

यमराज के आदेश की पालना के लिए चित्रगुप्त ने कई यमदूतों को धरती से किसी हिंदी ब्लॉगर को ले आने को भेज दिया| बेचारे यमदूत एक शहर से दूसरे शहर के, एक ब्लॉग मठ से दूसरे ब्लॉग मठ के हिंदी ब्लॉगरस् के पास यमराज का आमंत्रण लेकर ख़ाक छानते रहे पर कोई ब्लॉगर यमराज के पास चलने को तैयार नहीं हुआ| सबको डर व आशंका थी कि कहीं इस बहाने ये यमदूत यमलोक ले जायें और वापस नहीं आने दे तो ?
फिर वहां किसी सम्मान समारोह आयोजित करने की भी कोई बात नहीं थी ऐसी हालात में सबने कारण बता दिया कि यमराज के ऑफिस में इन्टरनेट नहीं है और वे ऐसी जगह नहीं जा सकते जहाँ से ब्लॉग पोस्ट ना लिख सके और अनामी टिप्पणियाँ ना कर सके|
चित्रगुप्त यमदूतों से होट लाइन पर संपर्क में था और नियमित जानकारी ले रहा था एक भी हिंदी ब्लॉगर के आने हेतु तैयार नहीं होने से चिंतित होकर खुद धरती पर यह जानकारी जुटाने के लिए आया कि कैसे किसी हिंदी ब्लॉगर को यमलोक का निमंत्रण स्वीकार करने के लिए मनाया जाय ?
आखिर किसी तरह चित्रगुप्त को पता चला कि हिंदी ब्लॉग जगत में ब्लॉगर उड़नतश्तरी बहुत अच्छे आदमी है उनकी हर कोई ब्लॉगर बात मानता है व उनका आदर करता फिर उनके कहने से कोई और ब्लॉगर यमलोक आने के लिए तैयार हो या नहीं ताऊ जरुर तैयार हो जायेगा| चित्रगुप्त ने कनाडा जाकर उड़नतश्तरी से बात की व अपनी समस्या बताई, और अनुरोध किया कि- “यमराज किसी एक स्थापित हिंदी ब्लॉगर से मुलाकात करने को बहुत उत्सुक है सो एक हिंदी ब्लॉगर को एक दिन के लिए यमलोक भेज दीजिए ताकि यमराज की हिंदी ब्लॉगर से मिलने कामना की पुरी हो| मैंने व मेरे दूतों ने कई ब्लॉग लेखकों से बात की पर कोई तैयार नहीं| अब आप से उम्मीद है कि आप किसी को भेज देंगे|
सुनकर उड़नतश्तरी बहुत खुश हुए आखिर उन्हें मृत्युलोक से यमलोक तक हिंदी ब्लोगिंग का विस्तार होने की प्रबल सम्भावना जो नजर आने लगी| ब्लोगिंग के इस विस्तार की सम्भावना के साथ उड़नतश्तरी बहुत रोमांचित भी हुए कि अब यमलोक में भी उनकी टिप्पणियाँ पढ़ी जायेगी और उनकी चर्चाएँ चलेगी| पर वहां किसी को भेजने की समस्या पर मनन करते हुए उड़नतस्तरी ने सोचा यदि कोई ब्लॉगर इस यात्रा पर जाने के लिए तैयार होता तो अब तक जा चुका होता इसलिए हर किसी से कहना बेकार होगा ! उनके दिमाग में ताऊ के नाम का ध्यान आया और आता भी क्यों नहीं आखिर ताऊ ही उनका ऐसा शिष्य हिंदी ब्लॉगर है जो उनकी कैसी भी बात को आसानी से मान सकता है फिर यमराज से मिलने के लिए ताऊ से बढ़िया आइटम हिंदी ब्लॉग जगत में दूसरा है भी कौन ?
उड़नतश्तरी ने ताऊ के नाम एक पत्र लिखा जिसमें उसे यमलोक जाने के अनुरोध के साथ ही लिखा कि- “इस पत्र वाहक के साथ ब्रह्मा का एक पत्र है जिसमें यमराज से यमलोक का कार्यभार आपको सौंपने का आदेश है आप तुरंत इस पत्र वाहक के साथ जाकर यमलोक का यमराज से कार्यभार ले यमलोक की व्यवस्थाएं देखे|
ताऊ ने गुरु उड़नतश्तरी का पत्र पढ़ा और तुरंत चलने की हामी भर दी| ताऊ तैयार होता भी क्यों नहीं आखिर चोरी, डकैती, लूटपाट, भ्रष्टाचार, मिलावट, राजनैतिक पैंतरेबाजी आदि सभी काम करने के बाद भी ताऊ किसी कार्य में कभी सफल नहीं हो पाया था साथ ही इस लोक में महिला सशक्तिकरण के नाम पर ताई से रोज सुबह शाम जर्मन मेड लट्ठ खाने पड़ते थे, फिर ताऊ के आगे आज पुरे यमलोक का बोस बनने का अवसर जो था|
चित्रगुप्त अपने विशेष विमान से ब्लॉगर ताऊ को सीधे यमलोक ले आया जहाँ यमराज उससे मिलने को बेसब्र बैठे थे| मुलाक़ात व कुछ बातचीत के बाद ताऊ ने उड़नतश्तरी का दिया यमराज के नाम का पत्र यमराज के हाथों में थमा दिया | पत्र में यमलोक का कार्यभार कुछ दिन के लिए ब्लॉगर ताऊ को देने का ब्रह्मा के हस्ताक्षर सहित आदेश था| यमराज ने ब्रह्मा के आदेश पर दस्तखत देख तुरंत ताऊ को यमलोक का चार्ज सौंप अपनी कुर्सी खाली कर दी| ताऊ ने चार्ज लेते ही स्वर्ग और नरक का आकस्मिक निरीक्षण किया|
"उम्दा " वहा वहा क्या खूब लिखा है जी आपने सुबान अल्ला
मेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
बेहद शानदार लेख ,मजा आ गया।
मनोज जैसवाल
लाजबाब आलेख पढ़कर आनंद आया ,,,
Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति …
रोचक संदर्भ, पीर की आवाज यदि किसी को न सुनायी पड़े तो लानत है उस पर।
सटीक सन्दर्भ और रोचक लेखन 🙂
ताऊ बनने के लिये ऐसा ही ताऊत्व चाहिये.:)
रामराम.
ताऊ इसलिए ही तो ताऊ है !
वाह…….. बहुत दिनों के बाद कोई ब्लॉग-राग टाइप की पोस्ट पढ़ी।
bahut hi majedar post abhivyakti … abhaar
जब से ताऊ के घर के सामने की सड़क की खुदाई हुई है, इनका फ़ोन आता-जाता ही नहीं। ऐसे में ताऊत्व कायम रहने में घोर आशंका है और तेल का रेट बढने के बाद से उड़न तश्तरी भी ग्राऊंड हो गई है।
Badhia hai! 🙂
:)बहुत रोचक !
ताऊ स्टाइल में लिखा ताऊ जी का किस्सा.
बढ़िया और लाजवाब प्रस्तुति।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष लेख : भारत की प्रमुख भाषाएँ।
महात्मा गाँधी की प्रतिमा और इंदिरा गाँधी शांति पुरस्कार।
गुड।
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माफ़ी माँगता हूँ, इस तरह की टिप्पणी करने के लिए।
गजब 🙂
हा हा!! बहुत सन्नाट/ गज़ब!!