एक कुम्हार मिट्टी को लोथकर उससे धुम्रपान के शौकीनों के लिए चिलम बनाने की सोच रहा था कि मिट्टी का वह लोथड़ा जो उसके हाथ में चाक पर चढ़ने को तैयार था बोल पड़ा और कुम्हार से पूछने लगा कि वह मेरा क्या बनायेगा?
कुम्हार ने उसे बताया कि वह उसकी चिलम बनाने जा रहा है और कुम्हार ने उससे चिलम बनाने का कार्य शुरू कर दिया| लेकिन चाक चलाते चलाते कुम्हार का अचानक विचार बदल गया और उसने उस मिट्टी के लोथड़े की चिलम की जगह सुराही बना दी|
मिटटी का वह लोथड़ा जो अब सुराही की शक्ल में बदल गया था ने फिर कुम्हार को पूछा कि- तुम मुझे चिलम बनाने वाले थे तो सुराही कैसे बना दिया?
कुम्हार ने जबाब दिया- मैं चला तो था तुझे चिलम बनाने को ही, पर बनाते बनाते मेरा विचार बदल गया और मैंने तुम्हें सुराही बना दिया|
तब सुराही बनी मिट्टी ने कहा – एक छोटा सा विचार जीवन को एकदम से बदल देता है| अब देखो तुम मुझे चिलम बनाने वाले थे, यदि मैं चिलम बनता तो नित्य पता नहीं कितने लोग मेरे अन्दर बदबूदार तम्बाकू, गांजा आदि भरकर उनका सेवन करते और अपना स्वास्थ्य ख़राब कर कालकलवित होते| मुझे इसका कारण बनता पड़ता और जीवन भर इस बदबूदार परिस्थिति में पड़ा रहना पड़ता, लेकिन तुम्हारे छोटे से विचार ने मेरी तक़दीर बदल दी, मेरा जीवन एकदम बदल दिया| अब मेरे अन्दर जल भरा जायेगा और मैं उसे शीतलता देकर उस जल को पीने वालों की जीवन भर सेवा कर परमार्थ का कार्य करता रहूँगा| यह शीतल जल मुझे भी शान्ति देगा और पीने वालों की भी प्यास बुझायेगा|
इस तरह तुम्हारे एक विचार ने मेरा जीवन बदल दिया|
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