ से पैदा हुए थे ने पिता के विद्रोह को आगे जारी रखा| आपको बता दें राजा केसरीसिंहजी ने हिन्दुत्त्व की रक्षा के लिए औरंगजेब की सेना से लड़ते हुए प्राणोत्सर्ग किया था|

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