जयपुर अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर महलां से जोबनेर जाने वाली सड़क पर स्थित है बोराज गांव | इसी गांव में बना है एक प्राचीन गढ़ | इस गढ़ पर आजादी से पूर्व खंगारोत कछवाहों का शासन था, जो जयपुर के सामंत थे | यह गढ़ आज भी यहाँ शासन करने वाले जागीरदार परिवार की निजी सम्पत्ति है और उनके वंशज इसी गढ़ परिसर में निवास करते हैं | पर गढ़ का पुराना हिस्सा आज भी सुना पड़ा है और इसी सुने पड़े हिस्से को बसेरा बना रखा है रहस्यमय साँपों ने |
गढ़ में रहने वाले ठाकुर कुलदीप सिंह जी ने हमें बताया कि इस गढ़ में एक बूढा सांप वर्षों से रह रहा है, अब तो वह इतना बूढा हो चूका है कि उस सांप की मूंछों के बाल सफ़ेद हो गए हैं और उसे चलने में भी तकलीफ होती है | ठाकुर साहब ने बताया कि जब उनका परिवार गढ़ के अंदरूनी हिस्से में निवास करता था, तब भी यह सांप यहाँ रहता था | ठाकुर साहब के अनुसार इस सांप ने कभी उनके परिजनों को डस कर नुकसान नहीं पहुँचाया बल्कि जब उनकी इस गढ़ की ठकुराइन साहिबा यानि उनकी दादी जब रामायण पाठ करती थी, तब यह सांप अक्सर उनके महल के एक छज्जे पर आकर बैठ जाया करता था | देखने वालों को लगता था कि सांप रामायण पाठ सुनने आता है |
ठाकुर कुलदीप सिंह जी आगे बताते हैं कि उन्हें इस सांप से कभी डर नहीं लगा, बल्कि वे इस सांप को अपना रक्षक व पूर्वज मानते हैं | उनका मानना है कि उनका कोई पूर्वज सांप योनी में अपने गढ़ में निवास कर रहा है और उनकी कई बुरी ताकतों से उनकी रक्षा करता है | हमने इस रहस्यमयी बूढ़े सांप की कहानी पर एक वीडियो भी बनाया है जो इस लिंक पर क्लीक कर देखा व सुना जा सकता है |