श्री भैरों सिंह जी शेखावत के जन हित कार्यों पर प्रकाश डालते हुए
विद्वान कवि डा. उदयवीर शर्मा द्वारा रचित कुछ दोहे –
शेखा-कुल रा लाडला,धाकड़ धुनी सुजान |
उजला सूरज-कुल-रतन,भैरूं सिंघ मतिमान ||१
मरुधर-माटी री महक,जन-मन का सरदार |
दीन-हीन-रक्षक सुधी,थे भारत-गल-हार ||२
भोग्यो जीवन गांव रो,देख्या घणा अभाव |
पण सांचा अनथक पथिक,राख्यो कर्मठ भाव ||३
राष्ट्र धरम ने पालियो,जस फैल्यो चौफेर |
धन सेवा री मूर्ति,शेखावाटी शेर ||४
मरुधर रो मोती कथां,के मरुधर रो शेर |
के मरुधर रो च्यानानो,कीरत चढी सुमेर ||५
अन्त्योदय री योजना,होई जग विख्यात |
दीन-हीन नै पोखिया,कटी कलि रात ||६
ताण्डव कराती दीनता,देखी जन जन द्वार |
झुझ्यो भट झट समियो,अन्तोदय हथियार ||७
मोड़ मनाओ दीनङा,खुलियो आनंद-द्वार |
गांव-गांव घर-घर सुणी,अन्त्योदय-झणकार ||८
थे देखी समझी घणी,दीन-हीन री पीड़ |
अन्तोदय री जस कथा,दियो दीन ने नीड़ ||९
भूखन नै पोख्या घणा,व रे दीन-दयाल |
अन्तोदय री लहर या,भर्या मोड़ रा ताल ||१०
श्री सोभाग्य सिंह जी के संकलन से साभार क्रमश: