Badgujar or Raghav, True History of badgujar kshtriya in Hindi
वर्तमान में लगभग 30-35 वर्षों से बड़गूजरों का एक तथाकथित शिक्षित वर्ग अपने आपको ‘राघव कुल के रुप में प्रतिस्थापित करने की जटिल व्याधि से ग्रसित होता जा रहा है।
सूर्यवंशियों के किसी भी कुल के व्यक्ति द्वारा अपने आपको ‘राघव’ या ‘रघुवंशी’ कहना या लिखना अनुचित नहीं है, क्योंकि सभी सूर्यवंशी क्षत्रिय महाराज रघु के वंशधर होने के कारण रघुवंशी कहे जाते हैं। परन्तु उसके साथसाथ सबके अपने-अपने कुल भी हैं।
“पृथ्वीराज रासौ में मेवाड़पति रावल समरसिंह के लिए रघुवंशी शब्द का प्रयोग किया गया है :-
अति प्राकृम रावर सुमर, कूर्रेम नरसिंग जग्गि।
रघुवंशी अति क्रम गुर, कत्थ करन कलि लगि ।68।
(भाग-2, पृ. 574)
जबहि सेन चतुरंग, साहि अरि जंग आइ जुहि।
तबही राज रघुबंश, झुकित वर खड्ग अप्पगहि ।।69।
(भाग-2. पू. 575)
प्रतिहार हम्मीर के लिए भी रघुवंशी’ शब्द प्रयुक्त हुआ है :-
बर रघुवंश प्रधान, राज मंड्यौ विच्चारिय।
बोलि वीर हम्मीर, भेद जाने धर सारिय।
(भाग-2, पृ. 957, काँगड़ा युद्ध)
पजवन राय कछावा के लिए कूरम वंशी प्रयुक्त हुआ है:-
सोलंको सारंगा, राव कूरंम पञ्जूनं।।
लोहा लंगरिराव, खग्ग मग्गह दह गून ।
(भाग-4, पृ. 642)
उक्त विवरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि उक्त सभी विभिन्न कुलों के राजाओं के लिए ‘रघुवंशी’ के साथ-साथ उनके कुलों का भी उल्लेख किया गया है। ऐसे में मात्र बड़गूजरों द्वारा अपने कुल के रूप में ‘राघव’ शब्द का प्रयोग करना, इतिहास को विकृत करने की कुचेष्टा ही होगी।
इसी प्रकार से मध्यप्रदेश के शाजापुर में डाडिया खेड़ी में राजौरा बड़गूजरों की जागीर रही है। यहाँ के बड़गूजर अपने-आपको ‘सीसोदिया’ कहते हैं।
उत्तरप्रदेश के बुलन्दशहर, गाजियाबाद, बदायूँ, मुरादाबाद, मेरठ आदि में बड़गूजर कुल की राजौरा खाँप के लोग बहुतायत में हैं। यहाँ के बड़गूजर भी अपने-आपको ‘राघव बतलाते हैं व राजौरा बतलाने से घबराते हैं। उनको यह भय है कि हमें कोई ‘नाई न समझने लग जाए क्योंकि उधर राजौरा नाई भी हैं।
मजे की बात देखिए कि बुलन्दशहर की शिकारपुर तहसील में राजौराओं के 27 गाँव हैं, जो जाट हो गए हैं, वे अपने-आपको राजौरा बड़े गर्व के साथ बतलाते हैं।
बड़गूजरों में व्याप्त होती जा रही इस विकृति के विषय में जब विचार किया तो ज्ञात हुआ कि यह कोई 35-40 वर्ष पुरानी ही है। जो कुछ तथाकथित शिक्षित लोगों ने प्रविष्ट करवा दी है। इसके पीछे दो कारणों का होना प्रतीत होता है।
प्रथम- ऐसे लोगों का अपने इतिहास से अनभिज्ञ होना।
दूसरा कारण है, ऐसे वर्ग का आत्मलघुत्व की हीन मनोवृति से ग्रसित होना। ‘बड़गूजर” शब्द में ‘गूजर” शब्द के समाहित होने से इस कुल का यह शिक्षित वर्ग, इस भय से कि हमें गूजर व अन्य समाज के लोग गुर्जरों के भाई-बन्धु न समझने लग जाएँ, अपने आपको बड़गूजर बतलाने व लिखवाने में घबराते हैं। यह इनकी हीन मनोवृत्ति का ही परिचायक है।
जब तक हमारा समाज अनपढ़ रहा, इस प्रकार की हीन प्रवृत्ति के लिए कोई स्थान नहीं था। जैसे ही शिक्षित लोगों की संख्या बढ़ने लगी, इस प्रकार की बीमारियाँ भी समाज में प्रविष्ट होने लगी।
बड़गूजर कुल के जो लोग अपने-आपको सीसोदिया मानकर बैठे हैं, स्वयं तो अंधेरे में हैं ही, साथ-साथ अपने आने वाले वंशजों को भी अंधेरे में धकेलने का कार्य कर रहे हैं क्योंकि सीसोदिया खाँप का बड़गूजर कुल में कोई इतिहास नहीं मिलेगा व गुहिलोत कुल में डाडिया खेड़ी का इतिहास मिलने के कारण इन लोगों का इतिहास नष्ट हो जायेगा। तत्पश्चात् ये क्या बन जायेंगे, हमें पता नहीं।
