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Tuesday, September 26, 2023

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स्व.भैरोंसिंह शेखावत के मुख्यमंत्री काल व उनके साम्प्रदायिक सदभाव का काव्य वर्णन

पूर्व उपराष्ट्रपति स्व.भैरोंसिंह जी की कल १५ मई को द्वितीय पुण्य तिथि है इस अवसर पर उनके गांव खाचरियाबास जिला सीकर राजस्थान में एक समारोह में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया जायेगा| इस अवसर पर भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी,पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री श्री ओमप्रकाश चौटाला सम्मिलित होंगे| इनके साथ ही देशभर के साथ शेखावाटी के लोग भी काफी संख्या में भाग लेंगे|
स्व.भैरोंसिंह जी को राजस्थान में बाबोसा कहकर पुकारा जाता है बाबोसा राजस्थान में पिता के बड़े भाई को कहते है अत: यह सम्मान जनक उद्बोधन ही राजस्थान की जनता के मन में स्व.भैरोंसिंह जी के प्रति सम्मान को प्रदर्शित करता है| आजादी के बाद राजस्थान में कई मुख्यमंत्री आये और गए पर जो सम्मान जनता ने एक मुख्यमंत्री व नेता के तौर पर स्व.भैरोंसिंह जी को दिया वह राजस्थान का कोई दूसरा मुख्यमंत्री नहीं पा सका| इसका एक ही कारण था उन्होंने कभी किसी के साथ जातिय व धार्मिक भेदभाव नहीं रखा और जो भी योजनाएं बनाई वे आमजन के लिए हितकारी साबित हुई|

उनके मुख्यमंत्री काल व उनके साम्प्रदायिक सदभाव का वर्णन राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार श्री सौभाग्य सिंह, भगतपुरा ने राजस्थानी काव्य में इस तरह किया है-

मुख्यमंत्री काल

आप दिवाणी काल में, कदैन पडियों काल |
सोरो सगलो मानखो, सदा प्रान्त सुकाल ||१

धान पात री बोल रयी, नहीं रोग आजार |
सुखी रियो सो मांनखो, गायो राग मल्हार ||२

निपज उपज व्ही मोकली, मिनखां मेल मिलाप |
निबल निजोरा नार नर, रुलतां दिय रुजगार ||३

बरतायो सत जुग जबर, कीधो बड उपगार |
राम रेवाड़ी ताजिया, होली ईद त्योंहार ||४

मेल भेल सू मन्न्वी, बिना खार घण प्यार |
लूट खोस अर जेब कट, चाम चोर घर फोड़ ||५

सीव नींव सह साबती, राड़ो रोल नह झोड़ |
धरणां आंदोलण नहीं, भूख हड़तालां बंद ||६

रोजगार रोटी मिली, मिटगा सारा फंद |
ढहता राख्या देवला, दुड़ता कोट कंगूर ||७

देसां दूर दराज रा, देखण आवै टूर |
कार कार सहकार कह, कार कार सहकार ||८

कार बिना बेकार कह, कार कार सहकार |
मुल्ला हिन्दू मोलवी, पठाण पन्नी पिरवार ||९

आगै पुरखां आपरा, राजनीत घण जांण |
डुलतो ढाब्यो जवन दल, आगै दियो न जांण ||१०

सेखा रै दरबार में, भ्रात रूप भेलाह |
हिन्दू मुस्लिम साथ सह, भोजन सम्मेलाह ||११

भाई जिम भाई भणे, बहनड़ मा जाइह |
सेखा सेन समाज में, चालत इक जाहीह ||१२

मान म्रजादा मोकली, मन अन्तर नाही |
सेखा घर चालत अजै, परांपरी सूं वाही ||१३

भाईपो थापित कियो, सै जाणे संसार |
राव सिखर ध्रम धारणा, उपज्यो आप विचार ||१४

दरगाह ख्वाजाजी अर, नगर नागौरी मांह |
सुधराई सुन्दर करी, मजहब भेद भुलाह ||१५

निबलां थाका नार नर, पोख्या जन पिरवार |
आपणड़ो ही गांवड़ो, आपणलो रुजगार ||१६

गांव काम अर लार रिया,आगै ल्याणा उठार |
तीनां ही सुभ योजना, दिवी दाद संसार ||१७

ठोकर टक्कर न मारणी, पुरसंती थालीह |
काल तमां तो आज हमां, पलटंती पालीह ||१८

मील फैक्टरी कामगर, ज्यूँ सगलो संसार |
पाली रै वै पलटती, समझ कहण रो सार ||१९

सम्प्रदाय समन्वयी
दादामह नामी सिखर, सदभावी मन साथ |
हिन्दू मुस्लिम धरम सह, नजर नर नाथ ||१

