अभी कुछ ही दिन पहले अपने ऑफिस में मैं राजस्थान की खांडा विवाह परम्परा के बारे में बातचीत कर रहा था तभी मेरे ऑफिस के स्टोर मेनेजर श्री टीकम सिंह चौधरी ने मुझे ये जानकारी दी| श्री चौधरी के अनुसार उनके क्षेत्र में पहले शादी के वक्त किसी वजह से दुल्हे के उपस्थित न होने पर बारात के साथ एक लोटा(कलश) भेज दिया जाता था जिसके साथ लड़की के फेरे लगवाकर शादी की रस्म पूरी करवा दी जाती थी| हालाँकि अब यह परम्परा एकदम विलुप्त हो चुकी है और नई पीढ़ी तो इस परम्परा से बिल्कुल अनजान है|
मेरे ये पूछने पर कि- क्या कभी अपने जीवन में ऐसी शादी देखि है?
मेरे प्रश्न का उतर देते हुए उन्होंने बताया कि- अब तो नहीं होती पर मैंने अपने बचपन में दो तीन शादियाँ इस परम्परा से होते देखि है|ज्ञात हो टीकम सिंह जी नंदगांव के पास भडोकर गांव के रहने वाले है|
नोट :- उपरोक्त जानकारी श्री टीकमसिंह जी के बताएनुसार दी गयी है मैं उनके क्षेत्र की संस्कृति से ज्यादा परिचित नहीं हूँ|
16 Responses to "क्या आपने सुना है “लोटा विवाह परम्परा” के बारे में ?"