म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।
कोरा कोरा मटका रो सोंधो -सोंधो पाणी।
गर्मी रा मौसम को कलेवो, छाछ – राबड़ी और धाणी
पीपल अर खेजड़ा री, ठंडी शीतळ छांव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।(1)
पावणा रो अठै होवै मोकलो सत्कार
टाबर ,जिव -जिनवारां न हेत रो पुचकार
सीधा सांचा लोग अठा रा, त्योंहारा रो चाव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।(2)
केर कमटिया सांगरी का मेवा री सुवास
धर्म दान और वीरता रा मंड्या पड्या इतिहास
नर -नारयां रो अठे ,फुटरो बणाव्
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।(3)
प्याऊ ठंडा पानी का, हेला रो हेत अठै
मीठी बोली ऱी अपणायत आ सोना जेड़ी रेत् कठै
दुबड़ी ऱी जड़ की तरियां, आपस रो जुडाव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।(4)
शब्दार्थ- 1.कलेवा- नाश्ता, 2.पावणा-मेहमान,3. मोकल़ो- खूब अच्छा,4.टाबर -बच्चे ,4.फुटरो- सुंदर,5.बणाव्- श्रृंगार, 6.हेत-अपणायत – नेह ,आत्मीयता
भोत सोणी रचना
दुबड़ी ऱी जड़ की तरियां, आपस रो जुडाव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।,,,वाह वाह ,,,
बहुत बढ़िया उम्दा प्रस्तुति,आभार
Recent Post : अमन के लिए.
अरे वाह! बहुत ख़ूब
और
यह भी!
केतना हमे सतइबू हमार सजनी!
सुन्दर कविता !!
गर्मी रा मौसम को कलेवो, छाछ – राबड़ी और धाणी
पीपल अर खेजड़ा री, ठंडी शीतळ छांव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव
बहुत सुंदर, अभी कल ही इस माहोल से वापस लौटे हैं.आपने अनुभव को शब्द दे दिये.
रामराम.
सुन्दर प्रस्तुति। आभार
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