बलात्कार के बाद का बलात्कार

pagdandi
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मेरी एक नन्ही सी नादानी की इतनी बड़ी सजा ?

डग भरना सिख रही थी,

भटक कर रख दिया था वो कदम

बचपन के आँगन से बाहर ...

जवानी तक तो मै पहुंची भी नहीं थी कि

तुमने झपट्टा मार लिया उस भूखे गिद्ध की मानिंद

नोच लिए मेरे होंसलों के पंख

मेरे सीने का तो मांस भी भरा नहीं था कि

तुमको मांसाहारी समझ के छोड़ दूं

टुकड़ों मे काट दिया है तुमने मेरी जिंदगी को

अब ना समेट पाऊँगी

अपनी नन्ही हथेलियों से

मेरे मुंह पर रख के हाथ जितना जोर से दबाया था

काश एक हाथ मेरे गले पे होता तुम्हारा

तो ये अनगिनित निगाहे यूं ना करती आज मेरा

बलात्कार के बाद का बलात्कार .

केसर क्यारी ....उषा राठौड़

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28टिप्पणियाँ

  1. हमेशा की तरह शानदार रचना

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  2. कुछ कहा ही नहीं जा रहा है, लिखा ही ऐसा है, बेहद मार्मिक

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  3. बेहद मार्मिक अभिव्यक्ति | शानदार |

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  4. बाद में तो आत्मा की हत्या कर दी जाती है..

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  5. kyaa is kavita ko naari kavita blog par dae saktee hun
    email sae swikrtit dae

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  6. नि:शब्द करती रचना ... और दृश्य जैसे आँखों में तैर गया हो

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  7. vrtmaan bigdti sanskrti ko darshati ye kavita....kabile tarif....hkm

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  8. बलात्कार के बाद की त्रासदी क यथार्थ चित्रण |

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  9. यही तो त्रासदी है …………कुछ कहने को बचा ही नही…………बेहद मार्मिक्।

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  10. काश एसी बातें उन तक पहुँच पाती जो इसके जिम्मेदार होते हैं पर फिर सोचती हूँ जिन्हें किसी के एहसास का कोई इल्म ही न हो वो इस दर्द को कहां जान पाएंगे |
    बेहद सुन्दर रचना |

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  11. बेहद उम्दा चित्रण किया है आपने |

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  12. समाज का एक सत्य व्यक्त करती दमदार रचना।

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  13. बलात्कार जैसे जघन्य अपराध समाज के लिए कलंक हैं।

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  14. काश एक हाथ मेरे गले पे होता तुम्हारा
    तो ये अनगिनित निगाहे यूं ना करती आज मेरा
    बलात्कार के बाद का बलात्कार

    उषा, तुमने समाज के एक कटु सत्य को उजागर करने का प्रयत्न किया है|
    तुम्हारी यह चेष्टा अत्यंत प्रभावकारी है एवं इसके लिए तुम बधाई की पात्रा हो|

    इसमें कुछ ऐसा भी जोड़ा जा सकता है:-

    और यदि मैं ले लेती निर्णय
    कोर्ट कचहरी का दरवाजा खटखटाने का
    तो वहाँ शुरू होता बलात्कार का तीसरा दौर|

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  15. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  16. बहुत मार्मिक प्रस्तुति....

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  17. कमाल की कविता है। एक पीडिता का पूरा दर्द इन पंक्तियों में जिस शैली में रखा गया है,वह अद्भुत है।

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  18. ,......वर्तमान हालात पे चोट करती हुई बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति...उषा जी..

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  19. आपकी प्रभावशाली कलम से निकली हुई अदिव्दित्य और असाधारण अभिवयक्ति !! पीड़िता के क्षत विक्षत अवचेतन की मार्मिक चित्कार .......

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  20. आपकी प्रभावशाली कलम से निकली हुई अदिव्दित्य और असाधारण अभिवयक्ति !! पीड़िता के क्षत विक्षत अवचेतन की मार्मिक चित्कार .......

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