Home News राष्ट्रगौरव महाराणा प्रताप को नमन

राष्ट्रगौरव महाराणा प्रताप को नमन

26

आज देश के हर कोने में राष्ट्र गौरव मेवाड़ के महाराणा हिंदुआ सूर्य महाराणा प्रताप को याद किया जा रहा है | देश के कई नगरों व गांवों में आज राणा प्रताप की जयंती के अवसर पर रैलियां व सभाओं का आयोजन किया जा रहा है | इस देश में अनेक राजा-महाराजा ,बादशाह व नबाब हुए है जो राजनीती ,कूटनीति व युद्ध कौशल में राणा प्रताप से भी दक्ष थे | मेवाड़ के महाराणा कुम्भा को ही लें उनके जैसा वीर योद्धा व सफल प्रशासक हमारे इतिहास में बहुत ही कम नजर आयेंगे | जोधपुर का राजा मालदेव अपने ज़माने का विकट योद्धा था , हम्मीर जैसे योद्दा का हट व वीरता कौन नहीं जानता | राणा सांगा की वीरता व देश भक्ति को कौन भुला सकता है | पृथ्वीराज चौहान की वीरता से भी हम सभी परिचित है | पर फिर भी ये योद्धा राणा प्रताप की तरह जन-जन के हृदय में अपनी जगह बनाने में सफल नहीं रहे |
राष्ट्रवीर राणा प्रताप भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अदम्य और अग्रणी ही नहीं अपितु मंत्रदाता भी थे | मुग़ल सल्तनत की गुलामी को चुनौती देने वाले वीर राणा जहाँ मुगलों के लिए काल पुरुष थे वहीँ अंग्रेजों की दासता-मुक्ति के लिए भारतीय जनमानस को प्रेरित कर जागृत करने वाले पथ प्रदर्शक भी थे | वे स्वतंत्रता ,स्वाभिमान,सहिष्णुता , पराक्रम और शौर्य के लहराते सरोवर थे | विदेशी सत्ताधीशों के विपत्ति बलाहकों के लिए दक्षिण का प्रभंजन थे | संकटों का सहर्ष स्वागत करने वाले , स्वधर्म ,स्वकर्तव्य का पालन करने वाले नर पुंगव थे | वे हमारे देश की आजादी के लिए मर मिटने वाले स्वतंत्रता के पुजारियों के प्रेरणास्त्रोत थे | उनके चित्र मात्र के दर्शन से ही मन में देश भक्ति की भावना का ज्वर उठने लगता है |
आज भी भारतीय इतिहास में एक गौरवशाली रणक्षेत्र् हल्दीघाटी का नाम आते ही मन में वीरोचित भाव उमडने – घुमडने लगते हैं। राणा प्रताप की उस युद्ध भूमि के स्मरण मात्र से मन में एक त्वरा सी उठती है एक हुक बरबस ही हृदय को मसोस डालती है | घोड़ों की टापें, हाथियों की चिंघाड़ व रणभेरियों की आवाजें मन को मथने सी लगती है |राणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठाकर दौड़ते ,हिनहिनाते चेतक की छवि मन-मस्तिष्क पर छा जाती है | चेतक एक पशु होकर भी राणा प्रताप जैसे योद्धा का सामीप्य पाकर आज अमर हो हल्दीघाटी में अपना स्मारक बनाने में कामयाब हो गया | हल्दी घाटी में जाने वाला हर पर्यटक चेतक के स्मारक पर दो आंसू जरुर बहाता है |
हल्दी घाटी युद्ध के बाद वे जंगलों में भटकते रहे ,घास की रोटियां खाई , पत्थरों का बिछोना बनाया ,कितने ही दुःख सहे पर मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्य के निर्वाह के लिए उन्होंने कभी कोई समझोता नहीं किया | यही वजह है कि वे आज जन-जन के हृदय में बसे है |
क्रांतिकारी कवि केसरी सिंह बारहट लिखते है –

पग पग भम्या पहाड,धरा छांड राख्यो धरम |
(ईंसू) महाराणा’र मेवाङ, हिरदे बसिया हिन्द रै ||1||

भयंकर मुसीबतों में दुःख सहते हुए मेवाड़ के महाराणा नंगे पैर पहाडों में घुमे ,घास की रोटियां खाई फिर भी उन्होंने हमेशा धर्म की रक्षा की | मातृभूमि के गौरव के लिए वे कभी कितनी ही बड़ी मुसीबत से विचलित नहीं हुए उन्होंने हमेशा मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह किया है वे कभी किसी के आगे नहीं झुके | इसीलिए आज मेवाड़ के महाराणा हिंदुस्तान के जन जन के हृदय में बसे है |

