Home News ज्ञान दर्पण पर इतिहास के सारे लेख यहाँ है

ज्ञान दर्पण पर इतिहास के सारे लेख यहाँ है

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1-महाराव शेखा जी
2-राव विरमदेव,मेड़ता
3-वीर राव अमरसिंह राठौड़ और बल्लू चाम्पावत
4-वीर शिरोमणि दुर्गादास राठोड़
5-विलक्षण व्यक्तित्व के धनी महाराणा प्रताप
6-राजा रायसल दरबारी,खंडेला
7-राजा पज्ज्वनराय,आमेर
8-राव रायमलजी,अमरसर
9-राव कुंपा जोधपुर
10- राव जोधा जी,जोधपुर
11-राव सीहा जी राजस्थान में स्वतंत्र राठोड राज्य के संस्थापक
12-राव शिव सिंह जी,सीकर
13-राव जयमल,मेड़ता
14-परमवीर हवलदार मेजर पीरु सिंह
15-जौहर और शाका
16-महाराव शेखाजी का घाटवा युद्ध
17-राव शेखा जी का आमेर से युद्ध और विजय :
18-शेखावत वंश
19-शेखावत वंश की शाखाएँ -1
20-शेखावत वंश की शाखाएँ -2
21-शेखावत वंश की शाखाएँ -3
22-महाराणा प्रताप के बारे में एक गलत भ्रांती
23-राजस्थान में अंगरेजों का दखल
24-चित्तोड़ के जौहर और शाके
25-जोधपुर की रूठी रानी
26-सर प्रताप और जोधपुरी कोट
27-एक राजा का साधारण औरत द्वारा मार्गदर्शन
28-बीच युद्ध से लौटे राजा को रानी की फटकार
29-हाड़ी रानी और उसकी सैनाणी ( निशानी )
30-जालौर का जौहर और शाका
31-रणथंभोर दुर्ग
32-देवताओं की साल व वीरों का दालान (मंडोर-जोधपुर)
33-स्वतात्र्ता सेनानी ठाकुर डूंगर सिंह व ठाकुर जवाहर सिंह
34-रणथंभोर दुर्ग
35-जोधपुर का मंडोर उद्यान
36-शेखावाटी
37शेखावाटी का अंग्रेज विरोधी आक्रोश
38-कुम्भलगढ़ दुर्ग
39-खूड का संक्षिप्त इतिहास
40-ठाकुर मंगल सिंह जी ,खुड
41-क्रांतिकारी कवि केसरी सिंह बारहट
42-वीर बड़ा या जागीर , अक्ल बड़ी या धन
43-अठै क उठै (यहाँ कि वहां ) 44-जूनागढ़ ,बीकानेर
45-पाबू -1
46-पाबू -2
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66-स्वतंत्रता समर के योद्धा : महाराज बलवंत सिंह ,गोठड़ा
67-स्वतंत्रता समर के योद्धा : श्याम सिंह ,चौहटन
68-स्वतंत्रता समर के योद्धा : महाराज पृथ्वी सिंह कोटा…
69-स्वतंत्रता समर के योद्धा : राव गोपाल सिंह खरवा
70-पन्ना धाय
71-एक वीर जिसने दो बार वीर-गति प्राप्त की |
72-राजऋषि ठाकुर श्री मदनसिंह जी,दांता |
73-पाबूजी राठौड़ : जिन्होंने विवाह के आधे फेरे धरती पर व आधे फेरे स्वर्ग में लिए |
74-राजा मानसिंह आमेर |
75-शर्त जीतने हेतु उस वीर ने अपना सिर काटकर दुर्ग में फेंक दिया |
76-हाड़ी रानी :मन्ना डे द्वारा गायी कविता का वीडियो |
77-राजाराम जाट : जिसने अकबर की कब्र खोदकर अस्थियाँ जला डाली थी |
78-देवालयों की रक्षार्थ शेखावत वीरों का आत्मोत्सर्ग |
79-धरती माता को रक्त-पिंडदान |
80-बाला सती रूपकंवर जी : जो 43 वर्ष बिना अन्न जल के रहीं |
81-कवि की दो पंक्तियाँ और जोधपुर की रूठी रानी
82-इतिहास की एक चर्चित दासी “भारमली”
83-चार लाख रु.लालच भी नहीं भुला सका मित्र की यादें
84-रानी पद्मिनी |
85-रानी जवाहर बाई |
86-पति के प्राणों की रक्षार्थ अपना प्राणोंत्सर्ग करने वाली रानी कलावती |
87-पन्ना धाय से कम न था रानी बाघेली का बलिदान |
88-रानी जसवंत दे हाड़ी |
89-राजस्थानी प्रेम कथा : मूमल-महिंद्रा -1 |
90-राजस्थानी प्रेम कथा : मूमल महिंद्रा – 2 |
91-भूमि परक्खो |
92-भूमि परक्खो-2 |
93-जय जंगलधर बादशाह -1 |
94-जय जंगलधर बादशाह -2 |
95-वो वीर मर मिटा नकली बूंदी पर भी |
96-राजस्थानी प्रेम कहानी : ढोला मारू |
97-कंवल – केहर : प्रेम कथा |
98-स्वाभिमानी कवि का आत्म बलिदान |
99-जब ठाकुर साहब ने की कविराज की चाकरी |
100-मुंहणोंत नैणसीं |
101-क्रांतिवीर : बलजी-भूरजी |
102-क्रांतिवीर : लोटियो जाट और सांवतो मीणों |
103-मूंछों पर ताव |
104-शरणदाता के लिए सर्वस्व बलिदान कर दिया वीर मुहम्मदशाह ने |
105-सुहाग पर भारी पड़ा राष्ट्र के प्रति कर्तव्य |
106-किले का विवाह |
107-अश्वमेघ यज्ञ का स्वांग |
108-जिन्दा भूत |
109-निर्भीक कवि और शक्तिशाली सर प्रताप |
110-नमक का मोल |
111-राव चंद्रसेन |
112-बीकानेर का राजकुमार वीर अमरसिंह|
113-पद्म श्री डा.रानी लक्ष्मीकुमारी चुण्डावत : परिचय |
114-इतिहास के गौरव ठा. सुरजनसिंह शेखावत एक परिचय |
115-मृत्यु का पूर्वाभास : क्रांति के अग्रदूत राव गोपालसिंह खरवा के अद्भुत महाप्रयाण की घटना |
116-रामप्यारी रो रसालो |
117-इतिहास प्रसिद्ध ताकतवर दासी : रामप्यारी|
118-मृत्यु के वक्त भी कविता |
119-पत्र का जबाब |
120-प्रणय और कर्तव्य |
121-वीर झुंझार सिंह शेखावत,गुढ़ा गौड़जीका
122-मीरांबाई
123-राजपूत नारियों की साहित्य साधना : चंपादे भटियाणी
124-वीर दुर्गाजी शेखावत और उनकी दृढ-प्रतिज्ञा
125-राव टोडरमल-उदयपुर (शेखावाटी)
126-बल्ला क्षत्रिय
127-भानगढ़ का सच
128-दुल्हेराय : राजस्थान में कछवाह राज्य के संस्थापक

