पंजाब कला साहित्य अकादमी द्वारा दिल्ली के हिंदी भवन में दिनांक ११ अक्टूबर २०११ को ३ बजे से शाम ६ बजे के बीच आयोजित एक विचार गोष्ठी में लांस एंजिल्स केलिफोर्निया में रहने वाली प्रवासी भारतीय लेखिका कमलेश चौहान द्वारा हिंदी भाषा में लिखे उपन्यास “सात फेरों का धोखा” का लोकार्पण किया गया| इस अवसर पर देश के कई जाने-माने साहित्यकार,पत्रकार व कवि उपस्थित थे|पंजाब के जालंधर से आये साहित्यकार सिमर सदोष के अलावा देश की जानी-मानी साहित्यकार,कहानीकार चित्रा मुदगिल ने अपने उद्बोधन में कमलेश चौहान के उपन्यास पर विस्तार से प्रकाश डाला| हास्य कवि महेंद्र शर्मा ने भी अपनी कुछ हास्य कविताओं के माध्यम से गोष्ठी को जीवंतता प्रदान की| मंच संचालन फरीदाबाद के कवि सरदार मंजीतसिंहजी ने बहुत ही प्रभावी ढंग से किया| संगोष्ठी में दिल्ली के व्यापारी नेता प्रवीण खंडेलवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किये|
इस अवसर से हिंदी ब्लॉग जगत से आमंत्रित एक मात्र ब्लोगर रतन सिंह शेखावत ने अपने उद्बोधन में कमलेश चौहान के उपन्यास “सात समंदर पार” पर बोलते हुए उपस्थित सभी साहित्यकारों व बुद्धिजीवियों से हिंदी ब्लॉग जगत से जुड़ कर इन्टरनेट पर हिंदी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओँ के प्रसार करने की अपील की| उनकी इस अपील पर हास्य कवि महेंद्रजी शर्मा ने जल्द ही ब्लोगिंग से जुड़ने की इच्छा व्यक्त की|
संगोष्ठी में आये ज्यादातर लोगों का कमलेश चौहान से परिचय फेसबुक के माध्यम से ही हुआ था अत:वहां उपस्थित अपने फेसबुक मित्रों से रूबरू मिलकर कमलेश चौहान काफी रोमांचित थी| साथ ही इस बात का पता चलने पर उपस्थित कई बुजुर्ग वरिष्ट साहित्यकारों को पहली बार इन्टरनेट की महत्ता का आभास हुआ|
संगोष्ठी में सभी वक्ताओं ने वर्षों से सात समंदर पार रहने के बावजूद कमलेश चौहान के हिंदी भाषा के प्रति प्रेम की मुक्त कंठ से प्रसंशा की|
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