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Friday, June 9, 2023

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चुनाव : जातिवाद ,सम्प्रदायवाद और आम आदमी का दर्द !

चुनाव का मौसम चल रहा है सभी पार्टियों ने जिताऊ उम्मीदारों को टिकट देकर चुनावी दंगल में उतार दिया है टिकट देने से पहले हर पार्टी ने ज्यादातर सम्बंधित निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं की जातीय और धार्मिक मतों की गणित के आधार पर ही टिकट वितरण किये है ताकि जातीय व धार्मिक वोट बैंकों की सहायता से चुनावी वैतरणी पर कर ली जाय | सभी नेता चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे है कोई भड़काऊ भाषण दे रहा तो दूसरा उसे नसीहत | अचानक सभी नेताओ को अपनी जाति और धर्म याद आ गए है और उनके मतों का पूरा दोहन करने का जुगाड़ करने में लगे है | कोई हेलिकोप्टर से मतदाताओं को प्रभावित करने में लगा तो कहीं नोटंकी में लड़कियों के नाच से मतदाताओं को प्रभावित करने में लगा | बाहुबली चुनाव बाद मतदातों को देखने की धमकी देकर मत अपनी और खींचने में लगे है | सबका एक ही मकसद किसी भी तरीके से चुनाव जीतकर अपनी सीट पक्की करना | मतदाता भी इसी तरह मत देने के लिए तैयार चुनावी तारीख का इंतजार कर रहा है वह कही जाति के आधार पर वोट देगा तो कहीं धार्मिक आधार पर | कुछ मतदाता इन दोनों बुराईयों से ऊपर उठकर पार्टीलाइन के आधार पर वोट देंगे चाहे उनकी पसंद की पार्टी ने कोई बदमाश, भ्रष्ट या बलात्कारी को ही क्यों न उम्मीदवार बना रखा हो वो पार्टी प्रत्याशी को आँख मूंद कर वोट देंगे | कई मतदाताओं के पास भ्रष्ट व बाहुबलियों को वोट देने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं होगा क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्र में हो सकता सभी उम्मीदवार इसी श्रेणी के हों अतः या तो वे उसे आँख मूंद कर वोट दे या पप्पू बन जाये | हाँ कुछ मतदाता जरुर खुशकिस्मत होंगे जिनके निर्वाचन क्षेत्र में बहुत अच्छे उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे होंगे |
अब जरा सोचिए जिस देश में पार्टियाँ अपने उम्मीदवार जाति व सम्प्रदाय आदि के आधार पर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारेगी | मतदाता भी अपना मत जाति ,सम्प्रदाय या पसंद की पार्टी के नाकाबिल उम्मीदवार को मत देकर संसद व विधान सभा में भेजेंगे | उनसे बनने वाली सरकार में मंत्रिपद भी जातीय व साम्प्रदायिक संतुलन बना कर दिए जायेंगे | इस तरह बनने वाली सरकारों से हम देश के चहुंमुखी विकास के साथ जातिवाद सम्प्रदायवाद के खात्मे की उम्मीद कैसे कर सकते है ?

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8 COMMENTS

  1. मतदाता भी अपना मत जाति ,सम्प्रदाय या पसंद की पार्टी के नाकाबिल उम्मीदवार को मत देकर संसद व विधान सभा में भेजेंगे | उनसे बनने वाली सरकार में मंत्रिपद भी जातीय व साम्प्रदायिक संतुलन बना कर दिए जायेंगे |

    शेखावत जी यही तो जरुरी है चुनाव जीतने और सरकार को चलाने के लिये. इसीलिये शायद ६० साला होकर भी हमारा लोकतंत्र अभी बच्चा है.

    रामराम.

  2. शेखावत जी ,
    गलती पार्टी की नहीं है.हम गलत है. हम ही वोट डालने से पहले बिरादरी की पंचायत करेगे ,फिर आपने जात ,धरम के उम्मीदवार को ही वोट देते है.उसी का फायेदा बिरादरी के पंच,लम्बरदार ,और राजनेतिक पार्टिया उठाती है.
    हम ही इस सब के लिए जुम्मेदार है.दुसरे के ऊपर दोष मडना बहुत असान है.

  3. अपने राम तो इस झंझंट मे ही नही पड़ते है । जो हो रहा है उस मे सुधार कि दूर दूर तक कोई गुजांइश ही नही दिखती है । लगता है अब एक नयी जमात तैयार करनी पडेगी जिससे केवल हिन्दी ब्लोगरो का ही मतदान करवाया जायेगा ।

  4. सिस्टम ही ऐसा ही है कि जनता कभी भी इच्छित नहीं चुन सकती है। उस के सामने सवालों के निश्चित जवाब पेश होते हैं और उसे एक को चुनना पड़ता है। निश्चित जवाबों में से कोई भी सही नहीं।

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