उसी प्रकार से जो राजौरा बड़गूजर इस भय से कि उन्हें कोई नाई या हरिजन न मान लें, वे अपनी खाँप (राजौरा) का प्रयोग नहीं करते है तो यह निश्चित है कि खाँप छोड़ने से तो अवश्य ही आने वाले समय में वे नाई मान लिए जायेंगे और राजौरा नाई बड़गूजर राजपूत मान लिए जायेंगे क्योंकि सूनी पड़ी हुई वस्तु का कोई न कोई मालिक जरूर ही बन बैठता है।
पूर्व अध्याय में हमने स्पष्ट किया है कि एक स्थान से दूसरे स्थान पर जब कोई क्षत्रिय राजा बसते थे तो वे अपने पूर्व स्थान का किसी न किसी रूप में जिक्र करते रहे हैं व अब भी होता है। इसके साथ-साथ उसी स्थान से अन्य जातियों के लोग भी उन राजाओं के साथ आवश्यक कार्यों को करवाने के लिए बसाये जाते थे। जैसे राजौरगढ़ से अन्यत्र जो बड़गूजर राजौरा बड़गूजर कहलाते हैं। उसी प्रकार से ब्राह्मण, नाई, कुम्हार, भी राजौरगढ़ से गए होंगे जो राजौरा ब्राह्मण, राजौरा नाई, राजौरा व राजौरा चमार हैं। ऐसे में मात्र बड़गूजरों का अपने खाँप से घबराना ही विचित्र व हास्यास्पद है, क्योंकि दूसरे समाज के लोग इस रोग से ग्रसित नहीं हैं, जो कि क्षत्रियों के सहायक रहे हैं।
नहीं यदि तरह से यह विकृति करण जारी रहा तो बड़गूजर कुल दो वर्गों में विभक्त हो जायेगा – एक राघव व दूसरा बड़गूजर। इनमें से कौनसा रहेगा व कौनसा अन्य समाजों में मिलेगा, यह उसकी काल व परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। लेकिन यह तो निश्चित है कि क्षात्रधर्म, इतिहास, सभ्यता व संस्कृति को तिलांजलि देने के बाद कोई भी व्यक्ति क्षत्रिय बना नहीं रह सकता है, फिर चाहे वह किसी समाज में मिल जाए। मैं इतना उच्च शिक्षित व्यक्ति तो नहीं हैं, लेकिन यह तो मुझे ज्ञात हो हो गया है कि ‘राघव कुल के नाम से किसी बड़वा की पोथी में, काव्यमहाकाव्य, बात-ख्यात, किसी गजेटियर में, विदेशी यात्रियों के यात्रा विवरण, किसी शिलालेख, ताम्रपत्र लेख, मन्दिर या बावड़ी के लेख आदि में कोई इतिहास उपलब्ध नहीं है। जहाँ रघुवंश या रघुवंशी शब्द का प्रयोग हुआ है, यह सभी सूर्यवंशियों के लिए प्रयुक्त हुआ है, मात्र बड़गूजरों के लिए नहीं हुआ है|
इसलिए हमें जो हम नहीं है, वह नहीं बनकर के, जो हम हैं, बने रहते हुए, अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित, पोषित चिरकालीन परम्परा को बनाये खते हुए और संवर्द्धित करते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए अग्रसर करना हमारा कर्तव्य है।
– महेंद्रसिंह तलवाना की पुस्तक “बड़गूजर राजवंश” से साभार (आयुवानसिंह स्मृति संस्थान द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक, राजपूत सभा भवन, जयपुर से प्राप्त की जा सकती है)
badgujar history in hindi
history of badgujar and raghav rajput
badgujar rajputon ka itihas hindi me
इतिहास को तोड़ मरोड़ कर अपने हित में प्रस्तुत करना कभी भी हितकारी नहीं हो सकता..आपने सही कहा है जो हम नहीं है, वह नहीं बनकर के, जो हम हैं, बने रहते हुए, अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित, पोषित चिरकालीन परम्परा को बनाये खते हुए और संवर्द्धित करते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए अग्रसर करना हमारा कर्तव्य है।
Ye sirf badjujaro ke sath hai kya ?
