35.8 C
Rajasthan
Friday, June 9, 2023

Buy now

spot_img

हठीलो राजस्थान-52, राजस्थानी दोहे हिंदी अनुवाद सहित

सिर ऊँचो थिर डुंगरां, मोटो नहीं गुमान |
सिर ऊँचो राखै सदा, रेती कण रजथान ||३१३||

यहाँ के (राजस्थान के) स्थिर पहाड़ों के मस्तक यदि ऊँचे है तो इसमें कोई अभिमान करने योग्य बात नहीं है | क्योंकि इस राजस्थान में तो मिटटी के कण भी सदा अपना मस्तक ऊँचा रखते है |

अरियां मन आडो-अडिग, आलम भंजण आण |
आजादी रो आसरो, आडोबल जग जाण ||३१४||

शत्रुओं के लिए सदा अजेय,संसार के गर्व का भंजन करना ही जिसकी प्रतिज्ञा है व जो आजादी की रक्षक है ऐसा अरावली पर्वत संसार में विख्यात है |

अनमी, सजलो, अडिग नित, तन कठोर , मन ताव |
गिर आडा रा पांच गुण, सूरां पांच सभाव ||३१५||

अरावली पर्वत के यह पांच गुण है व शूरवीर के यही पांच स्वाभाव है – दृढ प्रतिज्ञा,सजलता (करुणा व उदारता),अडिगता,शरीर की दृढ़ता व मन में आवेग युक्त उत्साह |

सूखो तन, तृण सीस पर, हिवडे घणी हरीह |
धर धूंसा भड़ जल मणां, झूंपडियां जबरीह ||३१६||

तन जिनका सुखा हुआ है अर्थात जिनकी लिपाई-पुताई भी ठीक प्रकार से नहीं हो सकी है ,मस्तक पर जिनके तिनके है अर्थात जिनके ऊपर छप्पर है | लेकिन जिनका ह्रदय हरा है ,अर्थात जिनके अन्दर रहने वाले लोग शूरवीर व उदार है ऐसी झोंपड़ियों की कहाँ तक प्रसंसा की जाय जिनमे पृथ्वी को कंपा देने वाले शूरवीर जन्म लेते है |

अन-धन देवै देस नै, सीस करै निज दान |
सती धरम सरसै सदा, झुंपडियां वरदान ||३१७||

यह झौंपडियां का ही प्रताप है कि यह देश को अन्न व धन देती है तथा अपने सिर का दान देने वाले योद्धा पैदा करती है | सतीत्व व धर्म इन्ही में पैदा होता है |

गढ़ कोटां गोला गिरै, चोटां सिर हिमवान |
झूंपड़ पहरी देस रा, विध रो अजब विधान ||३१८||

गढ़ों और किलों पर गोले बरसते है तथा हिमालय पर्वत के सिर पर चोटें पड़ती है ,पर विश्व का यह अजीब विधान है कि ये झोंपड़ियाँ देश की प्रहरी है अर्थात इनमे जन्म लेने वाले वीर ही देश की रखवाली करते है |

लाय बलै, बिरखा चवै , आंधी सूं उड़ जाय |
जलम्या भड़ वां झूंपडयां, सुजस जुगां नह जाय ||३१९||

ये झोंपड़ियाँ अग्नि से जल जाती है और इनमे वर्षा का पानी भी टपकता है | ये आंधी से उड़ जाती है ,परन्तु इन झोंपड़ियों में जन्मे लोग ऐसे सुकर्म करते है जिससे उनका सुयश युगों तक नष्ट नहीं होता है |

लेखक : स्व.आयुवानसिंह शेखावत

Related Articles

3 COMMENTS

  1. क्या इन दोहों की पुस्तक हैं ? कोई ऐसा स्त्रोत बताइए की जिससे सारे “हठीलो राजस्थान” के दोहे एक स्थान पर संग्रहीत हो।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,803FollowersFollow
20,900SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles