पिछले १५ दिन के जोधपुर प्रवास के दौरान ब्लॉगजगत से दूर रहना बड़ा कष्टकारी महसूस हुआ जोधपुर जैसे अच्छे शहर में भी ऐसे लगा मानो घर-परिवार से दूर जंगल में आ गया हूँ बिना इन्टरनेट के एक एक दिन भारी लग रहा था हालाँकि कभी कभार सायबर कैफे जरुर जाना हुआ लेकिन समय की कमी के चलते सिर्फ़ मेल वगैरह ही चेक कर पाया | ब्लॉगजगत से जुड़ने से पहले जब भी जोधपुर जाता था तब वापस दिल्ली आने का मन ही नही करता था लेकिन इस बार मामला उल्टा रहा रोज यही सोचता रहा कि कितनी जल्दी कंपनी का काम निबटाऊ और घर लौट कर ब्लॉगजगत से जुड़ जाऊँ या फ़िर अगली यात्रा के लिए एक लेपटोप का इंतजाम करूँ ताकि ब्लॉगजगत से दुरी न रहे खैर…
इस बार जोधपुर यात्रा भी हमेशा की तरह अच्छी रही जोधपुर से जो सेम्पलिंग करायी उनमे कंपनी को भी ठीक ठाक आर्डर मिले और मुझे भी पुराने मित्रों से मिलने के सोभाग्य के साथ ही एक नए मित्र जसोल (बालोतरा )निवासी जयंती लाल जी से भी मिलना हुआ |जयंती लाल जी से परिचय भी हिन्दी ब्लॉगजगत के माध्यम से ही हुआ वे अक्सर मेरा ब्लॉग ज्ञान दर्पण पढ़ते रहते है | आजकल जयंती लाल जी ने अपने कपड़े के कारोबार के आलावा जालतंत्र के कारोबार में कदम रखा है और जोधपुर में उन्होंने वेब साईट बनाने की अपनी फर्म शुरू की है | वे जल्दी ही कई वेब साइट्स लॉन्च करने वाले है जिनमे जोधपुर शहर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी वाली साईट महत्वपूरण होगी उनकी अन्य वेबसाइट्स के बारे में चर्चा फ़िर कभी करूँगा | और हाँ इस बार भी हमेशा की तरह राजस्थानी ग्रन्थागार जाना हुआ जहाँ से कई सारी इतिहास की पुस्तके लेकर आया हूँ जिनके अध्ययन करने बाद कुछ इतिहास का ज्ञान यहाँ भी ठेलने का इरादा है जिसे झेलने के लिए तैयार रहे | ब्लॉगजगत से दूर रहने के मानसिक कष्ट को कम करने लिए एक नया तरीका सूझा कि यदि अभी ब्लॉग पढ़ व लिख नही सकते तो क्या हुआ क्यों ना जोधपुर के बारे में भी कुछ जानकारी ब्लॉगजगत में परोसने के लिए जुटा ली जाए | इसलिय कुछ छोटी-मोटी जानकारी जुटा लाया हूँ जो अगली कुछ पोस्टों में आपके समक्ष प्रस्तुत करूँगा |
इन्तजार रहेगा जोधपुर के बारे में आपसे जानकर..
हाँ मावे की कचौरी, मिर्ची बडा़ और मिश्रीलाल की माखनिया लस्सी पी की नहीं?
चलो अब तो आप वापस आ गये …..अब अच्छा समय कटेगा आपका
अनिल कान्त
मेरी कलम – मेरी अभिव्यक्ति
कुछ कुछ अधूरा सा लगता था .ज्ञान दर्पण और राजपूत वर्ल्ड का नियमित पाठक हूँ इसलिए
रंजन जी जोधपुर जाना हो और मिश्रीलाल के होटल में जाना न हो एसा नही हो सकता इस बार तो पुरे पन्द्रह दिन सुबह का नाश्ता मिश्रिमल के होटल में हुआ कभी मख्निया लस्सी के साथ, तो कभी दूध फीणी के साथ, मिर्ची बड़ा ,गाजर का हलवा और गुंद पाक तो मिश्री लाल की होटल में बहुत अच्छा लगता है !
आप ने कैसे 15 दिन जोधपुर में बिताए। वहाँ तो पहले दिन ही टंकी इतनी फुल हो जाती है कि दूसरे दिन खाना मुश्किल हो जाता है। पर खाना इतना लजीज होता है कि खाना तो पड़ता ही है। भाई पांच दिन में ढाई किलो वजन बढ़ जाता है। आप 15 दिन में कितना बढ़ा? जरूर बताएँ।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
—आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
इन्तजार रहेगा जोधपुर के बारे में.गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ..
हम भी इधर परेशान हुए. क्या हुआ रतन जी दिख नहीं रहे. अब जाकर पता चला कि जोधपुर में मिश्रीलाल के यहाँ बैठे रहे. जोधपुर के बारे में जानने कि उत्सुकता बन गयी है. आप के पोस्ट का इंतज़ार रहेगा. आभार.
आपकी गैरमोजूदगी वाकई बडी अखर रही थी, पर काम धन्धा पहले करना है जी. काम है तो ब्लागिंग भी चलेगी.
अब आप जो किताबे और जानकारी जुटा के लाये हैं वो जरुर लिखें हम इन्तजार करेंगे.
रामराम.
सही कहा आपने। परिवार से दूर हो जाने का दर्द-सा बन जाता है ब्लॉग से दूर रहना:(
गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ।
आपके अगले लेखों की प्रतीक्षा है।
घुघूती बासूती
आपके पोस्ट का इंतजार रहेगा….बहुत अच्छा…..गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
आप जो कुछ बटोर कर लाए हैं, जल्दी परोसिएगा। प्रतीक्षा रहेगी।
intazar rahega jodhpur se sambandhit post ko lekar.
आप से हम नाराज है । आपका जोधपुर का रास्ता हमारे गांव से हो कर गुज़रता है और आप बिना मिले ही चले गये । आपके पिटारे के खुलने कि प्रतीक्षा है । वैसे मेरा नेट कनैक्शन कट जाने कि वजह से मै भी 15 दिन की छुट्टी पर ही था ।