Kyoki mai bhi badhujar rajpoot sakha ke hi hai.
Locally hame (bihar up ke border) lohtamiya rajpoot kehte hai.
Hamare me koi ray koi singh sir name lagate hain.
Aur kuchh jankari ho to kripya karke bataw
Hame to koi problem nahi h.hum to badguzar h.or surname hamara Raghav h
प्रॉब्लम आज नहीं, आने वाले समय में होगी, जब आपकी पीढ़ी अपने आपको बडगुजर नहीं सिर्फ राघव मानेगी और राघव के नाम से आपका कहीं इतिहास नहीं मिलेगा, अत: आपको सरनेम भी बडगुजर ही लगाना चाहिए, यही बात समझाई गई है इस लेख में|
शेखावत जी आपका लेख पूरी तरह उलझ हुआ है।
आपने न तो बडगुजर को परिभाषित किया और न ही राघव को।
जो बडगुजर है वे समझ गये, बाकी को समझने की आवश्यकता नहीं |
Ratan singh shekhawat ji aap kuch jagah mein theek hai aur kuch jagah galat. Kaise aap apne naam mein kachwaha na laga ke shekhawat lagate hain vaise hi Badgujar Rajput apne naam ke pichhe Raghav, madad, Sikarwar aadi lagate hain jabki unhe pata hai ki vo Badgujar khap ke hain. Jaga unhe sab batate hain. Jai mata ji ki Hukum
mai bhi badgujar hoon. aane waale time me in sab baton ka koi mahatwa nahi rahega. bas aapas me hi baat kar sakenge. Kshatriya caste hi khatam ho gai yaa phir force me kewal kshatriya hi liye jaate. hamara kaam kya tha itihaas me system ko chlalane ke liye jis anushahshan ki awashyakta hoti hai us anushahsan ka anupalan karwana aur uske liye ladna. Samaj ki police, army the ham log. baaki jaatiyan to abhi bhi apna kaam kar sakti hain. baniya apni dukaan khol sakta hai. pandit ji patra sambhal sakte hain, khud mandir ka nirmaan karwake panditai, purohiti kar sakte hain, baaki other caste to make india ka paryay waachi hain. badai tab bhi wahi kar rahe the aur chahe abhi bhi carpaintery ki dukaan khol sakte hain. lekin ham log samaj ke liye lad rahe the. ho sakta hai ki kabhi other caste bhi lade ho talwaar uthai ho lekin jimmedaari kshatriyon ki hi thi. ab aaj ke system me kshatriy khud ki sena nahi bana sakte. to kewal nuksaan ksatriyon ka huaa hai.
right, but ye bi shi kh rhe ha.
Badgujar jo badujjwal ka galat uchcharan hai
Badujjwal ke pita ka nam raghavn hi tha.
Badujjwal 4 bhai the
1 badujjwal
2 guhil(sisodiya)
3 Rathore
4 jhala
Are rathore kaha guhil ka bhai tha…rathore…rashtrakut shakha se h..jinka samradh itihas h…rashtrakut dakshin bharat me faila hua tha ek shakha raj.me jodhpur aayi..