129-कवयित्री रानी छत्र कुंवरी राठौड़, राघोगढ़
130-अलवर की साहित्य साधक महारानी आनंद कुंवरी राणावत
131-साहित्य साधक शाही राजपूत नारियां
132-बणी-ठणी : राजस्थान की मोनालिसा
133-राघोगढ़ की कवयित्री रानी सुंदरी कँवर राठौड़
134-रानी ब्रजकुंवरी बांकावत की साहित्य साधना
135-राजपूत नारियों की साहित्य साधना : प्रेम कुंवरी
136-राजपूत नारियों की साहित्य साधना : चंपादे भटियाणी
137-मीरांबाई
138-राजपूत नारियों की साहित्य साधना
139-हीरादे : राष्ट्र भक्ति का अनूठा उदाहरण
140- राजा मानसिंह जोधपुर
141- जब कवि ने शौर्य दिखाया
142-जोधा-अकबर : कहाँ से शुरू हुआ भ्रम और विवाद ?
143- चक्रवर्ती सम्राट विचित्रवीर्य का नाम चित्र-रथ से विचित्र वीर्य क्यों पड़ा ?
144- भाग्य में लिखा वो मिला
145- निरबाण राजपूत : निर्वाण नहीं “निरबाण” लिखिए जनाब
146- व्यापार ही नहीं शौर्य में भी कम ना रहे है बणिये
147- जब कवियों ने मनाई मित्र राजा की रूठी प्रेयसी

36 COMMENTS

  1. AUR MAHARANA PRATAP KE BARE ME ME BHI NAHI KE BARABAR LIKHA HAI,,,,,,,,,, UNKA TO PURA ITIHAS LIKHNA CHAIYE UNKI MATA JEWANT KANWAR SONGARA (PALI MARWAR) AUR MAHARANA PRATAP KI HAMESHA SAHAYATA KARNE WALE PALI KE SONGARA CHAUHAN KA TO KUCH BHI NAHI LIKHA

  2. bahut achchha blog hai aapka.. ek vinati hai aapse.. bachpan mein maine ek kahani padhi thi.. sheershak yaad nahi hai..varna dhundne mein aasani hoti.. wo kahani kuchh aise thi.. ek chhota ladka tha.. apne janmdin par apni maa se kheer banane ki baat karta hai.. maa usko doodh lene k liye bhejti hai.. aur peeche se uske liye khane k bahut sare saman banati hai.. lekin tabhi gaanv mein bahut shor machta hai.. ki taimoor naam ka ek daaku apne gut ke saath aaya hai.. aur lootpaat kar raha hai.. mohalle ke do log us aurat ko chhupne ko kahte hai.. wo sab tahkane mein chale jate hai… taimoor aata hai.. unke gahr mein dake k liye.. kafi saara khana bana dekh wo aur uske log khana khate hai.. sab tod fod karte hai.. tabhi wo ladka wapas aata hai.. aur ghar ki halat dekh kar taimoor ko lalkarta hai.. pahle thodi kaha suni hoti hai.. aur phir taimoor uska challenge maan leta hai.. aur kahta hai main talwar se ladunga tum kaise ladoge.. tab wo ladka chaku nikalta hai.. uski bahaduri se taimoor bahut khush hota hai.. aur use dost kah kar vada karta hai ki wo ab daaka nahi dalega kabhi.. apne dal ko lekar wapas chala jata hai… is kahani mein taimoor ka ek pair kharab hai.. isse related bhi kuchh dialogues hai us kahani mein.. kya aap wo kahani dhund kar de sakte hai mujhe.. dhanyavaad..!!

  3. Bhot achha. Ham vanod state gujarat ke rathod mali cast se he. Bhat ke book mutabit ham jodhpur ke rathod rajput se he aur hamari 25'th piddhi ke father ladte hue vedd ( radhanpur gujarat ke pasme gav) tak aa gaye aur vedd me apna thikana kayam kiya vahase vanod aye the. .aj bhi vanod me muslim rathod hai aur ham hindu mali rathod hai .fir saval ye hai ki ham rajput se mali kyu aur kaise bane.koi jankari ya book ho to bata ne ki krupa kare.

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