दृढ प्रतिज्ञ एवं विलक्षण व्यक्तित्व के धनी महाराणा प्रताप का जन्म वि.स.१५९७ ज्येष्ठ शुक्ला तृतीया ९ मई, १५४० को कुम्भलगढ में हुआ । पिता उदयसिंह की मृत्यु के उपरान्त राणा प्रताप का राज्याभिषेक 28 फरवरी, 1572 को गोगुन्दा में हुआ। विरासत में उन्हें मेवाड की प्रतिष्ठा और स्वाधीनता की रक्षा करने का भार ऐसे समय में मिला जबकि महत्वाकांक्षी सम्राट अकबर से शत्रुता के कारण समूचा मेवाड एक विचित्र् स्थिति में था | लेकिन उसके साथ ही राणा प्रताप को राणा लाखा, बापा रावल ,पितामह राणा सांगा की वीरत्व की विरासत भी मिली थी दूसरी और सुमेल गिरी युद्ध के महान वीर नाना अखेराज तथा हल्दीघाटी के रण में मुग़ल सेना का शमशेरों से स्वागत करने वाले उनके मामा मान सिंह का सानिध्य मिला था | इस प्रकार राणा प्रताप को पितृ और मातृ उभय कुलों की स्वतंत्र-परम्परा के संस्कार मिले थे | उन्होंने अपने यशस्वी पूर्वज महाराणा कुम्भा तथा सांगा की शौर्य कथाएँ तथा देश, धर्म और आन-बान ,मान-मर्यादा पर मरने का पाठ बाल्यकाल में ही पढ़ लिया था |
ऐसे संस्कार व शौर्य का ककहरा बाल्यकाल में पढने वाले राणा प्रताप स्वाधीनता के अपहरणकर्ता के आगे कैसे झुक सकते थे |

देश-भक्ति,स्वतंत्रता ,स्वाभिमान,सहिष्णुता,पराक्रम और शौर्य के लहराते सरोवर व प्रेरणास्त्रोत राणा प्रताप को मेरा शत-शत
नमन |

कन्हैयालाल सेठिया की कालजयी रचना “अरे घास री रोटी ही “

Rajput World: प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप
मेरी शेखावाटी: गलोबल वार्मिंग की चपेट में आयी शेखावटी की ओरगेनिक सब्जीया
ताऊ डाट इन: ताऊ पहेली – 78 (Hazarduari Palace Museum, Murshidabad )
Aloevera Product: घमंड मानसिक स्वास्थ्य के लिए अभिशाप

26 COMMENTS

  1. महाराणा प्रताप को शत शत नमन। आज उदयपुर में नहीं हूँ और अमेरिका में होने के कारण आपकी पोस्‍ट ने ही साक्षात किसी कार्यक्रम की कमी पूरी कर दी।

  2. नमन वीरता के नायक महाराणा प्रताप को
    गीत मधुर और राजस्थानी माटी की गन्ध लिये

  3. महाराणा प्रताप का ताप सदा विद्यमान रहेगा। उस ताप का ताप हमारे तक पहुंचाने के लिए आभारी हैं। गर्मी चाहे कितनी कड़ी हो, पर ऐसे ताप के लिए हम सदैव व्‍याकुल रहते हैं।

  4. महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर सभी को बहुत बहुत बधाईयाँ.यह दिवस कैसे भूल सकते हैं!आयोजन/समारोह/प्रतियोगिताएं सब जैसे कल की ही बातें हैं!
    -यह गीत/प्रसंग सुनाकर तक आप ने भावविभोर कर दिया.आज भी यह कहानी सुनकर आँखें भर आती हैं.क्षत्रिय धर्म निभाने की खातिर क्या क्या कष्ट उन्होंने और उनके परिवार ने नहीं सहे!
    देश-भक्ति,स्वतंत्रता ,स्वाभिमान,सहिष्णुता,पराक्रम और शौर्य के लहराते सरोवर व प्रेरणास्त्रोत राणा प्रताप को मेरा भी शत-शत
    नमन.

    आभार

  5. सादर वन्दे !
    बहुत सुन्दर कविता !
    इस वीर योद्धा को कोटि कोटि नमन !
    जय हिंद! वन्देमातरम !

  6. महाराणा प्रताप की जयन्ती के शुभ अवसर पर हमने भी क्षत्रिय युवा संघ के बैनर तले रक्तदान किया अपने शहर में . लगभग १०० युवाओ ने रक्तदान किया .

    एक बात जो कचोटती है अगर अकबर महान था तो राणा क्या थे .

    • अकबर महान इसलिए कि सारे कांग्रेसी उसकी नाजायज़ औलादें जो हैं|

  7. धन तिथि तीज सुक्ल जेठा पन्द्रसै सोल्हा पावनी
    धन-धन परतापी भौम मेवाड़ी,प्रताप जन्म दायनी
    बाप्पा कीरत पताका थाम्ही,थाम्ही टेक सांगा की
    शौर्य धार्यो सूर्य सो प्रखर, निर्मलता धारी गंगा की
    निज धरम की धारणा राखी,मान राख्यो वीर धरणी को
    अमित तेज दिगंत माही पसर्यो,महाराणा थारी करणी को

  8. राष्ट्र गौरव ,हिंदुत्व का गौरव | वो प्रताप ही थे जिन्होंने घास की रोटी खा कर भी अपने पथ से नहीं डिगे | आज लोग माल खा कर भी पथ भ्रष्ट हो रहे है |

  9. राष्ट्र के गौरव, राजपूतों के शिखर पुरुष, स्वाभिमानी, देशभक्त, वीर राणा को मेरा भी
    शत शत नमन।

  10. राष्ट्र के गौरव, राजपूतों के शिखर पुरुष, स्वाभिमानी, देशभक्त, वीर राणा को मेरा भी
    शत शत नमन।

  11. देश-भक्ति,स्वतंत्रता ,स्वाभिमान,सहिष्णुता,पराक्रम और शौर्य के लहराते सरोवर व प्रेरणास्त्रोत राणा प्रताप को मेरा भी शत-शत
    नमन.

  12. me to inko naman din me kafi bar yaad karta hu meri taraf se bhi sat sat naman
    इला ने देनी आपनी , माँ हालेरिये हुल राय , पूत सिखावे पालने, मरण बडाये गाये .

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Exit mobile version