Ratan Singh Shekhawat ji Rajpooton main jo problem pahle thi usi ka parsar aap kar rahe hai ….apne log hi apno ki jad khotte hai ……..Raghav Rajpoot Bhagwan Ram ke Vanshaj hai ….to kya …kisi ko problem hai …..aapko …..lagana hai lagao …….main apne aapko kunwar likhu…..thakur …likhu………rajpoot likhu…….badgujjar ……likhu……..ya raghuvanshi …..likhu……kamse kam aap to esa na bolo………or kom bahut hai ….es kaam ke liye ……….Raghav ya badgujjar likhne main kya dar hai kya nahi …..ye aap hum par chhod do …….aap apni sambhale …………rahi baat etihaas ki ….to jo ab tak na mita …wo aage bhi nahi mit payega …..ye main aap ko yakin dilata hu………..
Lovekesh Kumar Raghav
Bhondsi
Dear All Rajput Sardar,
Upar ke lekah Ko padhkar Mujhe Aisa Laga ki writer Kishi mansik bimari se pidit hai, anytha ye ho hall machane ki kya jarurat pad gayi,, agar app sabhi Bhgwan ram ke vanshaj hain to Raghav lagate kyon nahi, unko roka kishne hai, vo Raghav lagate kyon nahi, ya isko bhi jab sc / St jo ki tathakathit harijan bhi hain, lagane lag jayege tab hosh aayga, ye to Bhala ho badgujaron ka ki unhone Raghav sabd Ko Samman diya aur Bhagwan ram se apne Prem ko ujagaar Kiya, other wise ase Rajput bhi hai jo sabkuch chod ke atpte title likhte hai, Rajput Apne vans, Apne purvojo Ko bhool rahe hain, Abhi tak Raghav titel ko kevel badgujar Rajput lajate hai, Verna Chauhan, Tanwar, Rathore, Bhati, god, aur bahut sare titel sc St me bhi mil jayenge, Raghav par Jada ho Halla machaya to bahut din door nahi jab Sc St kahenge ki asli Raghav to vo hai kyon ki, vo harijan hai aur Bharat ke sanvidhan se unko certificate bhi Mila huaa hai,
With proud
Thanks and Regards
Hari Singh Raghav
9458159512
9411111147
Mai ye book kaise prapat kar skta hu. .plz help me
Contact no. 8151991415
पुस्तक आयुवान सिंह स्मृति संस्थान जयपुर के किसी कार्यक्रम में मिलेगी
Raghav & Sikarwar both are Badujjwal / bargujjar Rajputs. Our Kuldevi is Ashawari Ma in Rajgarh Tehla Alwar District. Our Deity is Lord Rama. We have our presence in Alwar, Dausa, Jaipur Disctricts as Raghav & Sikarwar in Districts Udaipur & Chittorgarh. Elsewhere we have populations in Western UP, Bulandshahr Etawah, Gr Nodia, In Haryana in districts Gurgaon, Fatehabad. In bihar we are known as Lawtemia. So Ratan singh ji you are very right we must be known as Bargujjar Rajputs and our sub clan is Raghav or sikarwar. Just like you are knows as Kachawas & sub clans as Nathawat, Rajawat,Khangarots, Shekhawat, Naruka. Thanks Sir for info.
Raghav & Sikarwar both are Badujjwal / bargujjar Rajputs. Our Kuldevi is Ashawari Ma in Rajgarh Tehla Alwar District. Our Deity is Lord Rama. We have our presence in Alwar, Dausa, Jaipur Disctricts as Raghav & Sikarwar in Districts Udaipur & Chittorgarh. Elsewhere we have populations in Western UP, Bulandshahr Etawah, Gr Nodia, In Haryana in districts Gurgaon, Fatehabad. In bihar we are known as Lawtemia. So Ratan singh ji you are very right we must be known as Bargujjar Rajputs and our sub clan is Raghav or sikarwar. Just like you are known as Kachawas & sub clans as Nathawat, Rajawat,Khangarots, Shekhawat, Naruka. Thanks Sir for info. In Dausa , Alwar we had areas controlled when Dule rai came with his attack and asked us to leave. Then many Bargujar rajputs settled in machidi, Talchidi and areas near Sohna , Tauru Gurgaon. Later from Tauru they formed villages like Bhondsi etc. Ones from Machidi came and got Thikana tehsing near Behror( Alwar) rajasthan which became a riyasat of Jaipur state. Now present day in Jaipur Bargujjar rajputs have Talchidi(Dausa), Tehsing(Alwar), Talwana(Dausa) in Jaipur state.
