बदनाम ज़माने की शराफत है बेटियां ………
सोचो तो हर सवाल का जवाब है बेटियां ……….
गरम आंच पर जैसे सिकती है रोटियां……….
उस तरह इस दुनिया में रहती है बेटियां ……..
बेटा घर का चिराग है तो ज्योति है बेटियां ……
पिता की आँखों का पानी है बेटियां ……
माँ के कलेजे का टुकड़ा है बेटियां ……
घर भर की आँखों का तारा है बेटा तो ……
उस तारे की रक्षक, पुतली है बेटियां ……..
किसी का होश तो किसी की बेहोशी है बेटियां ……
मायके और ससुराल में जगमगाने वाला दीपक है बेटियां ……..
इतना कुछ होने पर भी पिता के माथे का कर्ज़ है बेटियां ……..
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