क्या लिखू क्या न लिखू , कलम ये ख़ामोश हे !
गिर गया आंख से आंसू सलवटे हे फिर कागज़ पे !
क्या लिखू क्या न लिखू ………..
लिखने बेठा जो में हाल मेरे दिल का !
रुका न अश्क पलकों से गिरा वो दिल की कब्र पे !
सुलग उठे वो अरमा सोये दिल के महरबान !
किया मुझको परेशा फिर बीती यादों के सायों ने !
क्या लिखू क्या न लिखू ………..
दिल में यादे सजी ह सपने आखों में अब भी हे !
फिर भी तेरी कसम शिकवा कोई लब पे नहीं हे !
ख़ुशी के वो चंद लम्हे अब भी आखों में चुभते हे !
समेटे दर्द मुहबत का पलकों से गिरते हे !
क्या लिखू क्या न लिखू ………..
मत सजाओ पलकों में छलक जायेगे ये सपने !
यादे जब सताएगी अश्क बन के गिर जायेगे !
महज़ पानी की बूंद ह समझो तो मन का सकून हे !
टप टप ये गिरे इनमे कोई शिकवा जरुर हे !
क्या लिखू क्या न लिखू ………..
ना लब ये खुले न आवाज़ ही निकली!
गिरा अल्फाज़ बनके अश्क कागज़ की इन लकीरों पे !
बया कर गया हाल दिल का बेरहम सलवटे बन कर !
क्या लिखू क्या न लिखू ………..
महज़ पानी की बूंद ह समझो तो मन का सकून हे !… बहुत सुंदर पक्तिया है |
दिल में यादे सजी ह सपने आखों में अब भी हे !
फिर भी तेरी कसम शिकवा कोई लब पे नहीं हे !
ख़ुशी के वो चंद लम्हे अब भी आखों में चुभते हे !
समेटे दर्द मुहबत का पलकों से गिरते हे !
अच्छी पंक्तिया लिखी है आपने …
इसे पढ़कर अपनी राय दे :-
(आपने कभी सोचा है की यंत्र क्या होता है ….?)
http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_13.html
मत सजाओ पलकों में छलक जायेगे ये सपने !
यादे जब सताएगी अश्क बन के गिर जायेगे
really niceeeeeeeeee………:)
bohot khoob…
niceee. rachna
बढ़िया पंक्तियों के साथ शानदार रचना
pichhli baar ki trh is baar bhi Nice
गिरा अल्फाज़ बनके अश्क कागज़ की इन लकीरों पे !
बया कर गया हाल दिल का बेरहम सलवटे बन कर !
क्या लिखू क्या न लिखू ………..
बहुत सुंदर रचना जी
बहुत सुन्दर पंक्तियां।
अच्छी है..पंक्तियाँ
पर
शिकवा तो जरूर है.;
" और सुन्दर हो सकती थी –ये कविता.
सुन्दर पंक्तियां।
द्वन्द का काव्य स्वरूप।
bhut khubsurat kavita h .bdhai
महज़ पानी की बूँद समझो तो ही मन का सुकून है …
सुन्दर !
बहुत उम्दा!
हिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!
बहुत सुन्दर पंक्तियां।
thanx all