Pahli bath aap vivad paida na kare badhgujjar rajput ki history ko pata karni ho to cantact kare…hum raghav hai
.8302507739
Aap Rajputo me vivad kyu paida karna chahte hai mai bhi Lauhtamia hu aur Raghav hu hamara history hame samjhane ki jarurat nhi hai agar aapko kuchh janana hai to btao
भगवान श्री राम ने अपने राज्य को अपने पुत्रों में बराबर हिस्सों में बाँट दिया था | इसके तहत लव को उतर कौशल का राज्य मिला था | जो आज के पंजाब के आसपास के क्षेत्र है |
बाद में लव ने लाहौर की स्थापना की |
उत्तर कौशल में लव ने 128 पीढियाँ तक शासन किया |
लव की 129 वीं पीढियों में कनेक्सन हुये और ये गुजरात के वल्लभीपुर में राज्य स्थापित किये |
कनकसेन के चार पुत्र थे |
विरसेन, विरसेन, चन्द्रसेन और राघवसेन
राघवसेन ने गुजरात के बड़नगर में अपना साम्राज्य स्थापित किया और ईनके वंशज बड़नगर का बड और गुजरात के गूजर शब्द मिलाकर बडगूजर कहलाये | बडगूजर राघव सेन का वंशज होने के कारण राघव भी कहलाते हैं |
बडगूजर ( राघव) भगवान राम के पुत्र
लव के वंशज हैं |
लव की वंशावली आपको बीकानेर पुस्तकालय में मिल जायेगा |
बडगूजर ( राघव) की शाखायें
1- सिकरवार
2- मुहाढ
3- लोहतमिया
4- तापडिया
5- खडाड
|| रघुवंशम् सवॅत्र विजयते ||
राजा राम के तनय द्वय ,
लव कुश नृपति सुजान |
लव से लोहथम्भ निकला ,
कह्यो शास्त्र प्रमाण ||
———-नृप वंशावली ———-
सूर्यवंशी राघव (बडगुज्जर)
राजपूतों की शाखा,
एवं
कवि मतिराम रचित नृप वंशावली के अनुसार
लोहतमिया राजपूतों का निकास
भगवान राम के पुत्र लव से बताया गया है |
राजपूत लोहतमिया ( लोहथम्भ )वंश
वंश सूर्यवंशी
शाखा राघव ( बडगुज्जर ) वंश
गोत्र भारद्वाज
प्रवर ऋषि भारद्वाज , वृहस्पति , नैधुव
वेद यजुर्वेद
कुलदेवी मां चण्डी माता
कुलदेवता /ईष्ट देव भगवान रामचन्द्र
शाखा कौथुमी
सूत्र गोभिल ( गृह सूत्र )
आदि पुरुष लव
प्रमुख गद्दी लोहगढ ( महाराष्ट्र )
निवास गाजीपुर , आरा , बलिया
एवं
मगध के कुछ क्षेत्र
उदघोष मंत्र || जय श्री राम ||
|| इति शुभम् ||
Jo kbhi na mitega vo itihas h hum Ram ke vanshaj raghav rajput h hum
रवींद्र सिंह बडगूजर
Sir hum jante hain ki badgujar Rajput bhi dabang Rajput hain,
Or Hume koi bhay bhi nahi h,
But sir aaj tak ye ni pata ki badgujar m gujar word ka matlab kya h,
Hame khushi h ki hum badgujar Rajput ham apni history se bahut khush h,
Jo ham h bo h,
Chahe isme koi raghav,sisodiya,kachhvaha,etc
Koi ho apne gotra or vansh ko kyun bhoole bhai…
Kuchh raghav darte h apne aapko batane m,
Dar lagta h unko,,,
Unhe pata h ki raghav badgujar Rajput h,
Dikha do history apni,
Bata do puchhne wale ko,
Or hamesha milkar raho all rajput
Ram Ram
Jai bhawani
Aapne sahi kaha sir lekin sc cast me badgujar kyo hai?
