लोगों को भड़काता हूँ, आपस में लड़वाता हूँ !
उनकी धन संपदा लेकर, फ़िर मै मौज मनाता हूँ !!
गबन करके सरकार की, आंखों में धुल उडाता हूँ !
गेहूँ,चावल,दाल दबाकर, महंगे दाम कमाता हूँ !!
बढ़ गई है आबादी देश की, दंगे करके मरवाता हूँ !
स्वार्थ सिद्ध करने को अपने, लोगों की बलि चढाता हूँ !!
तिकड़म से कुर्सी करता हासिल,सबकी सरकार गिरता हूँ !
एक्टिंग में भी हूँ मै माहिर,घडियाली आंसू बहाता हूँ !!
काले करतूतों की कालिख लगने पर,नोटों से दाग छुड़ाता हूँ !
मै हूँ नेता तेरे देश का, तुम सब पर राज चलाता हूँ !!
ऑरकुट और HI5.com पर भी बड़ी मजेदार स्क्रब और मेसेज मिलते रहते है इसी कड़ी में उपरोक्त कविता Hi5.com पर सकलदीप चौरसिया ने मुझे भेजी जो रोमन टंकण थी जिसे हिन्दी में टाइप कर मैंने यहाँ परोस दी !
शानदार ! ऐसे ही है हमारे देश के नेता !
अपने यहाँ अमरीका जैसा लोकतंत्र आ जाए तो कुछ राहत मिल सकती है.
aaj ke neta. ha.. ha.. narayan narayan
बहुत सही चित्रण किया है।
रामराम।
यह नेता का चित्रण है जो नेतृत्व नहीं करता पर उस के सारे सुख लेता है।
बहुत ्सही!!
bahut khub
जिस तरह हाथ की सभी ऊँगली एक सी नही होती उसी तरह सब नेता एक से नही होते . अब यह कौन से नेता क जिक्र किया वह भी बताएं
सकलदीप चौरसिया जी व आपको इस कविता के लिये धन्यवाद.
dhanyawaad ! achhi cheejon ko kitni baar bhi padho achcha hi lagta hai.
sahi vyangya panktiyan hain.
९९% नेताओं का चरित्र एसा ही है ।