एक बेटी के मन की आवाज माँ के लिए
माँ थारी लाडी नै, तूं लागै घणी प्यारी |
सगळा रिश्तां में, माँ तूं है सै सूं न्यारी निरवाळी ||
नौ महीना गरभ मै राखी, सही घणी तूं पीड़ा |
ना आबा द्यूं अब, कोई दुखड़ा थारै नेड़ा ||
तूं ही माँ म्हनै हिंडायो, चौक तिबारा में पालणों |
माँ तूं ही सिखायो म्हनै, अंगणिया में चालणों ||
सोरी घणी आवै निंदड़ळी, माँ थारी गोदी मै |
इतराती चालूं मैं पकड़ नै, माँ थारी चुन्दड़ी का पल्ला नै ||
हुई अठरा बरस की लाडी, करयो थै म्हरो सिंणगार |
मथी भेजो म्हनै सासरिये, थां बिन कियां पड़ेली पार ||
मथी करज्यो थै कोई चिंता, संस्कारी ज्ञान दियो थै मोकळो |
म्हूं थारी ही परछाई हूँ, ना आबा द्यूं ला कोई थानै ओळमो ||
राजुल शेखावत
khmma ghani baisa hukum… i have read ur lines..awesme lines baisa….' this is lakshya raj singh champawat.. thank u
Bhut hi khubsurat rachna h …… sach aakhiri line m aapne wo kah diya jo har beti khana chati h ……yahi ak ollma wala riwaj ki wajh se hi shayd hamare samaj m betiyo ki shadhi ki jaldbazi rahti h
बेटी के जज्बातों को बयां करती खुबसूरत शब्दों में पिरोई हुए रचना है ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बृहस्पतिवार (06-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ…!
अध्यापकदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
वाह! क्या बात है!!
कृपया इसे भी देखें-
जमाने के नख़रे उठाया करो!
वाह! क्या बात है!!
कृपया इसे भी देखें-
जमाने के नख़रे उठाया करो!
बेटी के जज्बातों की मोहक प्रस्तुति,,,,
RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
MAA ar beti re rista ro aatmiy chitran…….. sadhuwad.
शुभकामनाएँ…यदि हिन्दी में अनुवाद कर दें तो सुमित फिर से इसे पढ़ने आएँ…:)
मथी करज्यो थै कोई चिंता, संस्कारी ज्ञान दियो थै मोकळो |
म्हूं थारी ही परछाई हूँ, ना आबा द्यूं ला कोई थानै ओळमो
वाह ! बहुत शानदार