Khatik jaty me badgujar chouhan khichi rajora pawar solanki or bhi kai upjaty hai jo rajputo me bhi paai jaaty hai esa kyo hai
Bhai log meri samjh m nhi ata hmm log apas m kyu ldai krte h akhir ap saval puchke kya sabit krna chahte ho hm log chahe raghav lgaye ya badgujar h to rajput hi na kya prman chahye apko ki hm rajput hmm bhagvan ram ke vansaj h kisi ko koi sk h kya hamara kholta khun hi batata h ki hm kattar rajput h the or rhenge or hmm raghav sabd ki utpatti ramayan kal se chali a rhi h jisko sk h ramayan dekh lo pta chal jaega
Raghavas kaha kaha hai
मैं सिर्फ एक सीधी सीधी बात पूछना चाहता हूं जो मुझे परेशान किए हुए हैं मेरा सवाल यह है प्लीज इसका आंसर जरूर दीजिए वैसे तो मैंने पढ़ लिया है कि बड़ गुज्जर ठाकुर होते हैं ठाकुर मतलब राजपूत
बुलंदशहर और खुर्जा के पास जो बड़ गुज्जर बसते हैं वह सब राजपूत वंशज से ही है. प्लीज एक बार जरूर यहां पर अपना जवाब छोड़ें,
Ur thoughts r biased snd put community grace at stake
Hum Badgujar Rajput hain
hume garv hain apne ap ko Raghav Rajput btane me.
Sooryvansh ki sabhi shakhanyein Raghuvanshi ki he shakha hain or kisi k dwara is sabd ka upyog nhi kia gya . Keval Badgujar rajput jo Shree Ram k putra Lav k Vanshaj rhe hain unhone isko samman se apna surname banaya .
Isse hamari parampara or itihaas pr kya fark pdega ? Aakhir Badgujjar Rajput Shree Ram ki Vanshaj h jisme koi bhi sandeh nhi hai to apne apko Raghav Rajput btane me kya burai h ?
आपकी यह बात बिल्कुल भी सही नहीं है कि लगभग 30-35 वर्षों से बड़गूजरों का एक तथाकथित शिक्षित वर्ग अपने आपको ‘राघव कुल के रुप में प्रतिस्थापित करने की जटिल व्याधि से ग्रसित होता जा रहा है और अपने को बड़गुजर कहने से डरते हैं। राघव कब से और किन किन क्षेत्रों लगा रहे हैं यह अलग मुद्दा है पर अपने को बडगूजर राजपूत ही कहते हैं। बडगूजर कहलाने से डरते हैं यह आज तक नही सुना, आज पहली बार अभी आपके इस लेख में ही देख रहा हूँ। मेरी आयु 61 वर्ष है और स्कूल में प्रवेश से ही ऑन रिकॉर्ड मेरा नाम विजय सिंह राघव है। मेरे दादाजी जीवित होते तो उनकी आयु अभी करीब 115 वर्ष होती। बुलंदशहर जिले की खुर्जा तहसील की अरनिया सहकारी समिति की ब्रिटिश कालीन बिल्डिंग में लगे नामपट्ट में तत्कालीन निदेशक मण्डल में मेरे दादाजी का नाम भी ठाकुर महावीर सिंह राघव लिखा हुआ है। हम बडगूजर ठाकुर कहलाये जाते हैं और अपने को बडगूजर ही कहते हैं। रही रघुवंशी/ राघव की बात तो सूर्यवंश में राजा दिलीप के पुत्र राजा रघु ( राम के पितामह, यानि राम के पिता राजा दशरथ उनके पिता राजा अज और राजा अज के पिता राजा रघु ) के नाम से ही आमतौर पर रघुकुल/रघुवंश स्वीकार किया जाता है। यदि सूर्यवंश के राजा रघु के अन्य वंशज भी अपने को रघुवंशी/ राघव कहलाना चाहें तो किसी को क्या एतराज हो सकता है।
