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Tuesday, May 30, 2023

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शेरशाह सूरी ने ब्राह्मण मंत्री की सहायता से छल से कब्जाया था यह किला

सदियों से हिन्दू राजाओं के अधिपत्य में रहा सुदृढ़ रोहतासगढ़ जो पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार था, 16 वीं सदी में मुस्लिम शासक शेरशाह सूरी ने अपने अधीन कर लिया। बंगाल के शासक इब्राहीम खान को हराकर शेरशाह सूरी पूरे बिहार और आस-पास के क्षेत्र का अधिपति बन बैठा था। शक्तिशाली बनने के बाद शेरशाह की नजर चुनार किले पर पड़ी, पर उसे हुमायूँ से हारकर बेघर होना पड़ा। हुमायूँ से हारने के बाद शेरशाह जंगलों में भटकता फिरा। उसे एक सुरक्षित शरण स्थली की आवश्यकता थी। तब उसे रोहतासगढ़ की याद आई। उम वक्त रोहतासगढ़ पर एक हिन्दू राजा नृपति का अधिकार था। शेरशाह को पता था कि उस हिन्दू राजा नृपति से रोहतासगढ़ जैसा सुरक्षा के लिहाज से सुदृढ़ दुर्ग युद्ध कर लेना आसान नहीं है।

अतः उसने अपने ब्राह्मण मंत्री चूड़ामणि से सलाह कर छल से दुर्ग हथियाने की योजना बनाई। योजनानुसार ब्राह्मण मंत्री चूड़ामणि ने रोहतासगढ़ जाकर हिन्दू राजा से संकटकाल में शेरशाह की बेगमों को शरण देने का अनुरोध किया। शरणागत की रक्षा के लिए क्षत्रिय धर्म का निर्वाहन करने को तत्पर राजपूत राजा ने उदारता दिखाते हुए बेगमों को शरण देने का अनुरोध स्वीकार कर लिया। कुछ समय पहले भी दुर्दिन में शेरशाह के परिजनों को इस राजा ने शरण देकर अपना क्षात्र धर्म निभाया था।

राजा द्वारा शरण देने का कातर अनुरोध स्वीकार करने के बाद एक के बाद एक 1200 पालकियों में ढेरों सैनिक पहुंचाये गए। राजपूती शान ने पर्दानशीन पालकियों बेगमों की तलाशी लेना क्षात्र धर्म के विरुद्ध समझ तलाशी नहीं ली। ना किसी प्रकार का शक किया। सभी पालकियां जब भीतर पहुँच गई तब योजनानुसार स्त्री वेश में हथियारों से लैस पठान सैनिकों ने राजा को तुरंत किला खाली कर अन्यत्र चले जाने की चेतावनी दे डाली। यह देख राजा अवाक् था, पर अब किले में सैनिक संख्या पठान छल शक्ति के पक्ष में थी। इस तरह शरणागत की रक्षा का धर्म निभाने वाला शरणदाता स्वयं शरणार्थी बन गया और शरणार्थी किले का अब असली मालिक बन गया।

इस तरह शेरशाह सूरी और उसके ब्राह्मण मंत्री चूड़ामणि ने धोखे से रोहतासगढ़ किले से हिन्दू शासन खत्म कर उसकी जगह मुस्लिम शासन की स्थापना कर दी। जो किले पर अंग्रेजी शासन स्थापित होने के बाद खत्म हुआ। सन् 1857 ई. के स्वतंत्रा संग्राम के समय बाबु बीर कुंवर सिंह के भाई बाबु अमर सिंह ने सिर्फ 250 जबाज सैनिकों के दम पर इस किले को अपने अधिकार में कर, फिर कुछ समय के यहाँ हिन्दू शासन की पताका फहराई।

History of Shershah Suri and Rohtasgarh Fort in Bihar

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