कल शाम को मेरे दो मित्र लक्ष्मण सिंह जी व रामबाबू सिंह का अचानक घर आना हुआ | मै उस वक्त अपने कंप्यूटर पर ब्लॉग खोल कर ही बैठा था | लक्ष्मण जी के साथ रामबाबू सिंह को देखकर मुझे अचानक याद आया कि क्यों न रामबाबू सिंह को आज हिंदी ब्लॉगजगत से रूबरू करवा इनका भी ब्लॉग शुरू करवाया जाये | चूँकि लक्ष्मण जी पर तो मै ब्लोगिंग रूपी जाल कई बार फैंक चूका था वे उस वक्त तो ब्लोगिंग के लिए जोर शोर से अपना डोमेन तक खरीद लेते है लेकिन बाद में इधर झांकते तक नहीं | लेकिन आज उनके साथ रामबाबू भी साथ आये थे सो हमने शिकारी की तरह अपना ब्लोगिंग रूपी पूरा जाल उन्ही पर फैंकने पर ध्यान केन्द्रित किया इसके लिए हमने सबसे पहले उन्हें ज्ञान दर्पण की सैर करायी ,ज्ञान दर्पण पर आने वाले पाठको की संख्या के आंकड़े स्टेट काउंटर व गूगल विश्लेषण के जरिये दिखाए कि कितने लोग हमें पढने कहाँ कहाँ से आते है , उसके बाद अलबेला खत्री जी की कविताओं व चुटकलों से गुदगुदवाया अलबेला जी को उन्होंने आज तक टी वी पर ही देखा था हमने उन्हें बताया कि देख लीजिए इसी ब्लॉग के जरिये हमें टी वी वाले अलबेला जी भी जानते है | उसके बाद उन्हें ब्लॉग वाणी व चिट्ठाजगत की सैर करवाई गई जिसके लिए सुबह उन्होंने फोन पर बताया की चिट्ठाजगत की मेहरवानी से उन्हें तो इन्टरनेट पर हिंदी में पढने का खजाना ही मिल गया | ब्लॉग एग्रीगेटर्स की सैर के बाद हमने रामबाबू को बाबा ताऊ आनंद के आश्रम में गड़े खूंटे पर बाँध दिया जहाँ वे अपने घर जाने के बाद भी सुबह चार बजे तक बंधे ताऊ जी के किस्सों का भरपूर रसास्वादन कर रहे थे साथ ही बीच बीच में हमारे द्वारा उनके लिए बनाए गए सुसज्जित ब्लॉग को निहारते रहे |
हमारे मित्र रामबाबू सिंह एलोवेरा के स्वास्थ्य वर्धक उत्पाद भी बेचते है अत: हमने उनकी नब्ज देखकर उनका ब्लॉग भी एलोवेरा प्रोडक्ट के नाम से बना दिया क्योंकि मुझे पता है अभी तो रामबाबू अपने एलोवेरा के उत्पादों की खूबियों वाली पोस्टे ठेलंगे पर आखिर कितने दिन | क्योंकि हमें तो उनके एलोवेरा के उत्पादों की संख्या की गिनती तक पता है | उसके बाद तो वे भी ठीक उसी तरह इस ब्लोगिंग रूपी समुद्र में गोते लगाकर टिप्पणियाँ व पाठक ढूंढते रहेंगे जैसे आज हम सभी लोग | मैंने भी शुरू में राजपूत वर्ल्ड ब्लॉग अपने इतिहास प्रसिद्ध योद्धा पूर्वजो के शोर्यपूर्ण इतिहास का बखान करने के उद्देश्य से ही बनाया था | लेकिन हाय री ये टिप्पणियाँ व पाठक संख्या , कभी टिप्पणियों की संख्या ,कभी पाठक संख्या ,कभी अलेक्सा रेंक तो कभी चिट्ठाजगत रेंक में ऐसे उलझे कि इतिहास छोड़कर विविध विषयों पर लिखने लग गए | और इसमें इतने उलझ गए कि निकलने के बजाय ज्यादा उलझने का ही मन करता है |
कल से रामबाबू भी हिंदी ब्लोग्स को पाकर एसा महसूस कर रहे है जैसे उन्हें कोई खजाना मिल गया हो और पढने में मशगूल है उनकी इस तरह की रूचि देखकर मुझे लगता है कि वे भी अब हमारी तरह हिंदी ब्लोगिंग में उलझे ही रहेंगे और नियमित पढ़ते व लिखते रहेंगे | बस उन्हें थोड़ी सी जरुरत है आपके टिप्पणियों रूपी प्रोत्साहन की |
तो आईये रामबाबू के ब्लॉग पर जाकर उनका स्वागत कर उन्हें अपना टिप्पणी रूपी प्रोत्साहन दें |
nice
लिजीये हमने तो उनकी चर्चा भी कर डाली जी
अजय कुमार झा
मिला आये राम बाबु से.. धन्यवद
राम बाबू से मिलबाने के लिये धन्यवाद
कल से रामबाबू भी हिंदी ब्लोग्स को पाकर एसा महसूस कर रहे है जैसे उन्हें कोई खजाना मिल गया हो और पढने में मशगूल है उनकी इस तरह की रूचि देखकर मुझे लगता है कि वे भी अब हमारी तरह हिंदी ब्लोगिंग में उलझे ही रहेंगे और नियमित पढ़ते व लिखते रहेंगे | बस उन्हें थोड़ी सी जरुरत है आपके टिप्पणियों रूपी प्रोत्साहन की |
लो भाई कर रहे हैं टिप्पणी!
NICE.
रामबाबू सिंह को आपने विचारो के आकाश मे उडना सिखा दिया . काश आपके द्वारा ब्लोग शुरु करते तो एक खूबसूरत टेम्पलेट तो मिलता .
यह आपने अच्छा किया ।
अपनी संख्या में बढोतरी के लिये धन्यवाद.:)
रामराम.
बधाई, आप अच्छे प्रेरक साबित हुए!
स्वागत है रामबाबू जी का ब्लॉग जगत में
क्या बढ़िया बात पता चली – गूगल डॉक्स से टिप्पणी बक्सा बनाना।
रामबाबू सिन्ह की जै!
अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
पावन कृत्य-साधुवाद!!
मिल आये राम बाबू से. अब लक्ष्मण सिंह जी को घेरिये. 🙂
अभी जा कर रामबाबू सिंह जी का स्वागत।
फंस तो गए लेकिन यहाँ तो फंसने में भी मजा आ रहा है | बहुत रोमांचित हूँ फंसकर |
achchha laga dhanyabd
bhagyodayorganic.blogspot.com
एक और पंछी आया जाल मे वाह । यहाँ तो वन वे है आने का रास्ता है जाने का नही है ।