बाकी हमारे देश में इतिहास लेखन की परंपरा ही नहीं रही, जो भी इतिहास है वह जगाओं की पोथी, राव भाटों द्वारा प्रंशसा में रचित रचनाओं और वाल्मीकि कृत रामायण एवं उस समय के अन्य साहित्यों पर ज्यादा आधारित है। वाल्मीकि रामायण के अतिरिक्त अन्य रामायण भी हैं, तुलसीदास जी की रामचरित मानस भी है, इनमें कई बातों और घटनाओं में विरोधाभास भी हैं। प्राचीन साहित्य में भास की एकमात्र राजतरंगिणी ऐतिहासिक मापदंडों में मानी जाती है।
इसलिए भी कई मुद्दों पर विरोधाभास स्वाभाविक है।
रतन सिंह जी बुरा मत मानिएगा अपनी पूर्व टिप्पणी में, मैं यह और जोड़ना चाहूंगा कि आपने प्रारंभ में ही जो यह कहा है कि ” उक्त कुलों के राजाओं के लिए ‘रघुवंशी’ के साथ-साथ उनके कुलों का भी उल्लेख किया गया है। ऐसे में मात्र बड़गूजरों द्वारा अपने कुल के रूप में ‘राघव’ शब्द का प्रयोग करना, इतिहास को विकृत करने की कुचेष्टा ही होगी।
इसमें इतिहास को विकृत करने की कुचेष्टा जैसी बात करना तो बहुत ही आपत्तिजनक और बड़गुजरों के प्रति आपके पूर्वाग्रह को अभिव्यक्त करता है।
श्रीमान रतन सिंह शेखावत जी
आपके इस लेख में जो समस्या को आप उजागर करना चाहते हैं वो में समझ गया हूँ
लेकिन आपके द्वारा लिखे गए अनेक वाक्य आपत्तिजनक और विवादास्पद हैं
सबसे पहली बात बड़गुजर मात्रा ३०-३५ साल से राघव surname उपयोग नहीं कर रहे हैं
मेरे पिताजी का नाम ठाकुर अजीत सिंह राघव है उनके पिता जी का नाम ठाकुर अमर सिंह राघव था और उनके भी पिताजी का नाम ठाकुर गजराज सिंह राघव था और मेरा नाम रितेश सिंह राघव है
और हम मुरादबाद जिले में रहने वाले राजोरिया बड़गूजर हैं और हम आज भी अपने आप को बड़गूजर राजपूत ही बताते हैं इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी भय नहीं है और ये तर्क मुझे जानकार आश्चर्य भी हुआ
आज बहुत से राजपूत अपने कुल का नाम उपयोग नहीं करते और केवल उपाधि जैसे ठाकुर और राजपूत या फिर कुमार और सिंह surname ही लिखते हैं जो की सही नहीं है पर बड़गूजर अपने रघुकुल का ही नाम उपयोग कर रहे हैं
“लेकिन यह तो निश्चित है कि क्षात्रधर्म, इतिहास, सभ्यता व संस्कृति को तिलांजलि देने के बाद कोई भी व्यक्ति क्षत्रिय बना नहीं रह सकता है”
आपका ये कथन बड़गूजर राजपूतों के लिए बिलकुल गलत है
बड़गुजरों ने कभी भी अपनी संस्कृति और इतिहास को नहीं भुलाया बल्कि अपने संस्कारों को और इतिहास को संजों कर रखा है और रघुवंशी होने के कारण राघव surname को उपयोग करते हैं जिससे किसी भी सूर्यवंशी राजपूत को आपत्ति नहीं हो सकती क्यूंकि आप भी आज़ाद हो राघव सरनेम उपयोग करने के लिए I
पर में आपका धन्यवाद करता हूँ की अपने हमारे बारे में सोचा और अपने विचार प्रस्तुत करें
जय हिन्द जय राजपुताना
बड़गुजर-शेखावत भाई भाई
पहली बात ये लेख मेरा नहीं महेंद्रसिंहजी तलवाना द्वारा लिखी पुस्तक “बड़गूजर राजवंश” से साभार लिया गया है |
दूसरी बात बड़गुजर-शेखावत अब भाई भाई नहीं सगे सम्बन्धी है, बड़गुजर-शेखावतों के मध्य अनेक वैवाहिक सम्बन्ध हुए हैं और हो रहे हैं अत: भाई भाई की जगह सगे सम्बन्धी माने 🙂 🙂
रतन सिंह शेखावत जी मुझे आप से कुछ जानकारी लेना है प्लीज आपका मोबाइल नम्बर देवे
आप अपने नंबर लिख दीजिये हम आप से सम्पर्क कर लेंगे |