34.2 C
Rajasthan
Saturday, June 10, 2023

Buy now

spot_img

हठीलो राजस्थान-15

नर चंगा निपजै घणा,
घणा थान देवात |
दिल्ली सामी ढाल ज्यूँ ,
धरा धींग मेवात ||८८||

जिस मेवात की वीर-भूमि में उत्कृष्ट वीर पैदा होते है ,जहाँ अनेक देवालय है तथा जो दिल्ली के आक्रान्ताओं के लिए ढाल स्वरूप रही है ; ऐसी यह प्रबल और प्रचंड मेवात की धरती है |

कांपै धर काबुल तणी,
पतशाही पलटाय |
आंटीला आमेर री,
दिल्ली दाद दिराय ||८९||

जिसके प्रताप से काबुल की धरती कांपती है तथा जो बादशाही को पलटने में समर्थ है,इस प्रकार के गौरवशाली आमेर की महिमा को दिल्ली भी स्वीकार करती है |

सरवर तरवर घाटियाँ
कोयल केकी टेर |
झर झरता झरणा झरै,
आछी धर आमेर ||९०||

जहाँ तालाबों,पेड़ों व घाटियों में कोयल व मोरों की ध्वनी सुनाई देती है तथा जहाँ पर झर-झर करते निर्झर झरते है ,आमेर की भूमि ऐसी सुहावनी है |

गंधी फूल गुलाब ज्यूँ,
उर मुरधर उद्याण |
मीठा बोलण मानवी,
जीवण सुख जोधांण ||९१||

मरुधरा का हृदय स्वरूप जोधपुर , उद्यान में खिले हुए सुगन्धित गुलाब के फूल के सामान है | यहाँ के लोग मीठी बोली बोलने वाले है अत: जीवन का वास्तविक सुख यहीं प्राप्त होता है |

उतरी विध उदयांण में ,
साज सुरंगों भेस |
दीलां बिच आछौ फबै,
झीलां वालो देस ||९२||

रेतीले राजस्थान के बीच झीलों वाला प्रदेश मेवाड़ ऐसे शोभायमान हो रहा है मानों विधाता श्रंगार करके किसी उद्यान अवतरित हो गई हो |

गाथा भल सुभटा नरां ,
पेच कसूमल पाग |
साहित वीरा रस सदां,
रागां सिन्धु राग ||९३||

जहाँ शूरवीर,सुभटों की गाथाएं गाई जाती हो,कसूमल पाग के पेच कसे जाते है,वीर रस से ओतप्रेत साहित्य का सृजन होता है तथा वीरों को जोश दिलाने वाला सिन्धु राग गाया जाता है | ऐसी यह मरुभूमि धन्य है |

लेखक : स्व.आयुवानसिंह जी शेखावत

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,803FollowersFollow
20,900SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles