रिश्तों को न थामों तुम मुट्ठी में रेत की तरह …
सरक जायेंगे वो भी वक़्त की तरह ..
महसूस करो तुम उनको हर एक साँस की तरह …
रिश्ते जब बंधते है तो ख़ुशी देते है …
टूटते है तो कांच की तरह.
अनगिनित परछाई में बंट जाते है …
आसान है बिखरे मोती इकट्टे करना …
रिश्ता तो रहता है बंद मुठी में पानी की तरह …
पानी बह जाता है ..हथेली गीली छोड़ कर ..
और रिश्ते भी दे जाते है अपनी नरमी पानी की तरह |
कल्पना जड़ेजा
rishte bhi de jate hai apni narmi pani ki tarah…..wah bahut khoob
बढ़िया अभिव्यक्ति
सच कहा आपने, थोड़ी नमी तो आवश्यक है, संबंधों में।
awesum………
रिश्ते थामने की नहीं निभाने की चीज़ है …
बहुत लाजवाब …
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन सटीक रचना,……
my resent post
काव्यान्जलि …: अभिनन्दन पत्र………… ५० वीं पोस्ट.
बहूत खूब….काफी सुन्दर रचना…………..
बहुत सुन्दर रचना
रिश्ते वाकई ऐसे ही होते हैं.
एक बार फिर 'वही खुशी, वही गम।' वर्तनी की अशुध्दियॉं सुन्दर भावाभिव्यक्ति का सारा आनन्द नष्ट कर देती हैं।
@ विष्णु बैरागी जी
आपको पिछली पोस्ट की टिप्पणी में भी वर्तनियों की अशुद्धियाँ बताने का अनुरोध किया था पर न तो आपने पिछली पोस्ट की अशुद्ध वर्तनियाँ बतायी न इस पोस्ट पर उन वर्तनियों का जिक्र किया जो अशुद्ध है!!
आपसे एक बार फिर अनुरोध है कि कृपया बताएं इस पोस्ट में कौन कौनसी वर्तनियाँ अशुद्ध है ताकि उन्हें सुधारा जा सके|
मैं रचनाओं को कॉपी नहीं कर पा रहा हूँ। कृपया मुझे'एडिटेबलफार्म' में मेल कर दें।
@ विष्णु बैरागी जी
पोस्ट में अशुद्ध वर्तनियाँ बताने के लिए कॉपी करने की कहाँ जरुरत है ? आप तो वे वर्तनियाँ लिख दीजिए जो इस रचना में आपको अशुद्ध दिख रही है|
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नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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*चैत्र नवरात्रि और नव संवत २०६९ की हार्दिक बधाई !*
*शुभकामनाएं !*
*मंगलकामनाएं !*
रतन सिंह शेखावत जी,
मुझे आपकी मदद चाहिए.
क्या आप यह बता सकेंगे की आपने अपने ब्लॉग को कॉपी होने से रोकने के लिए किस ट्रिक का इस्तेमाल किया है.
मैं भी यह ट्रिक अपनाना चाहता हूँ.
क्योंकि मेरी कई पोस्टे हुबहू कॉपी हो रही है.
मैं बहुत उदास हूँ इस कारण.
कृपया मेरी मदद करे और जो ट्रिक आपने लगाईं है अपने पोस्टो में उस ट्रिक को हमें भी बताये
वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब सुंदर रचना,रतन जी,…
बेहतरीन भाव प्रस्तुति,….
MY RECENT POST…काव्यान्जलि …: तुम्हारा चेहरा,
ब्लॉग बुलेटिन पर जानिये ब्लॉगर पर गायब होती टिप्पणियों का राज़ और साथ ही साथ आपकी इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है आज के बुलेटिन में.
मेरे ख्याल से मुठी को मुठ्ठी होना चाहिए |
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