अनपढ़ माता उदर आ, पढ़ी ग्यान पाटीह |
सिखर पुरस धन भैरवसी, जस खेती लाटीह ||२

समन्वय सम्प्रदाय सह, मठ महजित गिरजाह |
मंदिर टिम्पिल भेद नह, द्वारा सिख दरगाह ||३

संत महंता मौलवी, पादरी पूजाराह |
जैनी वैष्णव शैव सिख, सदमती मन प्याराह ||४

छत्रिय धरम पालण प्रजा, दूज धरम ज्ञान प्रसार |
वेस धम हट विंणज रो, क्यार खेत स्रमकार ||५

कुण छोटो मोटो कवण, मन रा भेद विकार |
राज धरम पालै परम, अभेद भाव उर धार ||६

काबर टीड कमेड़ीयां, करत नाज खोगाल |
म्रगलां डांगर रोझाड़ा, कीधी खेत रुखाल ||७

गीलौ गारौ नाड़ियां, गोला बणा सुकाय |
गोफ फेंक फटकार फट, देता टीड उडाय ||८

सांझी बेलां सुरभियां, चरा घास पय पाय |
न्याणो दै बाछड़ चुंगा, लेतौ दूध कढाय ||९

दूध धारोसण डावडां, टाबर टिंगरियांह |
प्याली चायां पी रिया, आज तणी विरियांह ||१०

भावी भारत रा भडां, गौधन देस कर गौर |
पालौ बछड़ा बाछियां, मिटे गरीबी रौर ||११

जण उत्तम सूं उत्तम जुड़े, सौ सौ पीढ़ी सीर |
अबखी बेलां साथ दै, आप बणे हमगिर ||१२

थोथा थूक बिलोवणा, लाभ किणी न होय |
बहस सारथक करण सूं, लाभ मिलै सह कोय ||१३

समै वडो अणमोल गिण, समझ सबद रो मोल |
वचन मुंहड़े काढणों, होठ तराजू तोल ||१४

सभा राज अर लोक सदन, प्रतिनिधि क्रोड़ नरेह |
जन मन री आकांक्षा, आदर करै उरेह ||१५

जीव किता इज जगत में, जूंण चौरासी जांण |
चांद सूर तारा मंडल, थिरा नीर निवांण ||१६

रचना रघुपत री रची, नाना विध न्यारीह |
कठे कंटीली किटकली, कठे फूल क्यारीह ||१७

धन धीणों धूपट धरां, दुधां पौबाराह |
ठाठ गुवाडां गांवडां, धान पात साराह ||१८

बहौ जनतां गांवां घरां, उण उर कियो उजास |
ग्यान चिरागां बीजल्या, पेखो निजर प्रकास ||१९

दुध्ध सुध्ध बुध्ध सुरभिया, तन मन उत्तम कार |
मन बुद्धि निरमल रहै, मिटे बदन आजार ||२०

सबल आधार पालण सुरभि, दूध दधि घ्रत अहार |
घास चरै इम्रत श्रवै, करै महा उपगार ||२१

मात चार भारत प्रसिध, जनणी गौ गंगधार |
गायत्री चौथी गिणों, जण जीवन आधार ||२२

सौभाग्य सिंह शेखावत
१५-१-२००३ प्रात: ३ बजे

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11 COMMENTS

  1. बाबो सा की प्रतिमा बनाने का सु-अवसर मेरे को मिला ये मेरा सोभाग्य रहा है …शत-शत नमन

  2. सुन्‍दर प्रस्‍तुती शेखावत जी को हमारा नमन यहा भी पधारे yunik27.blogspot.com

  3. aapka rajasthani sahitya ka evam hindi ka gyan bahut achha v kaphi adhik hai…..apka ye gyan darpan khafi agge tak jayega….aaj kal teji se aage bad raha hai.
    app barabar likhte rahiye….
    hamari taraf se bahut bahut badhai v shuphkamnaye…..khas tor par baisa ko….

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